केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (CPRI) शिमला ने आलू की नई प्रजाति 'कुफरी किरण” विकसित की है. खास बात यह है कि कुफरी किरण अधिक तापमान सहने में भी सक्षम है साथ ही अधिक तापमान वाले क्षेत्रों के लिए यह बहुत उपयोगी साबित हो सकती है.
दरअसल आलू के कंद बनने के लिए रात का तापमान 8 से 20 डिग्री सेल्सियस तक होना आवश्यक होता है, जबकि यह प्रजाति इससे भी अधिक तापमान में कंद तैयार करने में सक्षम है. अधिक तापमान में भी यह प्रजाति अन्य किस्मों की उत्पादन देने वाली है.
किसानों के प्रयोग के लिए तैयार
ज्यादा गर्मी के कारण कई क्षेत्रों में आलू नहीं उगाया जा सकता है लेकिन अब गर्म क्षेत्रों में इस नई किस्म को किसान लगा सकते हैं, जिसके लिए सीपीआरआई ने इसे मंजूरी दे दी है. अब कुफरी किरण किसानों के प्रयोग के लिए तैयार है. विज्ञानिकों के अनुसार आलू की यह किस्म 100 से 120 दिन में तैयार हो जाती है.
कुफरी किरण आलू की उत्पादन क्षमता
वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई नई नवेली आलू की किस्म कुफरी किरण की उत्पादन क्षमता 25 टन प्रति हेक्टेयर है. जो कि बुवाई के 100 दिनों से लेकर 120 दिनों में तैयार हो जाती है. गर्म तापमान के प्रति सहनशील होने की वजह से इस किस्म की बुवाई खरीफ सीजन में भी आसानी से की जा सकती है.
आलू का आकार नहीं होगा प्रभावित
अक्सर आलू को तापमान में वृद्धि को देखते हुए पहले ही निकाल दिया जाता है, क्योंकि अधिक गर्मी की वजह से आलू का आकार प्रभावित होता है. इसके अलावा आलू को देर से उगाने पर और गर्मी पड़ने पर किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है. लेकिन अब नई कुफरी किरण की बुवाई से किसानों को नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा.
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नई किस्म विकसित होने में इतना लगता है वक्त
जब भी वैज्ञानिक आलू की कोई नई किस्म विकसित करते हैं तो उन्हें 8 से 10 साल का वक्त लग जाता है. जिसमें प्रजातियों/किस्मों की क्रॉस ब्रीडिंग और तत्वों की जांच की जाती है. अंत में सही मापदंड़ों पर खरा उतरने के बाद ही नई किस्म विकसित की जाती है.