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Updated on: 15 September, 2025 4:10 PM IST
भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुपालन, विशेष रूप से बकरी पालन, एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. देश के लाखों किसान अपने परिवार की आजीविका और आर्थिक समृद्धि के लिए इस पर निर्भर रहते हैं. पारंपरिक बकरी नस्लों के साथ जुड़ी समस्याएं जैसे कम वजन, कम प्रजनन दर और रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी लंबे समय से किसानों के लिए चुनौती बनी हुई थीं. लेकिन अब किसानों ने मेहनत, अनुभव और वैज्ञानिक नवाचार का मिश्रण कर कुछ ऐसी खास नस्लों को तैयार किया है, जो इन सभी चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करती हैं. इन्हीं में से दो प्रमुख नस्लें हैं - ‘सम्राट’ और ‘सोनपरी’. ये दोनों नस्लें अपनी बेहतर उत्पादन क्षमता, रोग प्रतिरोधकता और विशेष शारीरिक विशेषताओं के कारण तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं. इस लेख में हम जानेंगे कि इन नस्लों की क्या खासियत है, वैज्ञानिक प्रमाण क्या हैं, और कैसे ये नस्लें बकरी पालकों के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव ला रही हैं.

सम्राट नस्ल: मेहनत और विज्ञान का संगम

‘सम्राट’ नामक बकरी नस्ल किसानों और वैज्ञानिकों की साझा मेहनत का एक बेहतरीन उदाहरण है. पारंपरिक नस्लों में जहां छोटे आकार और कम उत्पादन की समस्याएं आम थीं, वहीं सम्राट नस्ल इन कमियों को दूर करती है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. वंदना और उनकी टीम द्वारा दो साल पहले बुंदेलखंड क्षेत्र में इस नस्ल की पहचान की गई, जिसके बाद वैज्ञानिक तरीके से इसका अध्ययन और मूल्यांकन किया गया. इस नस्ल को औपचारिक रूप से पेटेंट और वैज्ञानिक मान्यता भी मिल चुकी है.

सम्राट नस्ल की मुख्य विशेषताएं:

  • वजन: एक वयस्क सम्राट बकरी का वजन 50 किलो से अधिक पाया गया है, जो आम बकरी नस्लों से काफी अधिक है.

  • प्रजनन क्षमता: यह नस्ल वर्ष में दो बार बच्चे देती है, जिससे उत्पादन क्षमता दोगुनी हो जाती है.

  • बच्चों की जीवित रहने की दर: इस नस्ल के बच्चों की सोहम (Survival) और मिंटिंग दर 80% से अधिक है, जो उच्च गुणवत्ता और स्वास्थ्य का संकेत है.

  • बच्चों का वजन: सम्राट नस्ल के बच्चों का वजन भी जन्म के समय से ही अन्य नस्लों की तुलना में अधिक होता है, जिससे उनका विकास तेज होता है.

इन विशेषताओं की वजह से IVRI ने इस नस्ल को एक नई स्वदेशी नस्ल के रूप में दर्ज किया है, जो भविष्य में देश के अन्य हिस्सों में भी किसानों के लिए फायदेमंद सिद्ध हो सकती है.

सोनपरी नस्ल: रोग प्रतिरोधकता और उच्च प्रजनन की मिसाल

सोनपरी’ नस्ल की बकरी भी बकरी पालन के क्षेत्र में एक उत्कृष्ट विकल्प के रूप में उभरी है. इस नस्ल को उसकी खास प्रजनन क्षमता, रोगों से लड़ने की ताकत और पोषण से भरपूर दूध के लिए जाना जाता है.

डॉ. वंदना के अनुसार, सोनपरी नस्ल की बकरी विशेष रूप से बकरी पालकों के लिए लाभकारी है, क्योंकि यह औसतन 2 से 3 बच्चों को जन्म देती है, लेकिन 22% मामलों में चार बच्चे भी देती है, जो कि अन्य नस्लों में दुर्लभ है.

सोनपरी नस्ल की प्रमुख खूबियां:

  • उच्च प्रजनन दर: 22% मामलों में 4 बच्चे देना, बकरी पालन को अत्यधिक लाभदायक बनाता है.

  • रोग प्रतिरोधक क्षमता: इस नस्ल में अन्य बकरी नस्लों की तुलना में काफी बेहतर रोग प्रतिरोधकता पाई गई है, जिससे इसके पालन में दवाइयों और इलाज पर कम खर्च होता है.

  • दूध की गुणवत्ता: सोनपरी नस्ल के दूध में फैट की मात्रा अधिक होती है, जिससे उसका दूध अधिक पौष्टिक होता है और इसकी बाजार में मांग भी अधिक रहती है.

  • मांस की गुणवत्ता और कीमत: इस नस्ल का मांस स्वादिष्ट और उच्च गुणवत्ता वाला होता है, जिसकी वजह से इसका मीट अन्य नस्लों की तुलना में ₹200 प्रति किलो अधिक कीमत पर बिकता है.

सोनपरी नस्ल की पहचान कैसे करें?

अगर आप बाजार में सोनपरी नस्ल के बकरा या बकरी खरीदना चाहते हैं, तो इसकी पहचान करना आसान है. वैज्ञानिकों ने इसके कुछ खास लक्षण बताए हैं:

  • शरीर पर बड़ी ग्रेज़ (धारीदार या पैचदार रंग) होते हैं.

  • गर्दन से पूंछ तक पीठ की हड्डी पर काले रंग के बालों की सीधी रेखा होती है.

  • बालों में काले रंग की गोल रिंग (रिंग पैटर्न) दिखाई देती है.

  • मध्यम आकार की आंखें होती हैं.

  • कान और पीठ के ऊपरी हिस्से पर धूप में नीले रंग की झलक के साथ काले बाल होते हैं.

ये सभी शारीरिक विशेषताएँ सोनपरी नस्ल को अन्य सामान्य नस्लों से अलग और पहचानने में आसान बनाती हैं.

किसानों के लिए इन नस्लों का महत्व

भारत में बकरी पालन खासकर छोटे और सीमांत किसानों के लिए एक सस्ता और लाभकारी व्यवसाय है. सम्राट और सोनपरी जैसी नस्लों के आने से किसानों को अब:

  • कम समय में अधिक उत्पादन मिल रहा है,

  • रोगों की वजह से होने वाले नुकसान में कमी आई है,

  • और सबसे महत्वपूर्ण, बाजार में बेहतर कीमत मिल रही है.

इसके अलावा इन नस्लों की विशेषताओं को देखते हुए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इनकी मांग बढ़ रही है, जिससे निर्यात की संभावनाएं भी मजबूत हो रही हैं.

English Summary: Samrat and Sonpari goat breeds transforming Indian goat farming and farmers prosperity
Published on: 15 September 2025, 04:24 PM IST

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