आपने कई बार कच्चे नारियल से पानी पिया होगा. और बाद में नारियल के खोल को सड़क के किनारे पर फेंक दिया होगा. लेकिन चरखी दादरी में रहने वाले निवासी संजय रामफल ने इन्ही नारियल के खोलों को लेकर नई मुहिम को शुरू कर दिया है. दरअसल उन्होंने सड़कों के किनारे पर पड़े हुए नारियल के खोल में पौधे लगाने का कार्य शुरू किया है. इसके पीछे उनका प्रमुख उद्देश्य प्लास्टिक थैली के इस्तेमाल को कम करना और शहर में एकत्र होने वाले कचरे का प्रबंधन करना है.
नारियल के खोल को इकट्ठा किया
बता दें कि संजय रामफल कच्चे नारियल के खोल में पौधे तैयार करके लोगों को पॉलीथीन मुक्त शहर बनाने के लिए प्रेरित कर रहे है. वह सार्वजनिक स्थानों पर पौधे लगाकर, पौध संरक्षण का कार्य काफी तेजी से कर रहे है. वहीं पौधारोपण को बढ़ावा देने के लिए वह लोगों को पौध वितरित करने का भी कार्य करते है. संजय की शहर को पॉलीथीन मुक्त बनाने के लिए इस तरह के कदमों की काफी प्रशंसा भी की जा रही है. संजय ने रोड के किनारे पर नारियल के खोल को पड़े हुए देखा जो कि राह चालकों के लिए परेशानी का कारण बन रहे थे. इन नारियलों को देखकर उनके मन में ख्याल आया कि क्यों न इन पौधों को तैयार करने के लिए प्रयोग में लाया जाए और इससे कचरा भी कम ही होगा. बाद में वह नारियल के खोल अपने साथ में ले आए और उन्होंने इसके खोल में मिट्टी को भरकर पौधे को तैयार कर लिया.
पुरानी इमारतों से उखाड़ते है पौधे
संजय ने बताया कि पुरानी इमारतों, दीवारों आदि स्थानों पर पीपल के पेड़ काफी संख्या में लगे हुए है. जो भी पेड़ छोटे होते है, उन्हें नारियल के खोल में लगाकर वितरित कर दिया जाता है. जो भी पेड़ थोड़ा सा बड़ा होता है उनको किसी भी सार्वजनिक स्थान पर लगा दिया जाता है.
हजारों पेड़ कर चुके है वितरित
संजय बताते है कि दादरी में वह घर-घर तुलसी और एक पेड़ के जीवन के नाम से मुहिम को छेड़ रखी है, इस मुहिम के तहत वह लोगों को अभी तक हजारों पेड़ वितरित कर चुके है.
हरियाली के साथ पॉलीथीन से निजात
संजय रामफल बताते है कि कच्चे नारियल में खोल के पौधे को तैयार करके लगाने से शहर को पॉलीथीन मुक्त बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया गया है. प्लास्टिक की थैलियों में तैयार पौधों को लगाते समय उन थैलियों को उसी स्थान पर छोड़ दिया जाता है. पौधों को खोल के नीचे से थोड़ा सा काटकर खोल सहित लगाया जाता है. उन्होंने कहा कि मिट्टी में दबने से नारियल की खोल थोड़े समय के बाद अपने आप गल जाएगी और बाद में पौधे के लिए खाद का काम जरूर करेगी. इससे शहर में हरियाली तो बढ़ेगी ही साथ ही शहर में कचरा और पॉलीथीन कम हो जाएगी.