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Updated on: 23 June, 2020 12:43 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रवासी मजदूरों को उनके गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराने को ध्यान में रखकर ‘गरीब कल्याण रोजगार अभियान’ योजना की शुरूआत की है. 6 राज्यों के उन 116 जिलों में यह योजना चलेगी जहां प्रवासी मजदूरों की संख्या 25 हजार से ज्यादा है. लेकिन इस योजना के अंतर्गत पश्चिम बंगाल को शामिल नहीं करने पर शोरगुल शुरू हो गया है. पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी दल कांग्रेस तथा वाममोर्चा अपने सारे मतभेदों को भुलाकर एकजुट हो गए हैं. हालांकि बंगाल में कांग्रेस और माकपा दोनों विपक्षी पार्टियां तृणमूल कांग्रेस प्रमुख व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का विरोध करती रही हैं. लेकिन राज्य के प्रवासी मजदूरों की उपेक्षा करने पर वे एकजुट होती नजर आ रही हैं. प्रवासी मजदूरों को गरीब कल्याण योजना का लाभ दिलाने के लिए बंगाल के सत्तापक्ष व विपक्ष मिलकर केंद्र पर दबाव डालेगा. जाहिर है पश्चिम बंगाल में मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में उभर रही भाजपा खुद को इससे अलग रख सकती है. प्रदेश भाजपा अन्य राज्यों से प्रवासी मजदूरों को बुलाने के लिए मुख्यमंत्री पर पर्याप्त ट्रेन चलाने की अनुमति नहीं देने का आरोप लगा चुकी है. भाजपा ने कोरोना मामले में तथ्य छुपाने से लेकर गरीबों को राशन वितरण करने तक में ममता बनर्जी सरकार पर भेद-भाव करने का आरोप लगाई है.

पश्चिम बंगाल को गरीब कल्याण योजना से वंचित रखने का मामला राजनीतिक स्तर पर तूल पकड़ने लगा है. लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर चौधरी ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बंगाल के प्रवासी मजदूरों की समस्या की ओर उनका ध्यान आकृष्ट किया है. साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी पत्र लिखकर इस मुद्दे पर केंद्र पर दबाव बनाने की सलाह दी है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी ने ट्वीट किया है- लॉकडाउन के  बाद पश्चिम बंगाल में 11 लाख प्रवासी मजदूर अन्य राज्यों से लौटे हैं. लेकिन उन्हें गरीब कल्याण रोजगार योजना का लाभ पाने से वंचित कर दिया गया. बंगाल की जनता के प्रति केंद्र की यह उदासीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी.कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अब्दुल मन्नान ने कहा है कि भाजपा बंगाल विरोधी है. इसलिए गरीब कल्याण योजना के अंतगर्गत बंगाल के एक भी जिला को शामिल नहीं किया गया. वाममोर्चा विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा है कि गरीब कल्याण योजना का लाभ बंगाल के प्रवासी मजूदरों को नहीं देना अनुचित है. माकपा इस पर केंद्र का विरोध करेगी. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी मजदूरों का हक दिलाने के लिए केंद्र से लड़ाई करनी होगी.

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पहली बार किसी मुद्दे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को विपक्षी पार्टी कांग्रेस और वाममोर्चा का समर्थन मिला है. विपक्षी दलों को विश्वास में लेने के लिए ममता ने बुधवार 24 जून को इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाई है. राज्य सचिवालय नवान्न में होने वाली सर्वदलीय बैठक में भाग लेने के लिए सरकार की ओर से सभी दलों के नेताओं को पत्र भेजा गया है. विधानसभा में प्रतिनिधित्व करने वाले सभी दलों के प्रतिनिधिय़ों को सर्वदलीय बैठक में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है. भाजपा को भी आमंत्रित किया गया है. मुख्यमंत्री ने खुद विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान, वाममोर्चा के चेयरमैन विमान बोस और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष को भी फोन कर बैठक में शामिल होने का अनुरोध किया है.

उल्लेखनीय है कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रवासी मजदूरों को उनकी दक्षता के अनुसार गांव में ही रोजगार देने के उद्देश्य से गरीब कल्याण रोजगार अभियान जना शुरू करने की घोषणा की है. इसके तहत प्रवासी मजदूरों को उनके गांव में ही 125 दिनों का रोजगार मिलेगा. इसके लिए सरकार ने 50 हजार करोड़ रुपए आवंटित किए है. इस योजना के तहत जिन 6 राज्यों को शामिल किया गया है उसमें बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदे, राजस्थान और ओड़िशा का नाम है. इन छह राज्यों के 116 जिलों में प्रवासी मजदूकों को इस योजना का लाभ मिलेगा. इस योजना का लाभ पाने के लिए मजदूरों को संबंधित राज्य का निवासी होना चाहिए. उसके पास आधार कार्ड और निवास प्रमाण पत्र भी होना चाहिए. 18 वर्ष से अधिक उम्र के मजदूर काम पाने के हकदार होंगे. सड़क, पानी, बिजली, ढांचागत सुविधाएं, वृक्षारोपण, सरकारी आवास निर्माण और ग्रमीण विकास से जुड़ी सरकारी योजनाओं में मजूरों को काम मिलेगा. संबंधित राज्य सरकारों के अधिकारी श्रमिकों की मजदूरी का भुगतान करेंगे.

English Summary: Ruckus in Bengal state over denial of poor welfare employment scheme
Published on: 23 June 2020, 12:52 PM IST

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