पंजाब सरकार ने बाढ़ प्रभावित किसानों के लिए बड़ा राहत पैकेज घोषित किया है. मुख्यमंत्री भगवंत मान की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल बैठक में तय किया गया कि बाढ़ से फसल बर्बाद होने पर किसानों को प्रति एकड़ ₹20,000 मुआवजा दिया जाएगा. इतना ही नहीं, सरकार ने “जिसदा खेत, उसकी रेत” योजना को भी मंजूरी दी है. इस योजना के तहत किसानों को अपने खेतों में बाढ़ से आई रेत निकालकर बेचने की अनुमति दी जाएगी.
किसानों को इससे अतिरिक्त आमदनी का अवसर मिलेगा और खेत भी खेती योग्य हो पाएंगे. बैठक में यह भी निर्णय हुआ कि बाढ़ में मारे गए लोगों के परिजनों को ₹4 लाख का मुआवजा दिया जाएगा. इसके अलावा किसानों की कर्ज चुकाने की समयसीमा 6 महीने तक बढ़ा दी गई है.
किसानों को रेत बेचने की मिली अनुमति
बाढ़ के दौरान पंजाब के कई जिलों में खेतों में पानी के साथ रेत जम गई थी. इससे किसान बेहद परेशान थे, क्योंकि रेत हटाना मुश्किल और खर्चीला काम था. लेकिन अब सरकार ने किसानों को यह छूट दी है कि वे अपने खेतों से रेत निकालकर खुद उपयोग करें या बाजार में बेच सकें. इससे किसानों की जेब में अतिरिक्त आमदनी आएगी और खेतों को दोबारा खेती योग्य बनाने में मदद मिलेगी. मुख्यमंत्री मान ने कहा कि किसान अब न केवल अपने खेतों की सफाई कर पाएंगे बल्कि रेत बेचकर नुकसान की भरपाई भी कर सकेंगे.
फसल नुकसान पर ₹20,000 प्रति एकड़ मुआवजा
मंत्रिमंडल बैठक में सबसे अहम फैसला फसल नुकसान की भरपाई को लेकर लिया गया. राज्य सरकार ने घोषणा की कि प्रभावित किसानों को ₹20,000 प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाएगा. यह मुआवजा देशभर में किसी भी राज्य द्वारा किसानों को दी गई सबसे बड़ी राशि मानी जा रही है. मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि मुआवजे की राशि जल्द ही किसानों तक पहुँचेगी और उनके हाथों में चेक सौंपे जाएंगे. अधिकारियों के मुताबिक, बाढ़ से लगभग 1.76 लाख हेक्टेयर जमीन पर लगी फसलें बर्बाद हुई हैं.
बाढ़ पीड़ित परिवारों को ₹4 लाख का मुआवजा
फसल नुकसान के अलावा बाढ़ में जान गंवाने वालों के परिवारों के लिए भी राहत का ऐलान किया गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन परिवारों ने बाढ़ में अपने प्रियजनों को खोया है, उन्हें ₹4 लाख का मुआवजा दिया जाएगा. यह निर्णय पीड़ित परिवारों को आर्थिक और भावनात्मक सहारा देने के उद्देश्य से लिया गया है. मान ने कहा कि सरकार संकट की इस घड़ी में हर प्रभावित परिवार के साथ खड़ी है.
कर्ज चुकाने की समयसीमा बढ़ाई गई
किसानों की सबसे बड़ी चिंता कर्ज अदायगी को लेकर होती है. बाढ़ के कारण किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं हैं, जिससे वे ऋण चुकाने में असमर्थ हो गए हैं. इसे ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने सहकारी समितियों और राज्य कृषि बैंकों से लिए गए लोन की अदायगी की समयसीमा 6 महीने बढ़ाने का निर्णय लिया है. इस दौरान किसानों को कोई किस्त नहीं देनी होगी और न ही उस पर ब्याज जोड़ा जाएगा. इस कदम से किसानों को राहत मिलेगी और उन्हें नई फसल की तैयारी का समय भी मिलेगा.
घर और मवेशियों के नुकसान का मुआवजा
सरकार ने केवल फसल और जानमाल के नुकसान तक ही अपनी योजना सीमित नहीं रखी है, बल्कि बाढ़ से क्षतिग्रस्त हुए घरों और पशुओं के लिए भी सहायता का ऐलान किया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार क्षतिग्रस्त घरों का सर्वेक्षण कराएगी और प्रभावित परिवारों को उचित आर्थिक मदद दी जाएगी. साथ ही जिन किसानों ने मवेशी, बकरियां या मुर्गी पालन में नुकसान झेला है, उन्हें भी मुआवजा दिया जाएगा. इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करने में मदद मिलेगी.
किसानों के लिए सरकार का वादा
मुख्यमंत्री मान ने कहा कि यह मुआवजा और राहत पैकेज किसानों और ग्रामीण परिवारों को संबल देने के लिए है. उन्होंने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार हर संभव मदद करेगी और किसानों को अकेला नहीं छोड़ेगी. मान ने यह भी कहा कि यह संकट का समय है और पूरी सरकार पंजाब की जनता के साथ खड़ी है.