केंद्र सरकार ने डाक कार्य प्रणाली में पूरा बदलाव लाने का निश्चय किया है. अब डाकिया का रिश्ता अपनी मृदा से गहरा हो गया है. किसान द्वारा प्राप्त मृदा के नमूने स्पीड पोस्ट से कृषि विज्ञान केंद्र में जाचने के लिए आ रहे हैं. किसानों को अपनी भू-आरोग्य पत्रिका डाक से ही प्राप्त होनी शुरू हो गई है.
एग्रीकल्चर डेवलपमेंट ट्रस्ट, बारामती के कृषि विज्ञान केंद्र, डाक कार्यालय के तहत मृदा के नमूने एवं मृदा परीक्षण का आदान-प्रदान किया जा रहा है. बारामती तालुका के 15 गावों में यह पथदर्शी प्रयोग किया गया. विश्व में पहली बार यह प्रयोग बारामती के कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा किया है. जिले के 15 डाक कर्मचारी एवं उनके विभागीय अधिकारियों का प्रशिक्षण शिविर पूरा हुआ.
बारामती कृषि विज्ञान केंद्र के प्रात्यक्षिक प्लॉट पर मृदा का नमूना लेने के तरीके से लेकर मृदा-परीक्षण एवं फसल प्रबधन कैसे करें? इन विषयों पर 3 साल पहले प्रशिक्षण दिया गया था. शिविर में डाक के वरिष्ठ विभागीय अधिकारी सय्यद, होशिग बारामती विभाग के आगवणे आदि का सहभाग रहा.
समूचे भारत में बारामती में ही पहली बार यह प्रयोग किया गया. लोगों को कम कीमत में घर तक गंगाजल पहुँचाने की ‘नमामी गंगे’ योजना जैसे सफल रही. वैसे ही भू-आरोग्य पत्रिका का यह प्रयोग भी सफल हो रहा है.
ग्रामीण भाग में डाक कार्यालयों का किसानों से अधिक संपर्क होता है. पंत प्रधान ने बारामती को भेट देने के बाद मृदा परीक्षण के कार्य को अधिक बढावा देना शुरू किया. डाक द्वारा किसानों को भू-आरोग्य पत्रिका देने का कार्य अधिक सफल बना है. केंद्र का कार्य क्षेत्र पुणे जिले के 7 तलुका में है, लेकिन पूरे राज्य से इस प्रणाली से मृदा के नमूने जाँच के लिए आ रहे हैं. इसमें दूर के किसानों का आने जाने का वक़्त और पैसा दोनों बच रहे हैं.