इस समय देश के कई हिस्सों में बारिश हो रही है. किसानों को उम्मीद है कि इस बार हो रही बारिश फसलों के लिए वरदान साबित होगी. जो किसान अब तक इस बारिश के कारण नुकसान उठाते रहे हैं, उन्हें इस बारिश से फसलों की पैदावार में लाभ मिलता दिख रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि बस किसान भाईयों को यह ध्यान रखना है कि खेत में एक जगह पानी जमा न हो, यदि कहीं जलभराव है तो उसे साफ कर दें और कोशिश करें कि पूरे खेत में संतुलित पानी भरा रहे.
बारिश का महत्व
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस समय खेतों में फसल लगभग तैयार हो चुकी है. आने वाले मार्च-अप्रैल के महीने से फसलों की कटाई शुरू हो जाएगी. इस समय जिस तरह की बारिश हो रही है, यह किसानों की कमाई में चार चांद लगाने का काम करेगी और यह मौसम सिंचाई का भी है. यदि बारिश न हो तो किसान ईधन खर्च कर या बिजली से खेतों में सिंचाई करेंगे, जिन खेतों में सिंचाई नहीं होगी. उन फसलों की उत्पादकता प्रभावित होगी, लेकिन अब बारिश ने किसानों की ये टेंशन ही खत्म कर दी है. गेहूं की जड़ और पूरे पौधों को पानी की बौछार मिलने के कारण यह बारिश फसल में खाद का काम करेगी.
खाद देने की प्रक्रिया
देश के अधिकांश हिस्सों में चना, मटर, सरसों, गेहूं समेत कई रबी सीजन की फसलों की बुवाई हो चुकी है. ऐसे में फसलों की अच्छी पैदावार के लिए खाद की भी जरूरत होती है. इस समय किसानों की यूरिया की टॉप ड्रेसिंग करनी होती है और खेत में पानी भी लगाना होता है. लेकिन बारिश ने किसानों की पानी लगाने की टेंशन ही खत्म कर दी है. अब यूरिया की टॉप ड्रेसिंग करने से पहले किसानों को पानी लगाने की जरूरत नहीं होगी.
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पश्चिम विक्षोभ का असर
उत्तर भारत के कई राज्यों में पिछले कई दिनों से लगातार बारिश हो रही है. मौसम विभाग का अनुमान है कि पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने के कारण अगले एक सप्ताह तक देश के अलग अलग हिस्सों में कभी हल्की, कभी तेज बारिश होती रहेगी. इसी वजह से बर्फीले क्षेत्र से आने वाली हवाओं के कारण शीतलहर भी चल रही हैं. इस बारिश से किसानों को फायदा ही होगा. वहीं राजस्थान में ओलावृष्टि ने किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाया है. इसलिए किसानों को डर है कि कहीं अधिक बारिश पड़नी न शुरू हो जाए.
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