किसानों फसलों का मंडी में भाव हमेशा एक परेशानी रहा है. कभी यह बढ़ जाता है तो कभी यह घाट जाता है. यदि रेट बढ़ता है तो किसान को फायदा मिलता है और रेट घटता है तो किसान परेशानी में आ जाता है. आलू जैसी देश की मुख्य फसल किसानों को अच्छा फायदा दे देती है बशर्ते की मंदी में फसल का भाव सही रहे.
इसा बार किसानों को आलू के सही दाम मिल रहे है जिसके चलते किसानों को फायदा मिल रहा है. मार्च का महीना आलू किसानों के लिए अच्छा जा रहा है. आलू की कीमतें फरवरी के मुकाबले लगभग दोगुनी हो चुकी हैं. जनवरी के अंत में अगैती आलू लखनऊ में 400 रुपए प्रति क्विंटल बिका था जो इस वक्त 900 से 1000 रुपए प्रति क्विंटल पहुंच गया है.
दिल्ली की थोक मंडी आजादपुर में 800 से 1000 तो मध्य प्रदेश के इंदौर में भी कीमतें 1000 के आसपास रहीं. कारोबारी आलू की बढ़ती कीमतों के लिए कोल्ड स्टोरेज में भंडारण को मान रहे हैं. यूपी समेत कई राज्यों में बड़े पैमाने पर स्टोर किया जा रहा है, बड़े कारोबारी भी भंडारण करवा रहे हैं, मांग बढ़ने का सीधा असर रेट पर पड़ रहा है.
ज्ञात रहे देश में सबसे ज्यादा कोल्ड स्टोरेज यूपी में हैं. कन्नौज में करीब 117 कोल्ड स्टोरेज में भंडारण जारी है. देश की कुल क्षमता 2 लाख 4 हजार मीट्रिक टन है. पिछले वर्ष आलू किसानों को जबरदस्त घाटा उठाना पड़ा था. आलू की कीमतें पैसों तक में आ गई थीं.
यह खबर भी पढ़ें : Top Potato Varieties: आलू की इन 5 क़िस्मों की करें बुवाई, मिलेगी बेहतर उपज
बहुत से किसानों ने आलू खेत में जुतवा दिया था, जबकि इस सीजन में यूपी के सैकड़ों कोल्ड स्टोरेज में हजारों किसान आलू निकालने नहीं पहुंचे, क्योंकि रेट इतने कम थे कि उनकी लागत नहीं निकल पा रही थी. आगरा समेत कई जगह पर कोल्ड स्टोरेज वालों ने अपने पैसे से आलू निकालकर फेंकवा दिया था. जिसके बाद योगी सरकार को सरकारी खरीद शुरू करानी पड़ी थी.