लगातार बारिश होने के कारण दार्जिंलिंग और असम के चाय बागानों में काम प्रभावित हो रहा है. वर्षा के कारण चाय की पत्तियां तोड़ने के लिए मजदूर बागान में नहीं आ पा रहे हैं. चाय बागानों में अधिकांश महिलाएं हरी पत्तियां तोड़ने का काम करती हैं. लेकिन उत्तर बंगाल और असम में भारी वर्षा के कारण चाय बागानों में उत्पादन लगभग ठप हो गया है. इंडियन टी एसोसिएशन के मुताबिक पिछली बार की तुलना में इस बार जून में चाय के उत्पादन में 40 प्रतिशत की गिरावट आई है. उत्पादन कम होने के कारण बाजार में जरूरत के मुताबिक चाय की आपूर्ति भी कम हो रही है. बाजार में जरूरत के मुताबिक चाय की आपूर्ति के कारण कीमतों में भी वृद्धि हो गई है. निलामी केंद्रों में अधिक कीमत पर चाय की बिक्री की जा रही है. लेकिन बाजार में चय की कीमत बढ़ने का बावजूद चाय उद्योग को इस बार घाटे का मुंह देखना पड़ेगा. इसलिए की उत्पान में जिस तरह गिरावट आई है उसमें चाय की कीमत बढ़ जाने पर भी घाटे की भरपाई नहीं की जा सकती है.
25 मार्च से पूरे देश में लॉकडाउन होने से पश्चिम बंगाल के चाय बागानों में भी दो माह तक काम बंद था. असम के चाय बागानों में भी लॉकडाउन का समान रूप से प्रभाव पड़ा. चाय की पत्तियां तोड़ने के लिए मार्च- अप्रैल अच्छा समय माना जाता है. लेकिन लॉकडाउन के कारण लगभग दो माह तक चाय बागानों में काम बंद था. उसी समय चाय उत्पादन में 20 प्रतिशत गिरावट की आशंका पैदा हुई थी. एक जून से आनलॉक शुरू होने पर सरकार ने 100 प्रतिशत मजदूरों को लेकर चाय बागानों में उत्पादन शुरू करने का निर्देश दिया. लेकिन जब चब चाय बागानों में काम शुरू किया या तो बरसात शुरू हो गई.
प्राप्त खबरों के मुताबिक उत्तर बंगाल के दूआर और दार्जिलिंग के अधिकांश चाय बागानों में वर्षा का पानी जम गया है. असम के चाय बागनों में भी यही स्थिति है. बागानों में चाय की हरी पत्तियां तोड़ने का काम जिस तरह बंद है उसी तरह वर्षा के कारण विद्युत जनीत समस्या पैदा होने के कारण कारखानों में चाय का उत्पादन भी ठप है. इंडियन टी एसोसिएशन ने कहा है कि चाय के उत्पादन में भारी गिरावट आने से कीमतें बढ़नी शुरू हो गई है. लेकिन कीमत बढ़ाकर भी चाय उद्योग को घाटा से उबारना संभव नहीं है. इसलिए कि 40 प्रतिशत उत्पादन कम होने से जिस परिमाण में चाय उद्योग को घाटा हुआ है उसकी भरपाई कीमतें बढ़ने से भी नहीं हो सकती है. चाय भी एक नकदी फसल है. उत्पादन घटने से देश के संपूर्ण चाय उद्योग पर इसका असर पड़ेगा.