देश के किसानों के लिए राज्य और केंद्र सरकार ऐसी योजना निकालती रहती है, जिसके माध्य़म से किसानों को सहायता मिलती है और उनकी फसल के भी अच्छे दाम मिल जाते हैं. अभी हाल ही में छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए एक बड़ी पहल की गई है. प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM ASHA Yojana) जिसके तहत राज्य के किसानों को अब दलहन और तिलहन फसलों की भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदी की जाएगी. इससे प्रदेश के लाखों किसानों को सीधा लाभ मिलने की उम्मीद है और उनकी आय में स्थायी वृद्धि का रास्ता खुलेगा.
दलहन-तिलहन खरीदी पर 425 करोड़ रुपये की मंजूरी
केंद्र सरकार ने खरीफ सीजन में दलहन-तिलहन खरीदी के लिए छत्तीसगढ़ को 425 करोड़ रुपये की वित्तीय स्वीकृति दी है, जिसके तहत अरहर, उड़द, मूंग, सोयाबीन और मूंगफली जैसी प्रमुख फसलों का उपार्जन न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किया जाएगा. सरकार का यह कदम उन किसानों के लिए है, काफी समय से MSP पर दलहन-तिलहन खरीदी की मांग कर रहे थे.
किन फसलों की होगी MSP पर खरीदी?
सरकार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक खरीफ सीजन निम्नलिखित मात्रा में दलहन और तिलहन की खरीदी की जाएगी. जो इस प्रकार से हैं-
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अरहर: 21,330 मीट्रिक टन
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उड़द: 25,530 मीट्रिक टन
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मूंग: 240 मीट्रिक टन
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सोयाबीन: 4,210 मीट्रिक टन
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मूंगफली: 4,210 मीट्रिक टन
कैसे होगी खरीदी?
दलहन-तिलहन की खरीदी का कार्य राज्य में मार्कफेड के माध्यम से सहकारी समितियों द्वारा किया जाएगा. इसके लिए सरकार ने पहले ही 22 जिलों में 222 खरीदी केंद्र अधिसूचित कर दिए हैं. इन केंद्रों पर किसानों से सीधे MSP पर फसल खरीदी जाएग, जिससे बिचौलियों की भूमिका खत्म होगी और किसानों को उनकी उपज का पूरा मूल्य मिलेगा.
आवेदन कैसे करें?
जिन किसान भाइयों ने अभी पंजीयन नहीं करवाया है वह घबराएं नहीं. इस प्रक्रिया को कृषि विभाग के एकीकृत किसान पोर्टल पर लगातार जारी किया गया है और जिन किसानों ने पंजीयन अभी तक नही किया है, वे नजदीकी सहकारी समिति में जाकर पंजीयन करवा सकते हैं और खरीदी केंद्रों पर अपनी फसल बेचकर योजना का फायदा उठा सकते हैं.
मुख्यमंत्री ने क्या कहां?
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राज्य सरकार के इस फैसले की सराहना की और कहां कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर दलहन और तिलहन का उपार्जन राज्य सरकार का महत्वपूर्ण निर्णय है, जिससे किसानों को उनकी फसलों का उचित दाम मिलेगा और उनकी आय में इजाफा होगा.
साथ ही मुख्यमंत्री ने यह कहां कि इससे न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होग, बल्कि छत्तीसगढ़ दाल और खाद्य तेल उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी तेजी से आगे बढ़ेगा.