केंद्र सरकार लगातार मछुआरों और मत्स्य क्षेत्र से जुड़े लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए नई-नई योजनाएं और अभियान चलाती रहती है. इसी कड़ी में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परशोत्तम रूपाला ने सागर परिक्रमा के सातवें चरण का आज गुरुवार को शुभारंभ किया है. परशोत्तम रूपाला ने सागर परिक्रमा के सातवें चरण का शुभारंभ केरल और लक्षद्वीप में किया है.
सागर परिक्रमा मछुआरों के लिए एक पहल
पीआईबी हिंदी के अनुसार, सागर परिक्रमा एक ऐसा कार्यक्रम है जो सरकार के दूर तक पहुंच बनाने की रणनीति को दर्शाता है. मछली उत्पादकों से सीधा संवाद कर तटीय क्षेत्रों के मछुआरों से जुड़ी समस्याओं को जानने के लिए इसकी शुरुआत की गई थी. सागर परिक्रमा मछुआरों के विकास में व्यापक रणनीतिक बदलाव लेकर आएगा. इसलिये जलवायु परिवर्तन और सतत विकास के साथ-साथ मछुआरों और मत्स्य पालकों के सर्वांगीण विकास और आजीविका पर इस सागर परिक्रमा के दूरगामी प्रभाव आने वाले चरणों में देखने को मिलेंगे.
बता दें कि केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री, परशोत्तम रुपाला ने मछुआरों, मत्स्य पालन किसानों और विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों से मिलने के लिए पूर्व-निर्धारित समुद्री मार्ग के माध्यम से पूरे देश के तटीय क्षेत्रों का दौरा करने के लिए "सागर परिक्रमा" की शुरुआत की. इसके साथ ही इसके तहत मछुआरों व अन्य हितधारकों के लाभ के लिए देश में मात्स्यिकी क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए उनके मुद्दों और सुझावों के बारे में उनसे सीधे बातचीत करने के लिए ये एक अनूठी पहल है.
सागर परिक्रमा छह चरण हो चुके हैं पूरे
"सागर परिक्रमा" के पहले चरण की यात्रा 5 मार्च 2022 को गुजरात के मांडवी से शुरू हुई थी और अब तक सागर परिक्रमा के छह चरणों में, गुजरात के तटीय क्षेत्रों, दमण और दीव, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और अंडमान व निकोबार द्वीप समूह में दौरा किया गया. सागर परिक्रमा का सातवां चरण केरल के तटीय क्षेत्रों और लक्षद्वीप के केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन को शामिल करेगा, जिसमें मैंगलोर, कासरगोड, मडक्करा, पल्लिक्कारा, चालियम, कान्हांगडु, कोझिकोड, माहे (पुडुचेरी), बेपोर, त्रिशूर, एर्नाकुलम, कोच्चि और लक्षद्वीप अर्थात् कवारत्ती, बंगरमंद अगत्ती आदि द्वीपों के दौरे शामिल हैं.
सागर परिक्रमा के सातवें चरण के लिए केरल का चयन क्यों किया गया
केरल में 590 किलोमीटर लंबा समृद्ध समुद्र तट उपलब्ध है और मत्स्य पालन क्षेत्र राज्य की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ मछुआरों और अन्य हितधारकों की सामाजिक-आर्थिक भलाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. राज्य में लगभग 222 समुद्री मछली पकड़ने के गांव हैं, जहां मछली पकड़ने और उससे जुड़े पहलू आबादी के एक बड़े हिस्से को आजीविका प्रदान करते हैं. केरल की जलीय जैव विविधता और मत्स्य संपदा 10 लाख से अधिक मछुआरों का पालन-पोषण करती है और वाणिज्यिक मछली पकड़ने, जलीय कृषि आदि सहित कई अतिरिक्त गतिविधियों में सहायता करती है.
ये भी पढ़ें: सागर परिक्रमा का शुभारंभ, मछली पालकों को मिलेगा नई दिशा, होगा बंपर मुनाफा
सागर परिक्रमा के सातवें चरण के लिए लक्षद्वीप का चयन क्यों किया गया
लक्षद्वीप में 4,200 वर्ग किलोमीटर की विशाल खाड़ी, 20,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रीय जल, 4,00,000 लाख वर्ग किलोमीटर का विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) मौजूद है, और लगभग 132 किलोमीटर की तटीय रेखा के साथ लक्षद्वीप के केंद्र शासित प्रदेश के आसपास का समुद्र, विशेष रूप से टूना मछली संसाधनों में पेलजिक मत्स्य संसाधनों से समृद्ध है.
सागर परिक्रमा के सातवें चरण का उद्देश्य
इसके तहत केंद्र सरकार और राज्य सरकार के प्रतिनिधि 8 से 12 जून, 2023 के दौरान केरल और केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप में सागर परिक्रमा कार्यक्रम में भाग लेंगे. सागर परिक्रमा कार्यक्रमों के दौरान प्रगतिशील मछुआरों, मत्स्य पालकों और मछली किसानों, युवा मत्स्य उद्यमियों आदि को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई), किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) से संबंधित प्रमाण पत्र/स्वीकृति प्रदान की जाएगी. योजनाओं के व्यापक प्रचार के लिए मछुआरों के बीच प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, वीडियो और डिजिटल अभियानों के माध्यम से प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना योजना, केंद्र शासित प्रदेश की योजनाओं, ई श्रम, मत्स्य पालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (एफआईडीएफ), किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) आदि पर साहित्य को लोकप्रिय बनाया जाएगा.
Source: PIB Hindi