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Updated on: 27 December, 2022 2:46 PM IST
प्रयागराज के इफको फूलपुर में नैनो यूरिया का उत्पादन शुरू

इफको का बहुप्रतीक्षित उत्पाद नैनो यूरिया तरल का उत्पादन फूलपुर की इफको इकाई में शुरू हो गया है. फूलपुर में स्थापित नैनो प्लांट की उत्पादन क्षमता प्रतिदिन दो लाख बोतल है. शुरूआती दौर में 50 हजार बोतल प्रतिदिन से नैनो का उत्पादन शुरू कर दिया गया है. पूरी क्षमता से उत्पादन शुरू होने में अभी कुछ महीने का समय लगेगा. एक ही दिन इफको ने उत्तर प्रदेश में अपने 2 प्लांटों प्रयागराज के फूलपुर एवं बरेली की आवला यूनिट में नैनो यूरिया तरल का उत्पादन प्रारंभ किया है.

फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए यूरिया के सर्वाधिक इस्तेमाल से कृषि भूमि की उर्वराशक्ति नष्ट हो रही थी. इसी को ध्यान में रखते हुए इफको ने नैनो यूरिया तरल का उत्पादन शुरू किया है. इफको प्रबंधन का दावा है कि नैनो फर्टिलाइजर से भूमि की उर्वराशक्ति ही नहीं बल्कि उत्पादन भी बढ़ेगा. यह नैनो तरल 45 किलो वाली एक बोरी यूरिया से सस्ती होगी. बोरी वाली यूरिया की कीमत जहां 267 रूपये प्रति बोरी है, वहीं नैनो तरल की आधा लीटर खाद सिर्फ 240 रुपये में ही किसानों को मिल जाएगी और काम एक बोरी यूरिया के बराबर करेगी.

इफको फूलपुर के कार्यकारी निदेशक संजय कुदेशिया एवं संयंत्र के वरिष्ठ महाप्रबंधक गिरिधर मिश्र ने बताया कि नैनो यूरिया तरल कृषि के क्षेत्र में इफको का जहां एक क्रांतिकारी कदम है,

वहीं भारत की अर्थव्यवस्था के लिए भी यह लाभकारी सिद्ध होगी. बताया कि इफको फूलपुर में स्थापित नैनो प्लांट की क्षमता 100 किलो लीटर यानी 2 लाख बोतल प्रतिदिन की है.

दो दिन पहले प्लांट का ट्रायल हुआ और 50 हजार बोतल से उत्पादन शुरू किया गया. जुलाई 2023 से यह प्लांट पूरी क्षमता से शुरू कर दिया जाएगा. यहां उत्पादित नैनो यूरिया तरल का सोमवार से कारडेट इफको द्वारा हजारों एकड़ भूमि में की जा रही फसलों में इस्तेमाल के लिए भेजी गई. विदेशों में भी इसकी भारी मांग है.

विश्व का सबसे बड़ा आविष्कार है इफको नैनो

इफको के कार्यकारी निदेशक संजय कुदेशिया ने बताया कि नैनो यूरिया तरल इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. यूएस अवस्थी के कठिन परिश्रम और उनकी दूरगामी सोच की वजह से संभव हो सका है. 

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जो विश्व का सबसे बड़ा आविष्कार है. नैनो टेक्नोलॉजी में इफको के अनुसंधान एवं विकास जरूरी रासायनिक संरचना के साथ विश्व स्तर पर उर्वरक उत्पादन को बेहतर बनाने की क्षमता प्रदान करता है. जो पर्यावरण प्रभाव को कम करता है और पौधों की उत्पादकता को बढ़ाता है. नैनो तरल के प्रयोग से बंजर हो रही जमीन की उर्वराशक्ति बढ़ेगी.

रिपोर्ट सुजीत चौरसिया
फार्मर दा जर्नलिस्ट
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश

English Summary: Production of nano urea started at IFFCO Phulpur in Prayagraj
Published on: 27 December 2022, 03:00 PM IST

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