पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने मंगलवार को अगले सात दिनों के लिए राज्य के बाहर आलू के व्यापार की अनुमति देने का फैसला किया है, यह विचार करते हुए कि इससे राज्य में आलू की कमी नहीं होगी और कीमतों में वृद्धि नहीं होगी. दरअसल, आलू व्यापारियों और सभी संबंधित पक्षों के साथ बैठक के बाद, ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार ने बुधवार यानी आज से शुरू होने वाले सात दिनों के लिए बंगाल से अन्य राज्यों को 2 लाख टन तक आलू बेचने की अनुमति दी.
पंचायत मंत्री प्रदीप मजूमदार ने कहा, "इस विचार के साथ कि राज्य में आलू की कोई कमी नहीं होगी और कीमतें स्थिर रहेंगी — वे कम हो सकती हैं लेकिन बढ़ेंगी नहीं — जब तक ताजा उत्पादन नहीं आ जाता, अगले सात दिनों के लिए सरकार अन्य राज्यों को 2 लाख टन तक आलू की आपूर्ति की अनुमति देगी."
दीर्घकालिक निर्णय
पंचायत मंत्री प्रदीप मजूमदार ने कहा कि अधिकारी आलू की कीमतों की निगरानी करेंगे. राज्य में आलू की कीमतों में भारी वृद्धि के बाद पिछले महीने सरकार ने राज्य के बाहर आलू के व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया था. गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल देश का दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक राज्य है.
मजूमदार ने कहा कि अगर अगले सात दिनों के दौरान राज्य में कीमतें नहीं बढ़ती हैं, तो सरकार अंतर-राज्यीय व्यापार पर प्रतिबंध हटाने के लिए लंबी अवधि का फैसला करेगी. दरअसल उन्होंने कहा, "यदि सात दिनों के अंतर-राज्यीय व्यापार की अनुमति देने के बाद कीमतें नहीं बढ़ती हैं, तो मुख्यमंत्री अन्य राज्यों को आलू बेचने की अवधि बढ़ाने पर निर्णय लेंगी. यदि घरेलू बाजार में कीमतें स्थिर रहती हैं, तो निश्चित रूप से तारीख बढ़ाई जाएगी."
पश्चिम बंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन और पश्चिम बंगा प्रगतिशील आलू व्यापारी समिति ने अंतर-राज्यीय व्यापार के मुद्दे पर बैठक आयोजित करने का आग्रह करने के बाद सरकार ने मंगलवार को आलू व्यापारियों और सभी संबंधित पक्षों से मुलाकात की.
बाजार खोने का डर
जैसे-जैसे सरकार राज्य के बाहर आलू के व्यापार की अनुमति नहीं देने के अपने फैसले पर अड़ी रही, आलू के किसान और व्यापारी विरोध प्रदर्शन कर रहे थे क्योंकि उन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता था.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बंगाल के आलू व्यापारी डर रहे थे कि वे उत्तर प्रदेश के मुकाबले अपने बाजार खो देंगे क्योंकि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार आलू के अंतर-राज्यीय व्यापार की अनुमति नहीं देने के अपने फैसले पर अड़ी हुई थी.
व्यापारियों ने कहा कि आलू को अन्य राज्यों में निर्यात पर प्रतिबंध के कारण उन्हें भारी वित्तीय नुकसान का सामना करना पड़ रहा था. प्रतिबंध के और अधिक बढ़ने से बंगाल अपने प्रमुख आलू बाजारों जैसे- ओडिशा, आंध्र प्रदेश, बिहार और असम को उत्तर प्रदेश के हाथों खो सकता है. गौरतलब है कि आमतौर पर, ये चार राज्य मुख्य रूप से बंगाल के आलू पर निर्भर रहते हैं. बंगाल हर साल अन्य राज्यों को लगभग 20-25 लाख टन अतिरिक्त आलू बेचता है. मंत्री ने कहा, "आज की बैठक में सभी हितधारक खुश थे. बेशक, घरेलू बाजार में आपूर्ति को सुचारू रखने की चुनौती उनके सामने है."