बिहार में प्राकृतिक खेती को मिलेगी रफ्तार, 38 जिलों में लागू होगी नई योजना, बढ़ेगी किसानों की आय किसानों को बड़ी राहत! कृषि यंत्र बैंक और हायरिंग सेंटर पर मिल रही लाखों की सब्सिडी, 25 जुलाई तक आवेदन अनिवार्य अगले 7 दिनों तक यूपी, राजस्थान और उत्तराखंड समेत इन राज्यों में सक्रिय रहेगा मानसून, IMD ने जारी किया अलर्ट किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 25 July, 2025 10:54 AM IST
हल्दी की विशेष किस्म ‘राजेन्द्र सोनिया’

समस्तीपुर, बिहार. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा द्वारा विकसित हल्दी की विशेष किस्म ‘राजेन्द्र सोनिया’ की देशभर में जबरदस्त मांग देखने को मिल रही है. इस किस्म की सबसे बड़ी विशेषता है इसमें कुर्कुमिन तत्व की अधिक मात्रा, जो कि 6 से 8.5 प्रतिशत तक पाई जाती है.

कुर्कुमिन एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इन्फ्लेमेटरी और कैंसर रोधी तत्व है, जिसका उपयोग औषधीय उत्पादों और स्वास्थ्य पूरक खाद्य पदार्थों में किया जाता है. इसी कारण ‘राजेन्द्र सोनिया’ हल्दी को बीज रूप में देश के कई राज्यों में अपनाया जा रहा है ताकि स्थानीय स्तर पर भी इसका उत्पादन किया जा सके.

कुलपति डॉ. पी.एस. पांडेय ने कार्यभार ग्रहण करते ही ‘राजेन्द्र सोनिया’ के घटक तत्वों के वैज्ञानिक वर्गीकरण का निर्देश दिया था. वर्गीकरण के दौरान इसमें उच्च गुणवत्ता वाले औषधीय तत्वों की पहचान की गई, जिससे इसकी मांग और अधिक बढ़ गई. डॉ. पांडेय ने बताया कि “समस्तीपुर जिला हल्दी उत्पादन के लिए पहले से ही उपयुक्त है. लेकिन ‘राजेन्द्र सोनिया’ हल्दी की गुणवत्ता प्रमाणित होने के बाद इसके दाम और मांग में भारी इजाफा हुआ है. इससे किसानों को अच्छी आमदनी हो रही है.”

उन्होंने यह भी जानकारी दी कि विश्वविद्यालय शाही लीची के मधु सहित कई विशिष्ट कृषि उत्पादों के जीआई टैग के लिए प्रयासरत है, जिससे किसानों को ब्रांडिंग और दाम दोनों में लाभ मिल सके. डॉ. पांडेय ने उदाहरण देते हुए बताया कि मोतिहारी का मर्चा चूड़ा, जीआई टैगिंग के बाद लगभग दो गुना दाम में बिक रहा है.

खरीफ सीजन 2025 के लिए पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ से सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं ने विश्वविद्यालय से भारी मात्रा में ‘राजेन्द्र सोनिया’ हल्दी की खरीद की है. विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. ए.के. मिश्रा के अनुसार अब तक 347 क्विंटल से अधिक हल्दी इन राज्यों को बेची जा चुकी है. इसके अलावा बिहार के किसानों को 130 क्विंटल बीज मुहैया कराए गए हैं ताकि वे भी बढ़ती मांग का लाभ उठाते हुए बेहतर उत्पादन कर सकें और अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकें.

डॉ. पांडेय ने अंत में कहा कि विश्वविद्यालय अन्य फसलों में भी ऐसे विशिष्ट तत्वों की पहचान को लेकर अनुसंधान कर रहा है, जिससे उनके प्रभेदों की बाजार मांग बढ़े और किसानों को अधिक मूल्य मिल सके.

रिपोर्ट: रामजी कुमार

English Summary: Rajendra Sonia turmeric high curcumin demand nationally farmers benefit
Published on: 25 July 2025, 10:57 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now