प्रधानमंत्री मोदी नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली 'राजग' सरकार ने हाल ही में अपने कार्यकाल का आखिरी बजट पेश किया था. बजट को लेकर जैसा कि सियासी गलियारों में चर्चा थी. उसी चर्चा पर खरा उतरते हुए किसानों, मजदूरों और मध्यम वर्ग के लिए कई बड़ी योजनाओं का ऐलान किया गया था. जिनमें से से एक योजना 'प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि' (पीएम-किसान) योजना भी है. जिसके तहत देश के उन लघु व सीमांत किसान परिवारों को प्रति वर्ष 6 हजार रुपये की सहायता राशि सीधे चार-चार माह के अंतराल पर तीन किश्तों में मुहैया कराई जाएगी, जिनके पास राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेशों के भू-अभिलेखों में सम्मिलित रूप से 2 हेक्टेयर तक की कृषि योग्य भूमि का स्वामित्व है.
लेकिन अब 'प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि' योजना राजनीति की भेंट चढ़ती दिख रही है. ऐसे में इस योजना का फायदा फिलहाल देश के कई राज्यों के किसानों को नहीं मिल सकेगा. क्योंकि सरकारें इसमें अपना राजनीतिक फायदा ढ़ूढ़ रही है. दरअसल केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने मंगलवार को ओडिशा सरकार से केंद्र की 'पीएम-किसान' योजना के तहत आने वाले लाभार्थी किसानों की सूची मांगी है. केंद्र को आंकड़े देने में देरी को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री ने राज्य के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक पर निशाना साधते हुए कहा कि 'राज्य के कम-से-कम 12 लाख किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के तहत लाभ मिलेगा. लेकिन राज्य सरकार ने अभीतक केवल 8 लाख किसानों की सूची उपलब्ध करायी है, बाकी के बारे में कोई सूचना नहीं है.'
उक्त बातें केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसान मेले एवं राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान में कुछ शोध संस्थाओं के उद्घाटन के मौके पर कही. केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि 'अगर राज्य के पात्र किसानों की बैंक से जुड़ी जानकारी केंद्र से साझा नहीं की जाती है तो उन्हें किस प्रकार से फायदा पहुंचेगा उन्होंने कहा कि 'राज्य सरकार को पूरे आंकड़े केंद्र सरकार से साझा करने चाहिए ताकि कोई भी किसान इस लाभ से वंचित ना रहे.' गौरतलब है कि ओडिशा की 'बीजू जनता दल' सरकार ने शुरुआती हिचक छोड़कर 21 फरवरी को 'पीएम-किसान' योजना को राज्य में लागू करने का फैसला किया था.