केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को कुछ योजनाओं की घोषणा की, जिन्हें सरकार कैबिनेट की मंजूरी के बाद अगले कुछ दिनों में पेश करेगी. इनमें अगले पांच वर्षों में 18,000 करोड़ रुपये के निवेश से 100 बागवानी क्लस्टर विकसित करना और 6,800 करोड़ रुपये के लागत के साथ बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय तिलहन मिशन शामिल है.
कृषि पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में बोलते हुए चौहान ने कहा, "हम अगले पांच वर्षों में 18,000 करोड़ रुपये के निवेश से 100 निर्यातोन्मुखी बागवानी क्लस्टर बनाएंगे. हम फसल कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे को बनाने के लिए 1.40 लाख करोड़ रुपये का निवेश कर रहे हैं. हम 1,500 मंडियों (ई-नाम के साथ) को एकीकृत करेंगे. 6,800 करोड़ रुपये के पर्याप्त निवेश के साथ, हम तिलहन मिशन शुरू कर रहे हैं ताकि हम आत्मनिर्भर बन सकें."
मंत्री ने आगे कहा कि सरकार 50,000 गांवों को जलवायु-अनुकूल इकाइयों के रूप में विकसित करेगी. उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को गुणवत्तापूर्ण कृषि-रसायन उपलब्ध कराने के लिए कीटनाशक कानून में कुछ महत्वपूर्ण संशोधन किए जाएंगे.
6 प्राथमिकताएं
2 अगस्त को उन्होंने घोषणा की थी कि सरकार ने कृषि क्षेत्र के विकास के लिए छह प्राथमिकताएं तय की हैं- उत्पादन बढ़ाना, उत्पादन लागत कम करना, किसानों को उचित मूल्य देना, फसल क्षति पर किसानों को वित्तीय राहत देना, फसल विविधीकरण और प्राकृतिक खेती. उन्होंने पिछले 10 वर्षों में मोदी सरकार की “उपलब्धियों” पर प्रकाश डाला था और सदन को आश्वासन दिया था कि केंद्र सरकार किसानों को फसलों के लिए लाभकारी मूल्य प्रदान करने के साथ-साथ यूरिया और डीएपी उर्वरकों को अत्यधिक रियायती दरों पर किसानों को उपलब्ध कराने की नीति को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है.
सोमवार को राज्यसभा में अपने भाषण को जारी रखते हुए चौहान ने 2016 में मंदसौर (मध्य प्रदेश) में हुई गोलीबारी की घटना के लिए विपक्ष के हमले का जवाब दिया, जिसमें छह किसानों की मौत हो गई थी. उन्होंने किसानों पर विभिन्न कांग्रेस सरकारों द्वारा किए गए अत्याचारों की पिछली घटनाओं को गिनाया. उन्होंने कहा, "मैंने आपसे (विपक्ष से) कहा था कि मुझे मत भड़काओ. यदि आप हमें छेड़ोगे तो मैं छोडूंगा नहीं."
विपक्ष पर कटाक्ष
कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह, जो मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान से पहले मुख्यमंत्री थे, की ओर इशारा करते हुए कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में गोलीबारी में 24 किसान मारे गए थे. यह घटना बैतूल जिले के मुलताई में हुई थी. इसके साथ ही राज्यसभा में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जब कांग्रेस की सरकार अलग-अलग राज्यों में सत्ता में थी, तब गोली चला करती थी और कई किसान मारे गए. 1986 में जब बिहार में कांग्रेस की सरकार थी, तब गोलीबारी में 23 किसान मारे गए थे. 1988 में इंदिरा गांधी की पुण्य तिथि पर दिल्ली में 2 किसानों के ऊपर गोलीबारी की गई. 1988 में, उन्होंने मेरठ में किसानों पर गोलीबारी की और 5 किसान मारे गए.... उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता दिवस पर दिए गए अपने संबोधनों में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने तक किसानों की अनदेखी की जाती रही.
मैंने देश के सभी प्रधानमंत्रियों के भाषण पढ़े, पर कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों की प्राथमिकता में कभी किसान नहीं रहा. जो दिल में होता है, वही जुबान पर आता है. कांग्रेस के दिल में किसान नहीं है. चौहान ने कहा, "जवाहरलाल नेहरू ने अपने किसी भाषण में 'किसान' शब्द का इस्तेमाल नहीं किया, यहां तक कि इंदिरा गांधी ने भी कुछ मौकों पर इस शब्द का इस्तेमाल किया, लेकिन यह सब लापरवाही से कहा गया, नीतिगत मुद्दों पर कोई बातचीत नहीं हुई." उन्होंने आगे कहा, "यहां तक कि राजीव गांधी के लिए भी यह (किसान) प्राथमिकता नहीं थी. कांग्रेस के लिए किसान कभी भी प्राथमिकता में नहीं रहे."
चौहान के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस सांसद आरएस सुरजेवाला और आप सांसद संजय सिंह ने संसद के बाहर मीडिया से कहा कि विपक्ष कार्यवाही के रिकॉर्ड को देखने के बाद गलत तथ्य बताकर सदन को गुमराह करने के लिए चौहान के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाएगा.