तेल विपणन कंपनियों की तरफ से लगातार की जा रही डीज़ल और पेट्रोल कीमतों में बढ़ोतरी, किसानों के लिए मुश्किल का सबब बन सकती है. देश में बढ़ती डीज़ल-पेट्रोल की कीमत की बात करें तो अपडेट के मुताबिक शनिवार (27 जून) को लगातार 21वें दिन इसमें बढ़ोत्तरी देखी गयी है. रिपोर्ट्स के मुताबिक पेट्रोल के दाम में 25 पैसे प्रति लीटर और डीजल के दाम में 21 पैसे लीटर की बढ़त दर्ज की गई है. इस तरह बढ़े हुए petrol-diesel prices की वजह से यह भी उम्मीद जताई जा रही है कि खरीफ सीजन 2020 की फसल बुवाई के लिए किसानों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है. खेत की जुताई और बुवाई के साथ संबंधित सभी कृषि कार्यों का खर्चा बढ़ सकता है.
वहीं अगर राष्ट्रीय राजधानी में डीजल की कीमत की बात करें तो यह पेट्रोल की कीमत से भी अधिक बनी हुई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक ऐसा पहली बार हुआ है जब दिल्ली में डीजल की कीमत (diesel prices in delhi) पेट्रोल कीमत को भी मात दे गयी. राजधानी में पेट्रोल 80.38 रुपये प्रति लीटर की दर से बिक रहा है तो वहीं डीजल की कीमत 80.40 रुपये प्रति लीटर की दर पर आ चुकी है. डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी इस बार खरीफ फसलों की बुवाई (kharif sowing season 2020) का खर्च हर तरह से बढ़ा सकती है.
ये खबर भी पढ़ें: कृषि श्रमिकों के पलायन एकमात्र विकल्प है धान की सीधी बुवाई
आपको बता दें कि भारत के अलग-अलग राज्यों में वैट (VAT) की दर अलग होने की वजह से पेट्रोल और डीजल के दाम में अंतर आ सकता है. खरीफ फसलों की बुवाई का समय जहां आ चुका है वहीं ऐसे में डीजल की बढ़ती कीमत किसानों के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है. फसल उत्पादन के बाद भी उपज को मंडी में ले जाकर बेचना भी, उनका खर्च बढ़ा सकता है.ऐसे में किसान संगठनों द्वारा डीजल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी को देखते हुए फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी (MSP) को भी भी बढ़ाये जाने की बात कही गयी है.