केंद्र सरकार ने चार राज्यों में 60 राशन दुकानों को “जन पोषण केंद्र” या सार्वजनिक पोषण केंद्रों के रूप में परिवर्तित करने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू की है ताकि उनकी व्यवहार्यता बढ़ाई जा सके और पोषणयुक्त भोजन तक लोगों की पहुंच में सुधार हो सके. केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने मंगलवार को इस योजना की शुरुआत करते हुए बताया कि कुछ इलाकों में राशन की दुकानें महीने में सिर्फ 8-9 दिनों के लिए ही खुलती हैं, जबकि कुछ दुकानों को हर तीन महीने में केवल एक बार खोला जाता है, और बाकी समय वे बंद रहती हैं.
उन्होंने कहा कि चूंकि एफपीएस (Fair Price Shops) के डीलरों के लिए मौजूदा कमीशन संरचना पर्याप्त नहीं है, इसलिए दुकान की जगह और कर्मचारियों का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए वैकल्पिक उपायों की जरूरत पड़ी.
उपभोक्ताओं और राशन डीलरों दोनों के लिए होगा लाभकारी
केंद्र ने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले, गुजरात के अहमदाबाद, राजस्थान के जयपुर और तेलंगाना के हैदराबाद में 15-15 उचित मूल्य की दुकानों (एफपीएस) को 'जन पोषण केंद्र' में बदलने के लिए चुना है, जिनकी कुल संख्या 60 होगी. इस पायलट परियोजना के तहत, एफपीएस डीलरों को रियायती अनाज के अलावा मिलेट्स, दालें, डेयरी उत्पाद और अन्य दैनिक आवश्यक वस्तुओं की खुदरा बिक्री करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. उन्होंने कहा, "यह परिवर्तन उपभोक्ताओं और राशन डीलरों दोनों के लिए लाभकारी होगा."
मंत्री ने आगे कहा कि जन पोषण केंद्रों से उचित मूल्य की दुकानों (एफपीएस) के डीलरों की आय बढ़ाने की मांग का समाधान होगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि ये केंद्र उपभोक्ताओं को पोषण से भरपूर खाद्य पदार्थों की विविध श्रृंखला प्रदान करेंगे. यदि यह पायलट प्रोजेक्ट सफल होता है, तो सरकार सभी 5.38 लाख राशन दुकानों को जन पोषण केंद्रों में बदलने की योजना बना रही है, क्योंकि इसके लिए जनता की प्रतिक्रिया बहुत महत्वपूर्ण है.
100 दिनों का कार्यक्रम
खाद्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "जन पोषण केंद्र, जिसे केंद्र सरकार के पहले 100 दिनों के कार्यक्रम के तहत शुरू किया गया है, में 50 प्रतिशत उत्पादों को पोषण श्रेणी के अंतर्गत संग्रहीत करने की व्यवस्था होगी, जबकि बाकी जगह पर अन्य घरेलू सामान रखे जाएंगे.”