हरित क्रांति की जन्मस्थली भा.कृ.अनु.प.-भा.कृ.अनु.सं, नई दिल्ली के ‘पूसा कृषि विज्ञान मेले’ का आयोजन दिनांक 25 से 27 फरवरी, 2021 के दौरान किया जाएगा. मेले का उद्घाटन मुख्य अतिथि माननीय केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, भारत सरकार, नरेंद्रसिंह तोमर, द्वारा किया जाएगा. कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला एवं कैलाश चौधरी सम्मानित अतिथि होंगे. डेयर के सचिव एवं भा.कृ.अनु.प. के महानिदेशक डॉ त्रिलोचन महापात्र उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करेंगे. मेले का आयोजन कोविड-19 महामारी से बचाव संबंधी सभी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए किया जाएगा. मेले में फेस मास्क पहनना अनिवार्य होगा.
इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि गत वर्ष फसलों की कुल 15 नई किस्में जारी की गई हैं. धान में, पूसा बासमती 1692 नामक,एक जल्दी पकने वाली तथा अधिक उपज देने वाली (52.6 क्विंटल/हेक्टेयर) किस्म जारी की गई है. जिसे दिल्ली, हरियाणा और उत्तरप्रदेश (बासमती भौगोलिक संकेत क्षेत्र) राज्यों के लिए अधिसूचित किया गया है.
गेहूं की दो बायोफोर्टिफाइड किस्में, ‘HD3298’, (43.1 पीपीएम लौह तत्व एवं 12.1% प्रोटीन सहित);एवं ‘HI1633’(41.6 पीपीएम लौह तत्व, 41.1 पीपीएम जिंक तथा 12% प्रोटीन सहित) क्रमशः उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र और प्राय द्वीपीय क्षेत्र में देर से बोई जाने वाली परिस्थितियों के लिए जारी की गई हैं. मक्का की एक संकर किस्म बेबी कॉर्न एएच-7043 जारी की गई. जिससे प्रति एकड़ 35-40 हज़ार रू. शुद्ध लाभ कमाया जा सकता है जोकि सामान्य मक्का से दो गुना है. मध्य भारत के लिए उकठा रोग प्रतिरोधी, चने की एक किस्म, पूसा चना 20211 (पूसा मानव) जारी की गई. इसकी औसत उपज 24कि./हे. है.
हरियाणा और उत्तर प्रदेश में खेती के लिए PDL-1 (छोटा बीज) और PSL-9 (बोल्ड सीड) के नाम से, लवणता सहिष्णु मसूर की दो किस्में जारी की गईं. मध्यप्रदेश के लिए 100 दिन के अंदर पकने वाली मसूर की एक अन्य किस्म, एल 4729 जारी की गई. उत्तर पश्चिमी मैदानों के लिए, अधिक उपज क्षमता (27 क्विंटल/हेक्टेयर) और कम एरूसिक अम्ल वाली सरसों की किस्म, पूसा सरसों 32 जारी की गई.
संस्थान द्वारा विकसित सम्नवित फसल प्रणाली आधारित उपक्रमों से प्रति हे. रू. 3.8 लाख शुद्ध लाभ प्राप्त किया जा सकता है जोकि किसानों की आय बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है. संस्थान द्वारा अंतर्राष्ट्रीय उपग्रहों से लिए गए चित्रों का उपयोग करते हुए तीन राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की वास्तविक समय निगरानी की गई और आग की घटनाओं का एक दैनिक बुलेटिन तैयार किया गया जिससे पराली प्रबंधन संबंधी परियोजनाओं को सरकार द्वारा लागू करने में मदद मिलती है. फसल अवशेषों (धान और गेहूं) को जलाना एक बड़ा खतरा है जिससे पोषक तत्वों से भरपूर बायोमास बर्बाद करने के अलावा गंभीर पर्यावरणीय समस्याएं पैदा हो रही हैं. इस समस्या से निपटने के लिए संस्थान ने पूसा डिकंपोजर, सात कवक प्रजातियों का एक संघटन (कंसोर्टियम) तैयार किया है, जिसके प्रयोग से धान की कटाई के बाद पराली को 25 दिन के अंदर मिट्टी में हल्का मिलाकर पर्याप्त नमी की अवस्था में गलाया जा सकता है, इसे विकसित कर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और यूपी के 5000 हेक्टेयर क्षेत्र में सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया गया था.
फल, सब्जी और फूलों सहित कुल 32 किस्मों को जारी किए जाने के लिए चिह्नित किया गया है. जिनमें आम की संकर क़िस्म पूसा सुंदरी औ रपूसा दीपशिखा; अंगूर की बीजरहित क़िस्म पूसा पर्पल प्रमुख है. अखरोट की अद्वितीय क़िस्म पूसा खोर को जारी करने हेतु चिह्नित किया गया है. फूलों में ग्लेडियोलस के फूल की किस्म पूसाशांति और गुलदाउदी की पूसा सुंदरी किस्म जारी की गई है.
सब्जियों में पंजाब, उत्तरप्रदेश, बिहार और झारखंड के लिए के लिए बैंगन की किस्म पूसा वैभव और जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के लिए खीरे की किस्म पूसा गाइनोसियस खीरा हाइब्रिड -18 जारी की गई हैं, जिनकी औसत उपज क्रमश: 41 टन / हेक्टेयर और 24.5 टन/ हेक्टेयर हैं.
माननीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री, नरेन्द्र सिंह तोमर जी ने कृषि में नवाचारों को बढ़ाने और तेजी लाने के उद्देश्य से पूसा कृषि इन क्यूबेटर द्वारा“एग्री इंडिया हैकाथॉन”की शुरुआत की.
पूसा कृषि विज्ञान मेला -2021 की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं-
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रबी फसलों, सब्जियों और फूलों का लाइव प्रदर्शन
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बेहतर प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन
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उन्नत किस्म के बीजों की बिक्री
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मृदा और जल के नमूनों का निशुल्क परीक्षण
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किसान वैज्ञानिक वार्ता
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अभिनव किसान सम्मेलन