परमाणु उर्जा जहां एक ओर अथाह शक्ति का स्त्रोत है तो दूसरी ओर रेडियोधर्मिता (Radioactivity) भयानक प्रदूषण फैलाती है. इसका न सिर्फ तात्कालिक प्रभाव पड़ता है बल्कि लंबे समय तक यह प्रदूषण पर्यावरण और वायुमंडल में बना रहता है. परमाणु उर्जा के आविष्कार के बाद से विश्व ने कई बार परमाणु घटनाओं-दुर्घटनाओं का दंश झेला है.
रेडियोधर्मी प्रदूषण का अर्थ
रेडियोधर्मिता को प्रदूषण के सबसे घातक रूप में परिभाषित किया गया है. रेडियोधर्मी प्रदूषण का अर्थ मानव जनित घटनाओं-दुर्घटनाओं के परिणामस्वरूप वायुमंडल में रडियोएक्टिव पदार्थों की रिहाई करना है. हालांकि प्रकृति में पाए जाने वाला पदार्थ थोरियम स्वयं ही विघटित होकर एक प्रकार की हानिकारक किरणें उत्सर्जित करता है. विघटन के बाद रेडियोएक्टिव पदार्थ वायुमंडल में प्रवेश कर जाते हैं. यह छोटे-छोटे धूल कणों की भांति संपूर्ण संसार में फैल जाते हैं. इससे जल-वायु-मिट्टी जीवों के इस्तेमाल करने लायक नही रहते हैं.
रेडियोधर्मी प्रदूषण के घातक प्रभाव
रेडियोधर्मी प्रदूषण के कारण मानवों में भयानक रोग उत्पन्न हो जाते हैं. न्यूक्लियर विस्फोट से अल्फा-बीटा-गामा किरणें निकलती हैं. यह मानवों की आंतरिक संरचना में उपस्थित जींस को प्रभावित करती हैं. इसका इसर, रेडियोएक्टिव प्रदूषण से प्रभावित मानव की पीढ़ियों तक रहता है. परमाणु विस्फोट होने ने से प्रदूषण तो फैलता ही है साथ ही इससे निकलने वाले उष्मा के वेग से कई किलोमीटर दूर तक इमारतें राख बनकर उड़ जाती हैं.
रेडियोधर्मिता से प्रभावित धुल के कण वायुमंडल में उपस्थित पेड़-पौधों, खेतों में लगी फसलों की पत्तियों के अंदर प्रवेश कर जाते हैं. जब यह भोजन के रूप में मानव इनका उपभोग करता है उसके तंत्रिका-तंत्र में विकार उत्पन्न हो जाते हैं. रडियोधर्मी प्रदूषण से कई प्रकार भयानक रोग जैसे कैंसर-ल्यूकेमिया हो जाते हैं.
विश्व में हुईं परमाणु दुर्घटनाएं और उनके विध्वंशक परिणाम
चेरनोबिल- इसे दुनिया की सबसे भीषण परमाणु आपादा माना जाता है. 26 अप्रैल, 1986 को सोवियत संघ द्वारा यहां बनाए गए परमाणु संयंत्र में परीक्षण के दौरान एक तीव्र धमाका हुआ. इससे निकला रेडियोधर्मी प्रदूषण-रेडिएशन पूर्वी यूरोप और पश्चिमी रूस में फैल गया. आपदा से लगभग 2.5 लाख लोगों को अपने घरों से विस्थापित होकर दूर-दराज क्षेत्रों में शरण लेनी पड़ी.
थ्री माइल आइलैंड- संयुक्त राज्य अमेरिका के इतिहास की इसे सबसे गंभीर परमाणु दुर्घटना माना जाता है. 28 मार्च, 1979 को परमाणु संयंत्र में हुई इस दुर्घटना के परिणाम स्वरूप केवल छोटे विकिरण वाले रेडियोधर्मी पदार्थ ही रिहा हुए थे.
फुकुशिमा दाइ ची- 11 मार्च, 2011 को पूर्वी जापान में आए भुकंप और सुनामी से फुकुशिमा दाइ-ची परमाणु सयंत्र में हाइड्रोजन विस्फोट से रेडियेशन फैल गया. इससे लगभग पांच लाख लोगों को दूर-दराज के क्षेत्रों में शरण लेनी पड़ी.
हिरोशिमा-नागासाकी पर गिराए गए बमों की दुनिया ने देखी भयावहता
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका ने एशिया में जापान के दो शहरों नागासाकी और हिरोशिमा पर फैट मेन और लिटिलबॉय नाम के दो परमाणु बम गिराए. आविष्कार के बाद किसी देश ने पहली बार परमाणु हथियारों का प्रयोग किया था.
6 अगस्त और 9 अगस्त 1945 को गिराए गए बमों से दोनों शहर राख का ढेर बन गए. परमाणु हमले के बाद निकले विकरण का असर आज तक आस-पास के शहरों में रहने वाली आबादी में विकार के रूप में विध्वंश के प्रमाण दे रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक आज विश्व में लगभग 13,000 परमाणु हथियार मौजूद हैं.
भारत के इन स्थानों पर लगे हैं परमाणु संयंत्र
भारत एक बड़ी आबादी वाला देश है. इसलिए देश की उर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए परमाणु उर्जा से बिजली का उत्पादन, किया जा रहा है. इसके साथ ही परमाणु उर्जा का प्रयोग आधुनिक कृषि विज्ञान, चिकित्सा, और अंतरिक्ष क्षेत्र में किया जा रहा है. देश में कुल 22 परमाणु संयंत्र हैं. इनमें ये परमाणु संयंत्र प्रमुख हैं-
- तारापुर, महाराष्ट्र
- कुडनकुलम, तमिलनाडु
- काकरापुर, गुजरात
- कैगा, कर्नाटक
- नरोरा, उत्तर प्रदेश
- कलपक्कम, तमिलनाडु
- रावतभाटा, राजस्थान
- जैतपुरा, महाराष्ट्र
- हरीपुर, पश्चिम बंगाल
- भीमपुर मध्यप्रदेश
- गोरखपुर, हरियाणा
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'रूस-युक्रेन में परमाणु हथियारों का प्रयोग कर सकता है दुनिया का सर्वनाश'
2022 की फरवरी से जारी युद्ध में अब तक दोनों देशों के हजारों सैनिकों मारे जा चुके हैं. लाखों लोगों को विस्थापन का दंश झेलना पड़ा है. युद्ध की विभीषिका के बीच खबरें आ रही हैं कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन युक्रेन पर परमाणु हमले की योजना तैयार कर रहे हैं. इससे दुनिया भर में चिंताएं हैं.
शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में पीएम मोदी रूसी राष्ट्रपति को पहले ही बता चुके हैं कि यह दौर युद्ध का नहीं हैं. कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर द् स्टडी ऑफ एक्जिशटेंशियल रिस्क ने परमाणु संघर्ष छिड़ने से सर्वनाश की चेतावनी दी है. रूस के पास दुनिया में सबसे ज्यादा 6000 परमाणु हथियार मौजूद हैं.