मिट्टी का विनाश एक वैश्विक खतरा बनकर उभर रहा है. 'मिट्टी का विलुप्त होना' मानवता के लिए अभी सबसे गंभीर खतरा है. हमारी धरती भोजन उगाने की अपनी क्षमता खो रही है. यूएन-एफएओ ने अनुमान लगाया है कि अगर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है, तो हमारे पास खेती योग्य मिट्टी सिर्फ 60 साल के लिए बची है. यही वजह है कि सद्गुरु के "सेव सॉइल मिशन" पर तेज़ी से जोर दिया जा रहा है.
मिट्टी को बचाने के लिए एक यात्रा
सद्गुरु ने एक अकेले मोटरसाइकिल सवार के रूप में 100-दिन की 30,000 किमी की 'मिट्टी बचाने की यात्रा' मार्च में शुरू की थी. हमारी नष्ट होती मिट्टी की ओर दुनिया का ध्यान खींचने, और सारे देशों में नीतिगत कार्यवाही को लागू करने के मकसद से, यह यात्रा ज्यादतर यूरोप, मध्य-एशिया और मध्य-पूर्व से गुजर चुकी है.
यात्रा के दौरान, सद्गुरु ने प्रत्येक देश में राजनीतिक नेताओं, मिट्टी के विशेषज्ञों, नागरिकों, मीडिया कर्मियों और प्रभावकारी व्यक्तियों से मुलाकात की है, उन्हें मिट्टी के विलुप्त होने से निपटने की तत्काल आवश्यकता के बारे में जागरूक किया है. एक शानदार अनुक्रिया प्राप्त करते हुए, मिट्टी बचाओ अभियान पहले ही 2 बिलियन से अधिक लोगों को प्रभवित कर चुका है, जिसमें 74 देश मिट्टी को बचाने के लिए कार्य करने के लिए सहमत हुए हैं.
PM Modi का मिला समर्थन
विश्व पर्यावरण दिवस (5 June, 2022) के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विज्ञान भवन में एक कार्यक्रम में ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु के नेतृत्व में मिट्टी बचाओ आंदोलन की सराहना की. इस कार्यक्रम में, जिसमें प्रधानमंत्री और सद्गुरु ने नेताओं, राजनेताओं और प्रभावशाली लोगों को संबोधित किया था, और इनका उद्देश्य मिट्टी के विलुप्त होने के गंभीर मुद्दे और स्थिति को उलटने के लिए नीतिगत कार्रवाई की आवश्यकता को सामने लाना था.
प्रधानमंत्री ने मिट्टी बचाओ आंदोलन के लिए अपना तहे दिल से समर्थन और प्रोत्साहन व्यक्त किया. आंदोलन को मानवता की बहुत बड़ी सेवा बताते हुए प्रधानमंत्री ने सद्गुरु की मोटरसाइकिल यात्रा की कड़ी सराहना भी की. उन्होंने यह विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि इस यात्रा के कारण दुनिया में मिट्टी के प्रति स्नेह विकसित होगा.
यह कार्यक्रम 27 देशों में सद्गुरु की 100 दिन की अकेली मोटरसाइकिल जर्नी फॉर सॉयल के 75वें दिन का भी प्रतीक है. अब तक यह आंदोलन 2.5 अरब लोगों को छू चुका है, जबकि 74 देश अपने राष्ट्र की धरती को बचाने के लिए कार्य करने पर सहमत हुए हैं. भारत में 15 लाख से अधिक बच्चों ने प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखकर देश की मिट्टी और उनके सामूहिक भविष्य को बचाने के लिए कार्रवाई करने का अनुरोध किया है.
सद्गुरु ने व्यक्त किया कि एक समाधान को साकार करने के लिए, सभी नागरिकों को खड़ा होना चाहिए और इसे संबोधित करने के लिए सरकार द्वारा आवश्यक दीर्घकालिक पहल का समर्थन करना चाहिए. वह कहते हैं कि "क्या हम राष्ट्र के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहते हैं, किसानों की आय में वृद्धि करना चाहते हैं, जैव विविधता को बढ़ाना चाहते हैं और अपनी मिट्टी में जीवंतता वापस लाना चाहते हैं, मिट्टी को बचाना बहुत महत्वपूर्ण है." इसपर उन्होंने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि वे इस दिशा में गतिशील कदम उठाएं.
