Success Story: चायवाला से उद्यमी बने अजय स्वामी, मासिक आमदनी 1.5 लाख रुपये तक, पढ़ें सफलता की कहानी ट्रैक्टर खरीदने से पहले किसान इन बातों का रखें ध्यान, नहीं उठाना पड़ेगा नुकसान! ICAR ने विकसित की पूसा गोल्डन चेरी टमाटर-2 की किस्म, 100 क्विंटल तक मिलेगी पैदावार IFFCO नैनो जिंक और नैनो कॉपर को भी केंद्र की मंजूरी, तीन साल के लिए किया अधिसूचित एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! सबसे अधिक दूध देने वाली गाय की नस्ल, जानें पहचान और खासियत
Updated on: 3 March, 2020 12:03 PM IST

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के मेला ग्राउंड में आयोजित किये गए तीन दिवसीय पूसा कृषि विज्ञान मेला-2020, का सोमवार को दूसरा दिन था. इस मेले में कृषि जगत की दिग्गज कंपनियों के अलावा हजारों की संख्या में किसान भी शिरकत किए. पूसा कृषि विज्ञान मेला किसानों को कृषि और उससे जुड़ी विज्ञान के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकी की जानकारी प्राप्त करने के लिए मंच प्रदान करता है. तकनीकी सत्र “सतत विकास लक्ष्य और लैंगिक समानता” को किसान मेले के दूसरे दिन के आयोजन में आयोजित किया गया था. सत्र की अध्यक्षता प्रो. आर.बी सिंह, पूर्व-कुलपति, केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, इम्फाल और प्रो.श्रीधर द्विवेदी, वरिष्ठ कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट, नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट, दिल्ली. तो वही, डॉ. ए.के सिंह, निदेशक, आईएआरआई ने उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों और वक्ताओं का स्वागत किया.

डॉ. ए. के. त्रिपाठी, डायरेक्टर जनरल, नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर सोलर एनर्जी ने सोलर वॉटर पंप, फलों और सब्जियों के लिए सोलर कोल्ड स्टोरेज, सोलर ड्रायर्स और सोलर आधारित डेयरी मिल्क चिलिंग सिस्टम पर विशेष जोर देने के साथ कृषि में सौर ऊर्जा के दायरे पर प्रकाश डाला. डॉ. एम.सी. शर्मा, पूर्व निदेशक, भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, बरेली ने किसानों को पशुपालन और पशुपालन में तकनीकी प्रगति के बारे में जानकारी दी. डॉ. श्रीमती शशि शर्मा, प्रिंसिपल, D.A.V (PG) कॉलेज, मुज़फ्फरनगर भी सत्र के दौरान वक्ताओं में से एक थे और उन्होंने कृषि उद्यमिता के लिए महिला किसानों से आग्रह किया. हरियाणा के करनाल के पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किसान सुल्तान सिंह ने भी मछली पालन में अपने अनुभव को साझा किया. उन्होंने महज 500 रुपये के निवेश से शुरुआत की और करोड़पति बन गए. मछली उत्पादन के साथ उन्होंने प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों में कैटफ़िश और झींगा पालन शुरू किया. उन्होंने उत्पादकता बढ़ाने के लिए रीका एक्वा कल्चर सिस्टम भी विकसित किया था.

डॉ. शेली प्रवीण, हेड, डिवीजन ऑफ बायोकैमिस्ट्री, आईएआरआई, नई दिल्ली ने पोषण सुरक्षा और मानव स्वास्थ्य में बाजरा की भूमिका के बारे में बताया. डॉ. श्रीधर द्विवेदी ने अपनी बात में स्वस्थ हृदय के लिए स्वस्थ जीवन शैली के महत्व के बारे में बताया. उन्होंने किसानों के बेहतर स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए निवारक उपाय पर विशेष जोर दिया. सत्र का समापन संयुक्त निदेशक (एक्सटी), आईएआरआई, नई दिल्ली के डॉ. पी. शर्मा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ. दिन की दोपहर के दौरान दूसरा तकनीकी सत्र "पारिस्थितिक रूप से विकास के लिए प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन" पर था, सत्र की अध्यक्षता डॉ. एके सिंह, पूर्व कुलपति, आरवीएसकेवीवी (RVSKVV), ग्वालियर और डॉ. के. अलगुसुंदरम, एडीजी (कृषि अभियांत्रिकी), आईसीएआर, नई दिल्ली द्वारा की गई थी.

मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विज्ञान के प्रमुख डॉ. बी एस द्विवेदी ने पूसा एसटीएफआर (STFR) मीटर ग्रामीण युवाओं के लिए और मिट्टी की उर्वरता और स्वस्थ फसल की फसल के लिए इसके प्रबंधन पर प्रकाश डाला. डॉ. इंद्रमणि मिश्रा हेड, एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग फर्स्ट ने बढ़ती जनसंख्या को खिलाने के लिए प्राकृतिक संसाधनों की स्थिरता बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया, फिर उन्होंने फसल अवशेष प्रबंधन के लिए कृषि मशीनरी में तकनीकी प्रगति के बारे में उल्लेख किया. माइक्रोबायोलॉजी के हेड डिवीजन डॉ के.के अन्नपूर्णा ने पौध पोषण में जैव उर्वरक के महत्व को रेखांकित किया. उन्होंने तरल बायोफर्टिलाइज़र तकनीक के बारे में उल्लेख किया है जिसमें पौधों के लिए लाभदायक माइक्रोबियल कंसोर्टियम शामिल है. 

कृषि विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. वी. के. सिंह ने कृषि मेला में 1 हेक्टेयर और 1 एकड़ एकीकृत कृषि प्रणाली मॉडल के घटक पर प्रकाश डाला. उन्होंने 86% छोटे किसानों के लिए इसके महत्व पर बल दिया क्योंकि इसमें कृषि योग्य कृषि आय और रोजगार के साथ पोषण सुरक्षा प्रदान करने की क्षमता है. तो वहीं पद्म श्री सुंदरम वर्मा जो कि एक प्रगतिशील किसान भी है उन्होंने अपने अनुभवों और चुनौतियों को साझा किया. जिनका उन्होंने पेड़ उगाने की तकनीक के विकास के दौरान सामना किया, जिसमें प्रति पेड़ केवल एक लीटर पानी की आवश्यकता होती है. वह युवा किसानों के लिए एक आदर्श हैं जो शुष्क क्षेत्र में कृषि वानिकी (Agricultural forestry) का अभ्यास करना चाहते हैं. यह सत्र वहाँ उपस्थित किसानों को धन्यवाद के साथ समाप्त हुआ.

English Summary: Pusa Krishi Vigyan Mela -2020: Farmers participated enthusiastically on the second day of Kisan Mela
Published on: 03 March 2020, 12:09 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now