बजट 2021-22 की उलटी गिनती अब शुरू हो चुकी है, क्योंकि इसके पेश होने में कुछ ही दिन शेष हैं. एक फरवरी को बजट को संसद (Parliament) में पेश किया जा सकता है. इससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने (PM Narendra Modi) देश के जाने माने इकोनॉमिस्ट्स (Economists) और विशेषज्ञों (Experts) के साथ वर्चुअल मीटिंग की. जिसमें 16 बड़े अर्थशास्त्री और एक्सपर्ट्स शामिल हुए.
आपको बता दें कि बजट 2021 पर इस बैठक का आयोजिन नीति आयोग की तरफ से किया गया था. जिसमें नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार (Rajiv Kumar) और नीति आयोग के CEO अमिताभ कांत (Amitabh Kant) समेत 16 अर्थशास्त्री शामिल हुए.
बैठक में इन 16 अर्थशास्त्रियों ने लिया हिस्सा
बजट पर चर्चा के लिए बुलाई गई इस बैठक में 16 अर्थशास्त्रियों ने हिस्सा लिया. जिसमें अरविंद पनगढ़िया, अरविंद विरमानी, अशोक लाहिड़ी, अबेक बरुआ, अभय पेठे, केवी कामथ, इला पटनायक, मोनिका हालन, राकेश मोहन, रवींद्र ढोलकिया, राजीव मन्त्री, सौम्या कांति घोष, शेखर शाह, सोनल वर्मा और शंकर आचार्य मौजूद रहे. इतना ही नहीं, इस वर्चुअल मीटिंग में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर, नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार और नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत समेत कई अन्य लोग भी शामिल रहे. वहीं प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, प्रमुख सलाहकार, कैबिनेट सचिव ने भी हिस्सा लिया.
गौरतलब है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी लगातार यूनियन बजट (Union budget) पर विशेषज्ञों से चर्चा कर रही है. ये साल कोरोना महामारी की वजह से काफी बुरा रहा है. इसमें कई छोटी-बड़ी कंपनियों को नुकसान पहुंचा है और बहुत से लोगों की नौकरी चली गई. इसलिए अर्थशास्त्रियों ने प्रधानमंत्री को कुछ ऐसे सुझाव दिए हैं जिससे देश की सुस्त अर्थव्यवस्था को गति मिल सके.
इस खास बैठक में अर्थशास्त्रियों ने पीएम मोदी (PM Modi) को निम्न सुझाव दिए:
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टैक्स प्रणाली में सुधार पर जोर- अर्थशास्त्रियों ने देश के प्रधानमंत्री से इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स और जीएसटी को तर्कसंगत बनाने की सिफारिश की है.
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निजीकरण को बढ़ावा देने का सुझाव- अर्थशास्त्रियों की तरफ से इस बजट में कुछ खास चीजों पर आयात शुल्क कम करने के साथ-साथ निजीकरण को बढ़ावा देने का भी सुझाव दिया गया है, इकोनॉमिस्ट का कहना है कि इस बजट में कोविड-19 को देखते हुए बैंकों का री-कैपिटलाइजेशन बढ़ाना चाहिए.
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अर्थशास्त्रियों ने मीडियम-टर्म फिस्कल रोडमैप पर काम करने और रुपए की स्थिरता को इकोनॉमी के लिए जरूरी बताया.
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अर्थशास्त्रियों ने सरकार से खुदरा महंगाई दर पर नजर रखने के लिए भी कहा.
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बजट 2021-22 में राजकोषीय घाटे के प्रति उदार रुख अपनाने का सुझाव.
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अर्थशास्त्रियों ने निर्यात प्रोत्साहनों और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया.
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एक शीर्ष अर्थशास्त्री ने भारत को $ 10 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनाने के लिए 10 साल का रोडमैप तैयार करने की सलाह दी.
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बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर सार्वजनिक खर्च को बढ़ाने और रोजगार के नए अवसर बनाने का भी सुझाव दिया गया.