केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से संबंधित किसानों की परेशानियां दूर करने और क्लेम के बारे में उनकी शिकायतों के समाधान के लिए आज दिल्ली में उच्चस्तरीय बैठक ली. शिवराज सिंह ने बैठक में महाराष्ट्र के कुछ किसानों को भी वर्चुअल जोड़कर गहराई से सीधे उनकी बात सुनी और अधिकारियों से इसके बारे में जवाब मांगा.
शिवराज सिंह ने साफ तौर पर कहा कि हम किसानों को किसी भी हालत में परेशान नहीं होने देंगे. 1 रु., 3 रु., 5 रु. या 21 रु. का फसल बीमा क्लेम मिलना किसानों के साथ मजाक है, सरकार ऐसा नहीं होने देगी. उन्होंने इस संबंध में पूरी जांच के आदेश दिए, साथ ही किसानों के हित में बीमा कंपनियों एवं अफसरों को सख्त निर्देश दिए और कहा कि किसानों को क्लेम जल्दी और एक साथ मिलना चाहिए तथा क्षति का आंकलन सटीक प्रणाली से होना चाहिए, इसके लिए चौहान ने योजना के प्रावधानों में आवश्यक होने पर बदलाव कर विसंगतियां दूर करने के निर्देश भी अफसरों को दिए.
केंद्रीय कृषि मंत्री चौहान अपने संसदीय क्षेत्र के प्रवास के दौरान सीहोर जिले के किसानों से मिली शिकायतों को लेकर काफी गंभीर थे, साथ ही महाराष्ट्र के किसानों को नाममात्र की क्लेम राशि मिलने की बातों को लेकर भी चिंतित थे, इसलिए वे सोमवार सुबह विमान से दिल्ली पहुंचने के बाद सीधे कृषि भवन स्थित मंत्रालय पहुंचे और सबसे पहले प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जुड़े सारे वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ही सभी बीमा कंपनियों के उच्चाधिकारियों को भी उन्होंने फौरन तलब किया.
शिवराज सिंह ने इन सबकी बैठक लेकर कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना देश के किसानों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, उनकी फसलों के प्राकृतिक आपदा से नुकसान होने की स्थिति में सुरक्षा कवच के रूप में वरदान की तरह हैं, लेकिन साथ ही कुछ चीजें ऐसी हुई हैं कि जिससे इस महत्वपूर्ण योजना की बदनामी हुई है और मजाक भी उड़ता है तथा प्रोपेगंडा करने का मौका मिलता है.
शिवराज सिंह ने सीहोर जिले के कुछ किसानों के नाम सहित बैठक में मौजूद अधिकारियों को उदाहरण देते हुए कहा कि इन किसानों को फसल बीमा कराने के बावजूद नुकसान होने पर जीरो लॉस दिखाया गया, वहीं क्लेम मिला 1 रु., एक अन्य किसान का नुकसान दिखाया गया 0.004806 प्रतिशत, केंद्रीय मंत्री ने किसानों की ओर से सवाल उठाया कि ये कौन-सा तरीका है क्षति मांपने का. और, क्लेम पेमेंट भी 1 रु. मिला. एक और किसान का भी नुकसान ठीक इसी तरह का बताया गया और क्लेम भी 1 रु. का मिला, अन्य किसानों की भी इसी तरह की समस्या चौहान ने अफसरों के सामने रखते हुए पूछा कि क्या ये किसानों के साथ अन्याय नहीं है.
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने सख्त लहजे में कहा कि ऐसी बातों पर मैं गहराई में जाउंगा, फसल बीमा योजना कोई मजाक नहीं है. ये मजाक मैं नहीं चलने दूंगा. उन्होंने सीहोर कलेक्टर को भी बैठक से वर्चुअल जोड़ने का निर्देश देकर उनसे पूरी जानकारी ली और दिल्ली के अफसरों व कंपनी प्रतिनिधियों से सवाल किए.