तीन-चरणों वाला तरीका
हममें से ज्यादातर लोग, जलवायु परिवर्तन, कार्बन उत्सर्जन, ग्लोबल वार्मिंग, वायु प्रदूषण, और पानी की कमी जैसे शब्दों और अवधारणाओं से परिचित हैं. लेकिन बहुत कम लोगों ने मिट्टी पर ध्यान दिया है. अभियान का अति महत्वपूर्ण उद्देश्य कृषि-भूमि में 3-6 प्रतिशत जैविक तत्व को सुनिश्चित करना है, जिसे तीन-चरणों वाली व्यावहारिक रणनीति से हासिल किया जा सकता है.
- न्यूनतम 3-6 प्रतिशत जैविक तत्व की सीमा हासिल करने हेतु आकर्षक प्रोत्साहन के जरिए किसानों के लिए एक आकांक्षा बनाया जाए.
- किसानों को कार्बन क्रेडिट प्रोत्साहन देना भी बहुत जरूरी है. कार्बन क्रेडिट के लाभ को प्राप्त करने की वर्तमान प्रक्रिया किसानों के लिए बहुत जटिल है, इसलिए इसमें महत्वपूर्ण सरलीकरण की जरूरत है.
- 3-6 प्रतिशत जैविक तत्व वाली मिट्टी से उगाए गए भोजन के लिए बेहतर गुणवत्ता का चिन्ह विकसित करना महत्वपूर्ण है. जो बस तथाकथित 'जैविक उत्पाद और 'गैर-जैविक उत्पाद के बीच अंतर करने की कोशिश करेगा.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि तेजी से खराब होती मिट्टी पर्यावरण का संकट नहीं है बल्कि यह हमारे अस्तित्व के लिए खतरा है. इसीलिए निम्न आंकड़ों से हमें चेतावनी को समझना चाहिए:
- कृषि और किसान कल्याण विभाग के मुताबिक भारत की 63 प्रतिशत मिट्टी बहुत अधिक खराब है जिसमें जैविक कार्बन 0.5 प्रतिशत से कम है.
- अगले 20 सालों में, 9.3 अरब लोगों के लिए 40 प्रतिशत कम भोजन उगा पाने की उम्मीद है.
- कमजोर मिट्टी से भोजन में पोषण कम हो जाता है. हम आज जो फल और सब्जी खाते हैं, उनमें पहले ही पोषण 90 प्रतिशत कम हो गया है.
- खराब हुई जमीन में अक्सर पानी को थामने की क्षमता कम होती है, जिससे बाढ़ और तीव्र हो जाती है.
क्या आप जानते हैं कि मिट्टी एक जीवित इकाई है?
एक आम गलतफहमी है कि मिट्टी बस कुछ खनिजों के साथ पत्थर की धूल है. यहां तक कि लोग शब्दों के इस्तेमाल में 'गंदगी', 'रेत' और 'मिट्टी' में फर्क नहीं कर पाते हैं. लेकिन यह जैविक पदाथों, खनिजों, गैसों, द्रवों, और सूक्ष्मजीवी जीवन का एक जटिल सहजीवी सिस्टम है जो जीवन को सहारा देता है. खाद और सूक्ष्मजीवी जीवन के रूप में जैविक सामग्री के बिना मिट्टी निष्क्रिय रेत में बदल जाती है. समृद्ध जीवित मिट्टी ही जीवन के लिए महत्वपूर्ण है.
- हमारे भोजन का 95 प्रतिशत, कीमती ऊपरी मिट्टी से आता है. मिट्टी नहीं तो भोजन नहीं.
- खेती की जरूरत के पानी का 90 प्रतिशत मिट्टी से आता है. दुनिया के कई हिस्सों में पानी के संकट के हल के लिए समृद्ध मिट्टी महत्वपूर्ण है.
- मिट्टी में जमा कार्बन, जीवित पौधों का तीन गुना, और वातावरण का दो गुना है, जिसका मतलब है कि मिट्टी कार्बन को पृथक करने के लिए जरूरी है.
आप कैसे मदद कर सकते हैं?
मृदा विलुप्त होने के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए निम्नलिखित में से किसी भी तरीके से योगदान करें:
- सेव सॉयल के बारे में पोस्ट करें और अपने सोशल मीडिया पेज जैसे इंस्टाग्राम, ट्विटर और फेसबुक पर दैनिक हाइलाइट साझा करें.
- अपने शहर में मिट्टी बचाओ कार्यक्रम में भाग लें, या अपने शहर या संगठन में एक आयोजन करें.
- देश की धरती की रक्षा करने वाली दीर्घकालिक नीतियों को लागू करने के महत्व को व्यक्त करते हुए अपने मुख्यमंत्री या प्रधान मंत्री को पत्र लिखें.
- अपने दोस्तों, परिवार और नेटवर्क को मिट्टी बचाओ और पृथ्वी की मिट्टी की रक्षा के लिए दीर्घकालिक नीतियों के महत्व के बारे में बात करने के लिए कहें.
