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Updated on: 29 September, 2025 5:19 PM IST
90 सेकंड में मिट्टी की जांच (Image Source- AI generate)

यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो–2025 में इस बार किसानों और कृषि विशेषज्ञों की निगाहें जिस तकनीक पर सबसे ज़्यादा टिकीं, वह है ‘भू परिक्षक’ (Bhu Parikshak). यह स्मार्ट सॉयल टेस्टिंग मशीन दरअसल IIT कानपुर के छात्रों द्वारा विकसित की गई एक ऐसी स्मार्ट मशीन है, जो मात्र 90 सेकंड में मिट्टी की रिपोर्ट किसानों के हाथ में दे देती है, और इसे खेती के क्षेत्र में गेमचेंजर माना जा रहा है. आमतौर पर मिट्टी की जांच कराने में किसानों को कई दिन लग जाते हैं और खर्च भी अधिक आता है, लेकिन ‘भू परिक्षक’ से यह काम सिर्फ कुछ ही सेकंड में हो जाता है.

80-100 दिन का इंतज़ार खत्म

अब तक किसानों को अपनी मिट्टी की जांच कराने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) या लैब का रुख करना पड़ता था. वहां से रिपोर्ट आने में 80 से 100 दिन तक लग जाते थे. रिपोर्ट की देरी के कारण कई बार किसान समय पर उर्वरक का सही इस्तेमाल नहीं कर पाते थे, जिससे पैदावार प्रभावित होती थी. लेकिन ‘भू परिक्षक’ ने यह समस्या खत्म कर दी है. सिर्फ 10 ग्राम मिट्टी डालकर बटन दबाइए और 1.5 मिनट में पूरी रिपोर्ट तैयार हो जाती है.

मशीन कितनी हल्की और आसान?

‘भू परिक्षक’ का सबसे बड़ा फायदा इसकी पोर्टेबिलिटी है. मशीन का वजन केवल 350 ग्राम है, यानी किसान इसे आसानी से जेब या छोटे बैग में रखकर खेत तक ले जा सकते हैं. इसमें एक छोटा सा सांचा दिया गया है, जिसमें किसान केवल 10 ग्राम मिट्टी डालते हैं. मशीन को ऑन करते ही यह 90 सेकंड में रिपोर्ट दे देती है.

कौन-कौन सी जानकारी मिलती है?

यह मशीन मिट्टी के नमूने का विश्लेषण कर उसमें मौजूद 6 प्रमुख पोषक तत्व- नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश, ऑर्गेनिक कार्बन, जिंक और सल्फर की पूरी जानकारी देती है. इतना ही नहीं, रिपोर्ट में यह भी बताया जाता है कि प्रति एकड़ कितनी मात्रा में कौन-सा उर्वरक डालना चाहिए. इससे किसान ज़रूरत से ज़्यादा या कम खाद डालने से बच जाते हैं.

किसने बनाई यह मशीन?

यह मशीन IIT कानपुर के छात्रों द्वारा बनाई गई है. इसे Skalek नामक एक क्लाइमेट-स्मार्ट टेक्नोलॉजी स्टार्टअप ने विकसित किया है. वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसके फाउंडर रजत वर्धन और उनकी टीम का कहना है कि इस तकनीक का मकसद किसानों को सटीक, तेज़ और सस्ती मिट्टी जांच की सुविधा देना है, ताकि खेती अधिक लाभकारी और टिकाऊ बन सके.

किसानों तक कैसे पहुंच रही है मशीन?

फिलहाल यह मशीन सीधे बाज़ार में किसानों के लिए उपलब्ध नहीं है. इसे चुनिंदा सेंटर्स और गांवों में प्रयोग के तौर पर रखा गया है. टीम का कहना है कि आने वाले समय में इसे ब्लॉक स्तर तक ले जाया जाएगा, यानी हर किसान अपने ही गांव या ब्लॉक में जाकर मिट्टी की जांच करा सकेगा.

60 हज़ार किसान उठा चुके हैं फायदा

इस तकनीक का फायदा अब तक 20 राज्यों के 150 गांवों के करीब 60 हज़ार किसान उठा चुके हैं. किसानों का कहना है कि समय पर रिपोर्ट मिलने से उन्होंने उर्वरकों के खर्च में कमी देखी है और पैदावार में भी बढ़ोतरी हुई है.

English Summary: Soil testing now in 90 seconds IIT Kanpur students created Bhoo Parikshak benefiting 60000 farmers
Published on: 29 September 2025, 05:31 PM IST

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