IMD Forecast: देश के इन राज्यों में आज जमकर होगी बारिश, अगले 72 घंटों का ‘अलर्ट’ धान के पुआल से होगा कई समस्याओं का समाधान, जानें इसका सर्वोत्तम प्रबंधन कैसे करें? Good News: देश में खाद्य तेल उत्पादन को मिलेगा बढ़ावा, केंद्र सरकार ने इस योजना को दी मंजूरी केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक पपीता की फसल को बर्बाद कर सकता है यह खतरनाक रोग, जानें लक्षण और प्रबंधित का तरीका
Updated on: 25 July, 2019 6:34 PM IST

आपने कई बार कच्चे नारियल से पानी पिया होगा. और बाद में नारियल के खोल को सड़क के किनारे पर फेंक दिया होगा. लेकिन चरखी दादरी में रहने वाले निवासी संजय रामफल ने इन्ही नारियल के खोलों को लेकर नई मुहिम को शुरू कर दिया है. दरअसल उन्होंने सड़कों के किनारे पर पड़े हुए नारियल के खोल में पौधे लगाने का कार्य शुरू किया है. इसके पीछे उनका प्रमुख उद्देश्य प्लास्टिक थैली के इस्तेमाल को कम करना और शहर में एकत्र होने वाले कचरे का प्रबंधन करना है.

नारियल के खोल को इकट्ठा किया

बता दें कि संजय रामफल कच्चे नारियल के खोल में पौधे तैयार करके लोगों को पॉलीथीन मुक्त शहर बनाने के लिए प्रेरित कर रहे है. वह सार्वजनिक स्थानों पर पौधे लगाकर, पौध संरक्षण का कार्य काफी तेजी से कर रहे है. वहीं पौधारोपण को बढ़ावा देने के लिए वह लोगों को पौध वितरित करने का भी कार्य करते है. संजय की शहर को पॉलीथीन मुक्त बनाने के लिए इस तरह के कदमों की काफी प्रशंसा भी की जा रही है. संजय ने रोड के किनारे पर नारियल के खोल को पड़े हुए देखा जो कि राह चालकों के लिए परेशानी का कारण बन रहे थे. इन नारियलों को देखकर उनके मन में ख्याल आया कि क्यों न इन पौधों को तैयार करने के लिए प्रयोग में लाया जाए और इससे कचरा भी कम ही होगा. बाद में वह नारियल के खोल अपने साथ में ले आए और उन्होंने इसके खोल में मिट्टी को भरकर पौधे को तैयार कर लिया.

पुरानी इमारतों से उखाड़ते है पौधे

संजय ने बताया कि पुरानी इमारतों, दीवारों आदि स्थानों पर पीपल के पेड़ काफी संख्या में लगे हुए है. जो भी पेड़ छोटे होते है, उन्हें नारियल के खोल में लगाकर वितरित कर दिया जाता है. जो भी पेड़ थोड़ा सा बड़ा होता है उनको किसी भी सार्वजनिक स्थान पर लगा दिया जाता है.

हजारों पेड़ कर चुके है वितरित

संजय बताते है कि दादरी में वह घर-घर तुलसी और एक पेड़ के जीवन के नाम से मुहिम को छेड़ रखी है, इस मुहिम के तहत वह लोगों को अभी तक हजारों पेड़ वितरित कर चुके है.

हरियाली के साथ पॉलीथीन से निजात

संजय रामफल बताते है कि कच्चे नारियल में खोल के पौधे को तैयार करके लगाने से शहर को पॉलीथीन मुक्त बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया गया है. प्लास्टिक की थैलियों में तैयार पौधों को लगाते समय उन थैलियों को उसी स्थान पर छोड़ दिया जाता है. पौधों को खोल के नीचे से थोड़ा सा काटकर खोल सहित लगाया जाता है. उन्होंने कहा कि मिट्टी में दबने से नारियल की खोल थोड़े समय के बाद अपने आप गल जाएगी और बाद में पौधे के लिए खाद का काम जरूर करेगी. इससे शहर में हरियाली तो बढ़ेगी ही साथ ही शहर में कचरा और पॉलीथीन कम हो जाएगी.

English Summary: Promoting plant protection with the help of coconut shell
Published on: 25 July 2019, 06:36 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now