- हमारी धरती की स्थिति के बारे में प्रचार करने के लिए मीडिया की शक्ति का उपयोग करें.
अब तक की कुछ उपलब्धियां
- अंतर्राष्ट्रीय संगठन जो पारिस्थितिक कार्रवाई का नेतृत्व कर रहे हैं, जैसे कि इंटरनेशनल यूनियन ऑफ कंजर्वेशन ऑफ नेशंस (आईयूसीएन) और यूनाइटेड नेशंस (यूएन) एजेंसियां - यूनाइटेड नेशंसर कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (यूएनसीसीडी), वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (डब्ल्यूएफपी) और यूनाइटेड नेशंस एनवायर्नमेंटल प्रोग्राम (यूएनईपी) अभियान के साथ साझेदारी करने के लिए आ चुके हैं.
- 6 कैरिबियाई देशों, अजरबैजान, यूएई सहित कई देशों को मिट्टी की सुरक्षा के लिए नीतियां बनाने के लिए "मिट्टी बचाओ" के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करते हुए देखा है.
- 54 राष्ट्रमंडल राष्ट्र(कामनवेल्थ ऑफ़ नेशंस ), और साथ ही यूरोपीय संघ और कई अखिल यूरोपीय संगठन भी मिट्टी बचाओ अभियान का समर्थन करने के लिए आगे आए हैं.
- अब तक 464+ इवेंट और इंटरव्यू हो चुके हैं.
- सबसे प्रभावशाली अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी इस्लामी संगठनों में से एक, मुस्लिम वर्ल्ड लीग ने मिट्टी को विलुप्त होने से बचाने के वैश्विक आंदोलन के लिए अपना समर्थन देने का वादा किया है.
- दुनिया भर के हजारों प्रभावकारी व्यक्ति, मशहूर हस्तियां, खिलाड़ी, पत्रकार और वैज्ञानिक अपनी आवाज उठाने और मिट्टी के विलुप्त होने के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए आगे आए हैं.
- गुजरात मिट्टी बचाने के लिए ईशा आउटरीच के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाला पहला भारतीय राज्य बन गया, जबकि राजस्थान दूसरा राज्य बन गया.
- यात्रा के दौरान सभी शहरों में मिट्टी बचाओ कार्यक्रमों को कवर 260 से अधिक मीडिया आउटलेट्स के साथ इस आंदोलन को दुनिया भर के लोगों से भारी प्रतिक्रिया मिली है.
- 10 लाख से अधिक छात्रों ने भारत में अपने मंत्रियों को पत्र लिखकर मिट्टी के पुनर्जीवन के लिए कार्रवाई करने का अनुरोध किया है.
भारत में मिट्टी बचाओ यात्रा
सदगुरु इस महीने के अंत में भारत पहुंचेंगे और 25 दिनों में 9 राज्यों की यात्रा करेंगे. मिट्टी बचाओ अभियान यात्रा कावेरी नदी के बेसिन में समाप्त होगी, जहां सदगुरु द्वारा शुरू की गई कावेरी कॉलिंग परियोजना ने 1,25,000 किसानों को मिट्टी और कावेरी नदी को पुनर्जीवित करने के लिए 62 मिलियन पेड़ लगाने में सक्षम बनाया है.
- जयपुर, राजस्थान 3 जून|6:30 बजे|जयपुर प्रदर्शनी और कन्व.सेंटर मीडिया संपर्क: 94137 79369
- हैदराबाद, तेलंगाना 15 जून| शाम 4:30 बजे [गचीबोवली इंडोर स्टेडियम मीडिया संपर्क: 9177747409,9618954075
- दिल्ली 5 जून|शाम 6 बजे| इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम मीडिया संपर्क: 9487475346,9953889669,7992292074
- लखनऊ, यूपी 7 जून | शाम 6:30 | वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर मीडिया संपर्क: 93352 99771
- बैंगलोर, कर्नाटक 19 जून || am|त्रिपुरवासिनी, पैलेस ग्राउंड मीडिया संपर्क: 9663326770, 93799 0119
- मैसूर, कर्नाटक 20 जून|शाम 4 बजे|चामुंडी विहार इंडोर स्टेडियम मीडिया संपर्क: 9663326770, 93799 0091
- मुंबई, महाराष्ट्र 12 जून/शाम 7 बजे|जियो कन्वेंशन सेंटर मीडिया संपर्क: 9920774111, 9870001123
- कोयंबटूर, तमिलनाडु 21 जून|शाम 4 बजे|ईशा योग केंद्र