केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं कृषि और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा केंद्रीय जल शक्ति मंत्री चंद्रकांत रघुनाथ पाटिल ने आज नई दिल्ली, कृषि भवन से संयुक्त रूप से ‘जल सुरक्षा पर राष्ट्रीय पहल’ का शुभारंभ किया. इस अवसर पर केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कमलेश पासवान, ग्रामीण विकास विभाग के सचिव शैलेश सिंह और दोनों ही मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल रहे. साथ ही देशभर से वर्चुअल माध्यम से ग्रामीण ब्लॉकों के प्रतिनिधियों और जिलाधिकारियों ने शुभारंभ कार्यक्रम में सहभागिता की.
पहल की शुरुआत पर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में, ग्रामीण विकास मंत्रालय ने महात्मा गांधी नरेगा के अंतर्गत जल सुरक्षा को एक राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाया है, जिसके तहत देश के जल-संकटग्रस्त ग्रामीण ब्लॉकों में जल-संबंधी कार्यों को प्राथमिकता देने के लिए महात्मा गांधी नरेगा अधिनियम, 2005 की अनुसूची में संशोधन किया गया है. इस ऐतिहासिक संशोधन के अंतर्गत ग्रामीण ब्लॉकों में जल संरक्षण एवं संचयन कार्यों पर न्यूनतम व्यय को अनिवार्य रूप से सुनिश्चित करने का निर्णय लिया गया है.
कार्यक्रम के बाद केंद्रीय मंत्री ने मीडिया से भी बातचीत की और विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए बताया कि भूजल स्तर लगातार नीचे गिर रहा है. पानी दुनिया की एक बड़ी समस्या है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समस्या के समाधान के लिए बरसों से जुटे हुए हैं. गुजरात के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान से ही नरेंद्र मोदी लगातार जल संरक्षण को लेकर सक्रिय हैं. पानी के महत्व पर बल देते हुए प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण के लिए अनेकों काम किए हैं. जल संरक्षण को लेकर प्रधानमंत्री अब देश को दिशा दे रहे हैं और हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं. केंद्रीय मंत्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री ने "कैच द रेन", रेन वॉटर हार्वेस्टिंग, जल संरक्षण के लिए अमृत सरोवर के निर्माण सहित विभिन्न अभियानों के माध्यम से जल संरक्षण पर जोर दिया है.
केंद्रीय मंत्री चौहान ने कहा कि पानी ही जीवन है, पानी है तो कल है, आज है, पानी बिना सबकुछ असंभव है. चौहान ने बताया कि प्रधानमंत्री ने काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स की बैठक में ये निर्देश दिया था कि मनरेगा योजना के अंतर्गत जो राशि मिलती है उसका निश्चित भाग जल संरक्षण के कार्यों में व्यय किया जाए. प्रधानमंत्री के इसी निर्देश पर मनरेगा में ये प्रावधान किया है कि ‘अति जल संकट ग्रसित’ वाले ब्लॉक्स में 65 प्रतिशत राशि मनरेगा की जल संरक्षण वाले कार्यों पर खर्च होगी. वही सेमि-क्रिटिकल ब्लॉक में 40 प्रतिशत मनरेगा की राशि जल संरक्षण के कार्यों में लगाई जाएगी और खर्च होगी और जहां जल संकट नहीं है वहां कम से कम 30% राशि जल संकट से जुड़े कार्यों में खर्च होगी.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अब संपूर्ण देश में मनरेगा की राशि जल संरक्षण के कार्यों में प्राथमिकता के साथ खर्च होगी और इससे भू जल स्तर बढ़ाने और जल संरक्षण अभियान को गति मिलेगी. यह नीतिगत आवंटन यह सुनिश्चित करेगा कि संसाधन उन क्षेत्रों में पहुँचाए जाएँ जहाँ उनकी सबसे अधिक आवश्यकता है, प्रतिक्रियात्मक उपायों से हटकर पूर्व-निवारक, दीर्घकालिक जल प्रबंधन की ओर कदम बढ़ाए जाएँगे.
कार्यक्रम में केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जल संचय को सर्वोच्च प्राथमिकता देते रहे हैं. उनके दूरदर्शी नेतृत्व में काउंसिल ऑफ़ मिनिस्टर्स की बैठक में एक अत्यंत महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदी के निर्देशानुसार ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मनरेगा के ₹88,000 करोड़ के बजट में से रेन वॉटर हार्वेस्टिंग हेतु 65% राशि डार्क ज़ोन जिलों, 40% राशि सेमी-क्रिटिकल जिलों तथा 30% राशि अन्य जिलों के लिए निर्धारित किया है. यह निर्णय जल सुरक्षा और ग्रामीण विकास की दिशा में महत्वपूर्ण सिद्ध होगा. इस ऐतिहासिक निर्णय के लिए मैं हृदय से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान का आभार व्यक्त करता हूँ.
पृष्ठभूमि: यह नीतिगत परिवर्तन पिछले 11 वर्षों (2014 से) में ग्रामीण विकास और जल संरक्षण में मनरेगा की महत्वपूर्ण उपलब्धियों पर आधारित है. इस अवधि के दौरान, यह योजना लगभग ₹8.4 लाख करोड़ के व्यय और 3000 करोड़ से अधिक मानव-दिवस रोजगार सृजन के साथ दुनिया का सबसे बड़ा सामाजिक कल्याण कार्यक्रम बन गई है. उल्लेखनीय रूप से, महिलाओं की भागीदारी 2014 के 48% से बढ़कर 2025 में 58% हो गई है.
इस योजना के तहत, कृषि तालाबों, चेकडैम और सामुदायिक तालाबों जैसे 1.25 करोड़ से अधिक जल संरक्षण परिसंपत्तियाँ बनाई गई हैं. इन प्रयासों के ठोस परिणाम सामने आए हैं, और जल संकटग्रस्त ग्रामीण ब्लॉकों की संख्या में कमी आई है. इसके अलावा, मिशन अमृत सरोवर के तहत, पहले चरण में 68,000 से अधिक जलाशयों का निर्माण या पुनरुद्धार किया गया है.