भारत में मछली पालन, उसके तटीय राज्यों का एक प्रमुख उद्योग है. अगर शहरों और गांवों में पारम्परिक तरीकों से मछली पालन की बात करें तो कई ऐसे गाँव हैं, जहाँ मछली पकड़ने का रोजगार किया जाता है. भारत में ताजे और स्वच्छ जल संसाधनों में नदियां, नहरें, छोटे और बड़े जलाशय, तालाब और झीलों का क्षेत्रफल बहुत ही विस्तृत रहा है, ऐसे में भारत के लिए मछली पालन एक बेहतर आय और रोजगार का स्रोत बन सकता है, लेकिन इस क्षेत्र में पूर्ण जानकारी के आभाव की वजह से लोग इस क्षेत्र में निवेश करने से कतराते आए हैं.
ऐसे में आइए गजियाबाद के मछली पालक रजनीस कुमार से जानते हैं, मछली पालन बिजनेस में कैसे निवेश कर मुनाफा कमा सकते हैं. रजनीश के मुताबिक, कोई भी व्यापार शुरू करने के लिए जरुरी होता है पैसा, पैसा या तो आप बैंकों से लेते हैं या बाजारों से उठाते हैं.
आज के दौर में बैंकों से पैसे लेना सही और समझदारी भरा निर्णय माना जाता है. रजनीश कुमार ने बताया की आप कैसे सही प्रोजेक्ट रिपोर्ट बना कर बैंकों से पैसे ले सकते हैं. प्रोजेक्ट रिपोर्ट के लिया आपको अपने CA की मदद लेनी होगी, क्योंकि सही तरह से बनाई गयी प्रोजेक्ट रिपोर्ट काफी महत्व रखता है.
सही प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाना कोई कठिन काम तो नहीं है, लेकिन इस विषय में पूरी जानकारी होना अत्यंत जरुरी है. सही प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने के लिए आपको एक CA की जरुरत पड़ेगी जो की आपकी कंपनी को पूरी तरह से विश्लेषण कर उसका खाका तैयार करेगा, जिसके आधार पर आपको बैंक से कितना और किस इंट्रेस्ट पर लोन मिलेगा यह तय होगा. इस लिए किसी भी स्टार्टअप बिज़नेस के लिए प्रोजेक्ट रिपोर्ट काफी मायने रखता है. खाका तैयार करवाने के दौरान मछली पालकों को ये सभी जानकारी अपने CA को देनी होती है तभी जाकर CA सही और सटीक प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने में सफल होता है.
इन बिंदुओं पर बनाए अपना प्रोजेक्ट रिपोर्ट
-मशीनरी: आपके बिज़नेस में काम आने वाली उपकरणों का नाम, जिसकी आपके बिज़नेस को आवश्यकता है. जैसे- खेती के लिए ट्रैक्टर इत्यादि.
-रॉ मटेरियल : कौन-कौन से कच्चे माल की आपके कंपनी को जरुरत है. जैसे- मछली पालन में ज़ीरे की जरुरत होती है. साथ ही उसके खान पान और दवा की सूची
-सेल इस्टीमेट : यानि आने वाले दिनों में कितना सामान बिकेगा उसका पूरा आंकड़ा. रजनीश के मुताबिक कोई भी बिज़नेस मैन, बिज़नेस शुरू करने से पहले मार्केट की सर्वे करता है कि आने वाले दिनों में बिज़नेस का सेल कितना बढ़ेगा या घटेगा. उसी के आधार पर उसे अपने CA को आंकड़ा बताना होता है.
वर्किंग कैपिटल: बिज़नेस में किये जाने वाले हर एक खर्च को जोड़ कर लिखा जाता है. बल्ब की कीमत से लेकर उसमे काम कर रहे लोगों की सैलरी तक के हिसाब को दिखाना पड़ता है.
नेट प्रॉफिट: सुब कुछ का जोड़ घटाव करने के बाद कंपनी को कितने का फायदा होने वाला है इसका हिसाब.
इस तरह से बिज़नेस मैन अपनी बिज़नेस का प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर बैंक में लोन के लिए अप्लाई कर सकते है. रजनीश कुमार अपनी अनुभव के आधार पर जानकारी साँझा कर बहुत सारे लोगों की मदद करते आएं हैं. उनकी इस रिपोर्ट से बहुतों को फायदा मिलेगा.