केंद्रीय मंत्री के निर्देश पर इस बैठक में महाराष्ट्र के कृषि आयुक्त तथा राज्य के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को भी वर्चुअल जोड़ा गया, साथ ही अकोला जिले के शिकायतकर्ता कुछ किसानों को भी ऑनलाइन जोड़कर उनसे पूरी जानकारी ली गई, जिनकी शिकायत थी कि 5 रु., 21 रु. मिले हैं, शिवराज सिंह ने पूरी बारीकी से पूछताछ करते हुए सवाल किया कि हमारे किसानों को इस तरह से इतना कम क्लेम पेमेंट कैसे और क्यों हुआ है. अलग-अलग खसरों तथा अलग-अलग फसलों का बीमा करवाने के लिए किसानों द्वारा अलग-अलग आवेदन दिए जाने तथा प्रारंभिक रूप से पहले ही क्लेम राशि मिल जाने व सर्वे के बाद बाकी क्लेम राशि एडजस्ट करने के लिए इतनी कम राशि जमा होने संबंधी अफसरों द्वारा दिए जवाब पर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने निर्देश देते हुए कहा कि ये विसंगति है, जिसे दूर किया जाएं, इससे क्लेम पेमेंट मिलने के समय किसानों में भ्रम होता है, सरकार की बेवजह ही बदनामी होती है और मजाक बन जाता है.
केंद्रीय कृषि शिवराज सिंह मंत्री ने किसानों से मिली शिकायतों पर इस तरह के सभी मामलों की फील्ड में जाकर पूरी जांच करने का आदेश प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के सीईओ को दिया और कहा कि ये पड़ताल की जाएं कि 1 रु., 2 रु., 5 रु. क्लेम पेमेंट क्यों मिला है, वहीं बीमित किसानों के साथ ही स्थानीय कलेक्टर से भी बात की जाएं, ताकि वास्तविकता सामने आएं.
इसके अलावा, क्षति के आंकलन का रिमोट सेंसिग का जो आधार है, उसमें प्रामाणिकता कितनी है, यह वैज्ञानिक तरीके से जांच की जाएं तथा गाइड लाइन में भी बहुत कम राशि के लिए बीमा होने जैसे प्रावधान का परीक्षण कर आवश्यकतानुसार इसे रिवाइज करें. उन्होंने कहा कि किसानों को क्लेम मिलने में देर नहीं लगना चाहिए, साथ ही शिवराज सिंह ने बीमा कंपनियों को भी निर्देश दिया कि नुकसान के सर्वे के समय उनका प्रतिनिधि भी जरूर उपस्थित रहना चाहिए, ताकि कोई गड़बड़ी नहीं होने पाएं व किसान को वास्तविक क्लेम मिल सकें.
बैठक में यह बात उठने पर कि कुछ राज्य अपने हिस्से की सब्सिडी की राशि देरी से जमा करते हैं या महीनों से नहीं दे रहे हैं, शिवराज सिंह ने कहा कि सभी राज्यों से समन्वय कर राज्यांश राशि समय पर जमा करवाई जाएं, ताकि फसलों के नुकसान की स्थिति में पीड़ित किसानों को उनकी क्लेम राशि समय पर मिल सकें, वहीं जो राज्य ढिलाई बरत रहे हैं, उनसे 12 प्रतिशत ब्याज वसूला जाएं, जैसा कि केंद्र ने किसानों के हित में बड़ा प्रावधान किया है.
शिवराज सिंह ने सवाल उठाया कि सब्सिडी देने में राज्यों की ढीलपोल की वजह से केंद्र सरकार क्यों बदनाम हों. बैठक में केंद्रीय मंत्री चौहान ने सीहोर कलेक्टर तथा महाराष्ट्र के वरिष्ठ कृषि अधिकारियों एवं कंपनियों से सुझाव भी लिए, ताकि योजना में आगे भी सुधार किया जा सकें. शिवराज सिंह ने कहा कि किसानों को टेक्नालाजी से जोड़ना पड़ेगा, जिससे कि पूरी पारदर्शिता बनी रहे, हमारे किसान भाई-बहन जागरूक रहे और कहीं भी कोई गड़बड़ियां नहीं होने पाएं.