महिलाओं के वेटलिफ्टिंग में भारत की मीराबाई चानू ने शनिवार के दिन यानी 30 जुलाई 2022 को कॉमनवेल्थ गेम्स में देश को पहला गोल्ड मेडल जीताकर इतिहास रच दिया है. इसी के साथ वह ओलंपिक में वेटलिफ्टिंग में मेडल जीतने वाली भारत की पहली महिला बन गई हैं.
आपको बता दें कि इस गेम्स में मीराबाई ने कुल 201 किलो का वजन उठाकर कमाल कर दिखाया है. ये ही नहीं उन्होंने क्लीन एंड जर्क के पहले राउंड के गेम्स में 109 किलो का वजन उठाया था. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बर्मिघम 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत का यह पहला गोल्ड मेडल है. इसे मिलाकर अब तक भारत की झोली में 3 मेडल आ चुके हैं. बाकी के दो मेडल सरगर ने सिल्वर और वहीं गुरुराजा पुजारी ने ब्रॉन्ज मेडल जीता है.
मीराबाई चानू का दूसरा गोल्ड मेडल (Mirabai Chanu's second gold medal)
इस बार के कॉमनवेल्थ गेम्स में मीराबाई चानू ने गोल्ड मेडल जीतकर देश को वेटलिफ्टिंग में दूसरा गोल्ड दिया है. इससे पहले उन्होंने साल 2018 में भी देश के लिए गोल्ड जीता था. इसके अलावा उन्होंने साल 2014 में रजत पदक हासिल किया था.
दूसरे राउंड में गोल्ड मेडल किया पक्का (Gold medal assured in second round)
27 वर्षीय मीराबाई ने राष्ट्रमंडल के स्नैच राउंड की पहली कोशिश में 84 किलो तक का भार उठाया. इसके बाद दूसरी कोशिश में उन्होंने 88 किलो का भार उठाया. इस भार को उठाने के साथ ही उन्होंने नेशनल रिकॉर्ड की बराबरी कर ली थी और फिर दूसरे राउंड के प्रयास में उन्होंने 49 kg वर्ग के गोल्ड मेडल को अपने नाम कर लिया.
पीएम मोदी ने भी की तारीफ (PM Modi also praised)
प्रधानमंत्री ने अपने ट्विटर अकाउंट पर ट्वीट करते हुए कहा, “असाधारण मीराबाई चानू ने भारत को एक बार फिर गौरवान्वित किया है! हर भारतीय खुश है कि उन्होंने एक स्वर्ण जीता है और बर्मिंघम खेलों में एक नया राष्ट्रमंडल रिकॉर्ड बनाया है. उसकी सफलता कई भारतीयों को प्रेरित करती है, विशेष रूप से उभरते एथलीटों को.”
इसके अलावा उन्होंने अपने दूसरे ट्वीट में लिखा कि सीडब्ल्यूजी, बर्मिंघम में रजत पदक जीतने के लिए बिंद्यारानी देवी को बधाई. यह उपलब्धि उनके तप की अभिव्यक्ति है और उन्होंने प्रत्येक भारतीय को बहुत प्रसन्न किया है. मैं उनके भविष्य के प्रयासों के लिए उन्हें शुभकामनाएं देता हूं.
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वहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने ट्विटर अकाउंट के द्वारा मीराबाई चानू को बधाई दी है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि मीराबाई चानू ने #CommonwealthGames में वेटलिफ्टिंग में गोल्ड मेडल जीतकर नया रिकॉर्ड बनाया है. चल रहे खेलों में भारत के लिए उनके पहले स्वर्ण पदक ने पूरे देश में खुशी और उत्सव की लहर पैदा कर दी है. अच्छा किया, मीराबाई! भारत को आप पर और आपके पदकों पर गर्व है.
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गृह मंत्री अमित शाह भी अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखते हैं कि भारतीय भारोत्तोलक भारतीय ध्वज को ऊंचा रखते हुए. बहुत बढ़िया @mirabai_chanu. आपने उल्लेखनीय धैर्य और तप दिखाया है. आपकी उपलब्धि पर देश को गर्व है.
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मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने भी मीराबाई की तारीफ में लिखा कि "मणिपुर की सुपरस्टार बेटी पर बहुत खुशी और गर्व है. मीराबाई चानू कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में 49 किग्रा भारोत्तोलन वर्ग में भारत का पहला स्वर्ण जीतने पर, भारत का नाम रोशन करने के लिए हार्दिक बधाई और धन्यवाद. आपने अपना वादा निभाया है. कितना गर्व का क्षण है, जय हिन्द."
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मीराबाई चानू का जीवन (Life of Mirabai Chanu)
मीराबाई चानू बहुत ही गरीब घर से ताल्लुक रखती हैं. उनका जन्म मणिपुर इंफाल से लगभग 20 किलोमीटर दूर एक छोटे से गांव नोकपोक काकचिंग में हुआ था. यह अपने परिवार में सबसे छोटी थीं. वह अपने घर के लिए जंगलों में जाकर लकड़ियों को एकत्रित करती थीं. वह 12 साल की उम्र से ही भार उठा रही हैं और अपने इसी हुनर के कारण आज उन्होंने विश्व स्तर पर देश का परचम लहराने में सफल रही हैं.
मीराबाई चानू ने बचपन से ही अपने आपको आर्थिक व शारीरिक रूप से मजबूत बनाया है. वह बचपन से ही अपने भाई-बहन के मुकाबले अधिक भार उठाती आ रही हैं. देखा जाए तो मीराबाई चानू का जीवन किसी प्रेरणा से कम नहीं है.इन्हें साल 2018 में सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार (Highest Sports Award Rajiv Gandhi Khel Ratna Award) और चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री अवार्ड (Padma Shri) से भी नवाजा गया है.
मीराबाई बनना चाहती थी कुछ और पर बन गई कुछ और
मीराबाई चानू को बचपन से तीरंदाजी करना का शौक था और इसी को ही वह अपना करियर भी बनाना चाहती थी. लेकिन कहते हैं ना जो किस्मत में है वहीं आपको बनना होता है. शायद मीराबाई के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ और आज उन्होंने वेटलिफ्टिंग में देश का नाम रोशन किया.
बता दें कि जहां 17-18 साल की उम्र में बच्चे पढ़ाई लिखाई करते हैं. वहीं मीराबाई 17 साल की उम्र में ही वेटलिफ्टिंग में जूनियर चैंपियन बन गई थी. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और आगे बढ़ती रही. इस बीच उन्होंने कई मुश्किलों का भी डटकर सामना किया.