राजधानी दिल्ली के आस-पास के राज्यों को पराली से होने वाले प्रदूषण की समस्या से राहत मिलने वाली है. दरअसल, कृषि वैज्ञानिकों (Agricultural Scientists) द्वारा पूसा डी-कंपोजर (Pusa Decomposer) तैयार किया है, जो फसलों के लिए अच्छा माना जाता है
इसके साथ ही पराली जलाने की समस्या (Stubble Burning Problem) को भी दूर करने में सहायक है. आइए पूसा डी-कंपोजर की खासियत बताते हैं.
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पूसा डीकंपोजर बनाने की क्रिया (Pusa Decomposer)
किसान भाईयों को पूसा डी-कंपोजर का घोल बनाने के लिए निम्न बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
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सबसे पहले एक बड़े बर्तन में 25 लीटर पानी लेकर और उसमें गुड़ डाल कर उबल लें.
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फिर इसे ठंडा होने के लिए छोड़ दें.
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जब गुड़ का घोल ठंडा हो जाए, तो उसमें बेसन और फूंगी वाले कैप्सूल को मिला लें.
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इसके बाद घोल को मलमल के कपड़े से ढक कर कुछ दिन के लिए छोड़ दें, ताकि इसमें फंगस पनप सके.
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इस तरह से पूसा डी-कंपोजर तैयार हो जाएगा.
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इसके बाद खेत में छिड़क दें.
पूसा डी-कंपोजर की मात्रा (Quantity of Pusa Decomposer)
आप एक एकड़ खेत में पूसा डी-कंपोजर (Pusa decomposer solution) की 10 लीटर तक की मात्रा का कर सकते हैं
पूसा डी-कंपोजर है बहुत उपयुक्त (Pusa decomposer is very suitable for farm)
जानकारी के लिए बता दें पूसा डी-कंपोजर खेत में पड़ी पराली को खाद में बदल देती है. यह घोल पराली को खाद में बदलने के लिए 15 दिन का वक्त लेता है. वैज्ञानिकों के अनुसार, इस घोल के इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरक (Soil Fertilizer) क्षमता बढ़ा सकते हैं. इसके साथ ही फसल की अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं. इस तरह किसानों के लिए पूसा डीकंपोजर काफी फायदेमंद साबित हो सकता है.