बिहार सरकार ने किसानों की आमदनी बढ़ाने और आलू उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए एक बड़ी योजना शुरू की है. इस योजना का नाम लेडी रोसेटा आलू विस्तार योजना है. इसके तहत बिहार के 17 जिलों के किसानों को आलू की खेती पर 75 प्रतिशत तक अनुदान मिलेगा. सरकार चाहती है कि आलू की खेती से किसान आर्थिक रूप से मजबूत बनें और राज्य में आलू आधारित उद्योगों को भी बढ़ावा मिले.
उपमुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि इस योजना का लाभ औरंगाबाद, बांका, बेगूसराय, भागलपुर, गया, गोपालगंज, कटिहार, खगड़िया, लखीसराय, नालंदा, नवादा, पटना, समस्तीपुर, सारण, शेखपुरा, सिवान और वैशाली जिले के किसानों को मिलेगा. इस योजना से किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध होंगे और उन्हें खेती में आधुनिक तकनीक अपनाने में मदद मिलेगी.
अनुदान और लागत का विवरण
कृषि मंत्री ने बताया कि प्रति हेक्टेयर आलू की खेती के लिए बीज की लागत 30 क्विंटल तक तय की गई है, जिसका दाम अधिकतम 4,000 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया है. कुल इकाई लागत, जिसमें बीज और अन्य इनपुट शामिल हैं, 1,25,150 रुपये प्रति हेक्टेयर है.
इस लागत पर किसानों को 75 प्रतिशत यानी करीब 93,863 रुपये का अनुदान मिलेगा. यह राशि किसानों को दो किस्तों में दी जाएगी.
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पहली किस्त: 70,397 रुपये (बीज और इनपुट खरीदने के लिए)
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दूसरी किस्त: 23,466 रुपये (निरीक्षण और सत्यापन के बाद)
रबी सीजन में आलू की खेती का महत्व
रबी सीजन में आलू की खेती अक्टूबर के अंत से नवंबर की शुरुआत में होती है. इस योजना के तहत किसानों को टिश्यू कल्चर से तैयार उच्च गुणवत्ता वाले जी-3 प्रजनक बीज दिए जाएंगे. इन बीजों से आलू की पैदावार बेहतर होगी और रोगों का असर भी कम पड़ेगा. बीजों की आपूर्ति जिले के सहायक निदेशक (उद्यान) द्वारा की जाएगी.
किसानों की आय और प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा
इस योजना का मुख्य मकसद सिर्फ आलू उत्पादन बढ़ाना ही नहीं है, बल्कि किसानों की आय को स्थिर करना और प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को बढ़ावा देना भी है. बिहार में आलू की खेती से चिप्स, फ्रेंच फ्राइज और अन्य उत्पाद बनाने वाले उद्योगों को भी फायदा होगा. किसानों की आमदनी बढ़ेगी और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे.
चुनौतियां भी मौजूद
हालांकि यह योजना किसानों के लिए बहुत मददगार है, लेकिन चुनौतियां अभी भी हैं. आलू की सही कीमत न मिलना और भंडारण की सुविधाओं की कमी किसानों के लिए बड़ी समस्या है. सरकार इस दिशा में भी कदम उठा रही है ताकि किसान सुरक्षित तरीके से अपनी उपज बेच सकें और उन्हें उचित दाम मिल सके.