धान या कहें चावल इसका मनुष्य जीवन में एक अलग ही स्थान है, दुनिया का लगभग हर तीसरा इंसान इसका सेवन किसी न किसी रूप में करता है. हिन्दु धर्म में तो चावल को पूजा पाठ के लिए उपयोग में लाया जाता है. भारत में धान की बहुत सी किस्में पाई जाती है, आज हम आपको कुछ ऐसी किस्मों के बारें में बताएंगे जो भारत में उथली निचली भूमि पारिस्थितिकी में उगाई जाती है जिनमें पूजा, और रीता शामिल है.
पूजा (सीआर-629-256)
पूजा (सीआर-629-256) धान की एक किस्म है, जो कि एक लम्बी अवधि तकरीबन 150 दिनों में पकने वाली फसल है. यह एक छोटी ऊंचाई वाला पौधा है जिसकी ऊंचाई 90 से 95 सेंटीमीटर होती है. इसे ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम तथा मध्य प्रदेश के उथली निचलीभूमि क्षेत्रों में खेती के लिए वर्ष 1999 में उपयोग में लाया गया. इसका दाना मध्यम पतला होता है, तो वहीं इसकी उत्पादकता 5.0 टन प्रति हेक्टेयर होती है. यह पूजा नस्ल सेहत के लिए काफी लाभदायक मानी जाती है,
सभी प्रमुख रोगों और कीटों के प्रति लड़ने में काफी सहनशील तथा कारगर है. यह किस्म पुरानी पौध की देरी से रोपाई के लिए उपयुक्त है और इसमें 25 सेमी तक जलभराव की स्थिति को सहन करने की क्षमता है.
रीता (सीआर 780-1937-1-3)
रीता धान की फसल भी विलंब अवधि में (145-150 दिन) पकती है, यह एक अर्ध बौनी (110 सेंटीमीटर) किस्म है. इसे ओडिशा, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु तथा आंध्र प्रदेश के उथली निचलीभूमि क्षेत्रों में खेती के लिए क्रमश: वर्ष 2010 में विमोचित (released) किया तथा 2011 में अधिसूचित किया गया है. इसका दाना मध्यम पतला है एवं औसत उत्पादकता 5.05 टन प्रति हेक्टेयर है.
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इसमें लीफ ब्लास्ट, नेक ब्लास्ट, शीथ रोट, शीथ ब्लाइट, ब्राउन स्पॉट, तना बेधक और लीफ फोल्डर के लिए फील्ड से लड़ने की क्षमता है. यह लगभग एक सप्ताह तक जलमग्न को सहन कर सकता है.