Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 23 December, 2020 3:03 PM IST
Famers Protest

कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ किसानों का आंदोलन अब ओर बड़ा रुख अख्तियार सकता है. जी हां, अब इस आंदोलन की कवायद बिहार में भी शुरू हो गई है. क्योंकि दिल्ली से कई दिग्गज किसान नेता पटना पहुंचे हैं. गौरतलब है कि दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का प्रदर्शन 26 नवंबर से जारी है. अब बिहार में भी किसान आंदोलन को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है. पटना में हरियाणा के बड़े किसान नेता गुरनाम सिंह चारुनी (Gurnam Singh Charuni) समेत कई किसान पहुंचे हैं. इन किसान नेताओं की मांग है कि बिहार में भी 23 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर गारंटी कानून बने और नए कृषि कानूनों को वापस लिया जाए.

आपको बता दें कि गुरनाम सिंह चारुनी भारतीय किसान यूनियन (BKU) हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष है. गुरनाम सिंह चारुनी ही वो शख्स है जो दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसानों के आंदोलन में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं.

किसान नेता ने क्या कहा

भारतीय किसान यूनियन (BKU) हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष गुरुमान सिंह का कहना है कि पंजाब और हरियाणा के किसानों की तरह ही बिहार के किसानों को भी जागरुक होने की जरूरत है. गुरूमान का आगे कहना है कि बिहार में धान का एमएसपी 1888 रुपए है, लेकिन किसी को भी 1000 रुपए से ज्यादा नहीं मिल रहा. सरकार वन नेशन वन मार्केट की बात करती है लेकिन बिहार के किसानों को पंजाब जैसे रेट नहीं मिलते, जिसके बाद सवाल उठते हैं कि आखिर कब बिहार के किसानों को पंजाब जैसे दाम मिलेंगे.

क्या बिहार में पलायन का ये है मुख्य कारण?

इतना नहीं, किसान नेता ने इस दौरान बिहार से हो रहे पलायन के पीछे भी किसानों की खराब स्थिति को बताया. उनका कहना है कि बिहार में भूमि उपजाऊ होने के साथ-साथ पानी भी अच्छा है. लेकिन यहा एमएसपी अधिनियम (APMC Act) खत्म होने के बाद से अपज सही एमएसपी पर नहीं खरीदी जा रही हैं. यही वजह है कि बिहार के किसानों की हालत मजदूरों जैसी हो गई है. अपनी खराब स्थिति के कारण ही बिहार के किसानों और मजदूरों को रोजीरोटी कमाने के लिए दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है.

बिहार के किसानों को क्यों नहीं मिलते उपज के सही दाम

आपको बता दें कि साल 2006 में बिहार में एपीएमसी (APMC) अधिनियम खत्म हुआ था. उस समय इस कदम को किसानों के हित में बताया गया था, लेकिन सभी जानते हैं कि इस समय बिहार के किसानों की क्या स्थिति है. आंकड़ों के मुताबिक देश में बिहार के किसानों की औसतन प्रतिवर्ष आय सबसे कम है. बिहार में एपीएमसी अधिनियम खत्म करने के बाद से किसान उपज की सही कीमत से जूझ रहे हैं. यहां किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद ना के बराबर मिलती है.

एपीएमसी क्या है (What is APMC)

नए कृषि कानूनों के पीछे आंदोलन की सबसे बड़ी वजह बिहार का उदाहरण भी है, क्योंकि यहां एपीएमसी का सिस्टम नहीं है. दरअसल, एपीएमसी (APMC) का पूरा नाम एग्रीकल्चर मार्केटिंग प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (Agriculture Marketing Produce Committee) है. कृषि क्षेत्र में विकास के लिए आजादी के बाद से ही सरकार नीतियां बनाती रही हैं. इसी कड़ी में 1970 के दशक में एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग (Regulation) अधिनियम यानी APMC Act के तहत कृषि विपणन समितियां बनी. इनका मुख्य मकदस बाजार की अनिश्चितताओं से किसानों को महफूज रखना था. इस कानून के आने के बाद से कृषि बाजारों में कुछ हद तक व्यवस्थाएं सुधरी और बिचौलियों का शोषण भी कम हुआ. लेकिन साल 2006 में बिहार में इस कानून को खत्म कर दिया गया.

देश में बिहार की क्या है स्थिति?

आपको बता दें कि इस समय बिहार के किसान की स्थिति प्रति वर्ष औसतन आय के हिसाब से बहुत खराब है. बिहार के किसान हर साल औसत आय के रूप से केवल 42,684 रुपए ही कमा पाते हैं, यानी बिहार के किसानों की हर महीने औसतन कमाई केवल साढ़े 3 हजार रुपए के करीब है. जबकि पंजाब के किसानों की औसतन वर्षिक आय देश में सबसे ज्यादा है. पंजाब के किसान सालाना औसतन 2,16,708 रुपए कमाते हैं. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आखिर क्यों पंजाब के किसान आंदोलन कर रहे हैं, और क्यों पटना में किसान नेताओं के द्वारा आंदोलन के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है.

English Summary: Preparations for big farmer movement in Bihar
Published on: 23 December 2020, 03:09 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now