बिहार जो देशभर में कई तरह की चीजों के लिए फेमस है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बिहार खुद से कभी तिल का उत्पादन नहीं करता है. लेकिन फिर भी बिहार का तिलकुट (Tilkut of Bihar) पूरी दुनिया में लोकप्रिय है. बिहार के किसान भाइयों के लिए कृषि विभाग ने अब एक अनोखी पहल की शुरूआत की है, जिसके तहत यहां के किसान आत्मनिर्भरता की तरह अपने कदम बढ़ाएंगे. तो आइए सरकार के इस प्लानिंग के बारे में विस्तार से जानते हैं...
10,000 एकड़ में तिल की सामूहिक खेती का लक्ष्य
कृषि विभाग ने बिहार के गया जिले में लगभग 10,000 एकड़ में तिल की सामूहिक खेती करने का लक्ष्य तय किया है. अपने इस लक्ष्य को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए गया के किसानों को निशुल्क बीज देने का ऐलान किया है. वर्तमान समय में गया के किसानों के लिए देश के अन्य राज्यों- राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल तिल का आयात किया जाता है. इसी सिलसिले पर ब्रेक लगाने के लिए सरकार ने राज्य में निशुल्क तिल प्लानिंग की है. बताया जा रहा है कि इस प्लान के मुताबिक, बिहार इस साल के अंत तक खुद ही तिल का उत्पादन करेगा और पूरी तरह से तिल उत्पादन (sesame production) में आत्मनिर्भर बन जाएगा.
कब से दिए जाएंगे निशुल्क बीज
बिहार कृषि विभाग ने खरीफ में 10,000 एकड़ की सामूहिक खेती (collective farming) के लक्ष्य को पूरा करने के लिए आज यानी 15 फरवरी से निशुल्क बीज की सुविधा दी जाएगी. आज से गया के गुरारू, बांके बाजार, इमामगंज समेत कई प्रखंडों पर बीज दिया जाएगा.
किसानों को मिलेगा अच्छा मुनाफा
सरकार की इस प्लानिंग के मुताबिक राज्य के किसान भाइय़ों की आय में कई गुणा वृद्धि देखने को मिलेगी. तिल की खेत करने के लिए सरकार के द्वारा दिए जाने वाले निशुल्क बीज के माध्यम से किसान 1 एकड़ खेत से लगभग 3 क्विंटल तक अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. जिसकी बाजार में अच्छी कीमत मिलती है. देखा जाए तो बाजार में तिल 120 से 150 रुपए प्रति किलोग्राम के दाम में बिकते हैं. ऐसे में हिसाब लगाया जाए तो आप 1 एकड़ खेत से 40,000 रुपए सरलता से कमा सकते हैं.
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