किसानों की आय में वृद्धि के लिए केंद्र व राज्य सरकारें हर एक हथकंडा अपना रही है. इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार डिग्री अथवा डिप्लोमा न होने पर कीटनाशक रसायन विक्रेताओं के लाइसेंस निरस्त करने का निर्णय लिया है. इसके लिए शासन ने विक्रेताओं को डिप्लोमा करने को अंतिम मौका भी दे दिया है. दरअसल मीडिया आई खबरों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद के जिला कृषि रक्षा अधिकारी डॉ. योगेंद्र कुमार ने बताया कि जिन कीटनाशक रसायन विक्रेताओं के पास बीएससी कृषि अथवा रसायन में डिग्री नहीं हैं. उनके लिए डिप्लोमा इन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन सर्विसेज फार इनपुट डीलर्स कार्यक्रम को डिप्लोमा पाठ्यक्रम कृषि रक्षा अधिकारी कार्यालय में शुरू किया जा रहा है.
इसके लिए वे 20 हजार रुपये का ड्राफ्ट जमा कर प्रवेश ले सकेंगे. इस डिप्लोमा पाठ्यक्रम में पंजीकरण न कराने वाले डिग्री विहीन कीटनाशक विक्रेताओं के लाइसेंस निरस्त कर दिए जाएंगे. उन्होंने आगे बताया कि जनपद में कई कीटनाशक रसायनों की बिक्री करने वाले लाइसेंस धारक ऐसे हैं जिनके पास न तो डिग्री है और न डिप्लोमा. ऐसे में लाइसेंस धारकों को सरकार ने बेहतर अवसर प्रदान किया है. लेकिन डिग्री विहीन जो लाइसेंस धारक इस मौके का फायदा नहीं उठा सकेंगे उनसे कीटनाशक बिक्री का अधिकार छिन जाएगा.
पांच साल के लिए उर्वरक विक्रेताओं को जारी होंगे लाइसेंस
खबरों के मुताबिक, अब उर्वरक विक्रेताओं को 5 साल के लिए लाइसेंस दिया जाएगा. केंद्र सरकार ने उर्वरक विक्रेताओं के लाइसेंस के नियमों में बदलाव करते हुए नई गाइडलाइन जारी की है. इसे राज्य के सभी जिलों में लागू करने के लिए कृषि निदेशक ने सभी जिलों के कृषि अधिकारी आदेश भी जारी किया है. नई गाइडलाइन में उर्वरक विक्रेताओं को अपने लाइसेंस का पांच सालों में नवीनीकरण कराना पड़ेगा. अभीतक उर्वरक विक्रेताओं को 3 साल के लिए लाइसेंस दिया जाता था. इसके बाद विक्रेताओं को अपने लाइसेंस का नवीनीकरण कराना पड़ता था. गौरतलब है कि नियमों में हुए बदलाव से राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान पहुंचेगा. मुजफ्फरपुर जिले के करीब 850 उर्वरक विक्रेताओं को सख्त हिदायत दी गई है कि उर्वरक की बिक्री ऑनलाइन पॉस मशीन के माध्यम से करेंगे.
कृषि स्नातक वाले को ही मिलेगा लाइसेंस
बता दे कि नई उर्वरक दुकान का लाइसेंस प्राप्त करने हेतु कृषि में स्नातक या कृषि से डिप्लोमा का डिग्री होना अनिवार्य है. तो वहीं पुराने लाइसेंसधारकों को कृषि विभाग की तरफ से 15 दिनों का प्रशिक्षण दिया जाएगा.