Titar Farming: किसानों के लिए है बेहद फायदेमंद तीतर पालन, कम लागत में होगी मोटी कमाई ग्रीष्मकालीन फसलों का रकबा बढ़ा, 7.5% अधिक हुई बुवाई, बंपर उत्पादन होने का अनुमान Rural Business Idea: गांव में रहकर शुरू करें कम बजट के व्यवसाय, होगी हर महीने लाखों की कमाई आम को लग गई है लू, तो अपनाएं ये उपाय, मिलेंगे बढ़िया ताजा आम एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! Guar Varieties: किसानों की पहली पसंद बनीं ग्वार की ये 3 किस्में, उपज जानकर आप हो जाएंगे हैरान!
Updated on: 27 January, 2018 12:00 AM IST
Gram Crop

चने की फसल को फली छेदक कीट सर्वाधिक क्षति पहुंचाने वाला कीट है. किसान चना फली छेदक का प्रकोप उस समय समझ पाते हैं जब सुंडी बड़ी होकर चना की फसल को 5-7 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचा चुकी होती है.

इसके फलस्वरूप इस अवस्था में चना फली भेदक की सुंडी को नियंत्रण कर पाना काफी कठिन एवं महंगा होता है जिससे किसानों को आर्थिक क्षति होती है. उक्त् जानकारी देते हुए कृषि विज्ञान केंद्र पांती के कार्यक्रम समंवयक डॉ.रवि प्रकाश मौर्य ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि रसायन आकर्षण जाल (फेरोमोन ट्रैप) चने की फसल में चना फली भेदक की संख्या की निगरानी करने की एक विधि है. इस विधि दुवारा चना फली छेदक के प्रकोप का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है, जिससे समय से उपयुक्त फसल सुरक्षा उपाय करके फसल को आर्थिक क्षति से बचाया जा सकता है.

नर पतंगों का इस जाल में होना इस बात का पूर्वज्ञान देता है कि चना फली छेदक के पतंगे वातावरण में मौजूद हैं और आने वाले दिनों में चना फली छेदक का प्रकोप बढ़ सकता है. इस अवस्था में फसल सुरक्षा के उपयुक्त उपाय अपनाना चना फली छेदक कीट के नियंत्रण के लिए आवश्यक होता है. उन्होंने बताया कि टीन या प्लास्टिक की कीप की आकार का होता है, जिसके निचले भाग में एक मोमिया की थैली लगी रहती है.

इस जाल को डंडे से खेत में फसल से दो फीट की ऊंचाई पर लगाया जाता है. डॉ. मौर्य ने बताया कि चना की फसल में इस जाल का प्रयोग 4-5 जाल प्रति हेक्टेयर की दर से करना चाहिए व जाल में फंसे चना फली छेदक के नर पतंगे की नियमित निगरानी करनी चाहिए. जब 4-5 नर पतंगे एक यौन आकर्षण जाल में 4-5 रातों तक लगातार दिखें तो किसानों को फसल सुरक्षा उपायों की तैयारी तुरंत करनी चाहिए. इस जाल में लगे यौन रसायन गुटका या सैप्टा का रसायन 25- 28 दिनों में हवा उड़कर खत्म हो जाता है.

इसलिए समय-समय पर इसको बदलते रहना अति अनिवार्य है. औसतन 4-5 नर पतंगे प्रति गंधपास लगातार 2-3 दिन मिलने पर जैविक कीटनाशी 250 -300 मिली या बीटी की कसर्टकी प्रजाति एक किलोग्राम प्रति 500-600 लीटर पानी मे घोलकर प्रति हेक्टेअर की दर से छिड़काव करें.

साभार

दैनिक जागरण

English Summary: Save the gram crop from pod sprinkler insects
Published on: 27 January 2018, 12:15 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now