प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 फरवरी को न्यूज एजेंसी ANI को दिए इंटरव्यू में कृषि कानून पर खुलकर बात की. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार के द्वारा देश के किसान भाइयों के लाभ के लिए कृषि कानून लाए गए थे.
पीएम मोदी ने कहा- "मैंने यह पहले भी कहा है कि किसानों के लाभ के लिए कृषि कानून लाए गए थे, लेकिन देश हित के लिए इन तीनों कृषि कानूनों को वापस भी ले लिया गया. मुझे नहीं लगता कि इसे अब और समझाया जाना चाहिए. भविष्य की घटनाओं से यह स्पष्ट हो जाएगा कि क्यों ये कदम आवश्यक थे.
किसानों के हित के लिए किया काम
पीएम मोदी ने अपने इंटरव्यू में यह भी कहा कि हमने हमेशा किसानों के हित के लिए काम किया है और उन्होंने हमेशा उनका समर्थन भी किया है. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि, मैंने देशभर के किसानों का दिल जाती है और उन्होंने हमेशा मेरे फैसलों का समर्थन किया है.
आम नागरिक के पास ज्ञान का खजाना है
कृषि बिलों पर सवाल-जवाब करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि संवाद और चर्चा लोकतंत्र का आधार है. लोकतंत्र में देश की आम जनता के साथ संवाद में शामिल होना जनप्रतिनिधियों का प्राथमिक कर्तव्य है और हमारी सरकार इन सभी चर्चाओं में शुरूआत से लगी रही है. सरकार इस संवाद को रोकने के पक्ष में बिल्कुल नहीं है.
साथ ही पीएम मोदी ने यह भी कहा कि, देश के आम नागरिक के पास ज्ञान का खजाना है और हमारी सरकार इनसे जुड़कर उनसे प्राप्त होने वाले फीडबैक पर काम करना चाहती है. मेरा मानना है कि लोगों को मेरी राय और हमारी सरकार की राय सुननी चाहिए. उन्होंने यह भी कहां कि, बातचीत हमेशा चलती रहनी चाहिए। जैसे कि हम बजट बनाने से पहले चर्चा करते हैं. हम नहीं मानते कि दुनिया का सारा ज्ञान बाबाओं और राजनेताओं के पास है.
सरकार कृषि कानून लागू करने में नाकाम रही
आपको बता दें कि किसान भाइयों के लाभ के लिए लाए गए तीनों कृषि कानूनों को मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा के किसानों ने नवंबर 2020 से दिल्ली से सटे सीमाओं पर इन तीनों कानूनों का विरोध करना शुरू कर दिया था. इस बीच सरकार ने किसानों से कई बार बात करने की कोशिश की, लेकिन सरकार इन कानूनों को लागू करने में नाकाम रही.
हांलांकि 19 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा कि, देश हित के लिए केंद्र तीनों कृषि कानूनों को वापस लेंगी. इसके बाद ही संयुक्त किसान मोर्चा ने साल भर से चल रहे किसान आंदोलन को स्थगित करने का ऐलान भी किया. बता दें कि 23 नवंबर, 2021 को शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान तीनों कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया गया था.