भारतीय किसान यूनियन के नेता को लगातार इस बात का डर सता रहा है कि कहीं उनका यह आंदोलन कमजोर न पड़ जाए, इसलिए वे अपने आंदोलन को संबल बनाने की दिशा में हर संभव कोशिश कर रहे हैं. कभी किसानों भाइयों को रिझाने की कोशिश करते हैं, तो कभी अपने आंसू बहाकर मर चुके आंदोलन को पुनर्जीवित करने का प्रयास करते हैं, लेकिन अब उन्होंने सभी राज्यों का दौरा कर इस आंदोलन के बिसात को लंबा करने का बीड़ा उठा लिया है.
वे हर राज्य का दौरा कर रहे हैं, जिसमें चुनावी राज्य बंगाल भी शामिल है. वे हर राज्य में महापंचायत कर किसान भाइयों को मौजूदा सरकार के खिलाफ लामबंद कर रहे हैं. खैर, अब वे अपनी इस कोशिश में कहां तक सफल हो पाते हैं. यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन इससे पहले हम आपको उस घटनाक्रम से रूबरू कराए चलते हैं, जहां लोगों ने गुस्से में आकर 'भारतीय किसान यूनियन' के नेता राकेश टिकैत का पोस्टर तक फाड़ दिया और जब मीडिया ने इस बारे में टिकैत साहब से सवाल पूछे तो उन्होंने अपने जवाब में क्या कहा? जानने के लिए पढ़िए हमारी यह खास रिपोर्ट...
गुस्से में फाड़ दिया टिकैत का पोस्टर
जैसा कि हमनें आपको बताया कि अभी टिकैत साहब किसान आंदोलन को धार देने के लिए सभी राज्यों का दौरा कर रहे हैं. इसी कड़ी में मध्यप्रदेश के सिहौर में उनका कार्यक्रम प्रस्तावित था, लिहाजा उनके कार्यक्रम के प्रचार-प्रसार के लिए जगह-जगह पोस्टर लगाए गए थे, लेकिन कुछ लोगों ने उनके इस कार्यक्रम से खफा होकर उनका पोस्टर फाड़ दिया और जब यह बात टिकैट साहब को पता लगी तो उन्होंने पूरे आत्मविश्वास के साथ बेहद बेबाकी से अपने जवाब में कहा कि इस तरह की घटनाओं से हमारे आंदोलन को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. हालांकि, वे कौन लोग थे, जिन्होंने इस काम को अंजाम दिया है. अभी तक इस बारे में पता नहीं चल पाया है. फिलहाल तो टिकैत साहब अपने आंदोलन को धार देने में जुटे हुए हैं.
जब बंगाल में कर दिया था ये बड़ा ऐलान
बता दें कि इससे पहले उन्होंने चुनावी राज्य बंगाल में किसानों को संबोधित करते हुए लोगों से बीजेपी को वोट न करने की अपील की थी. उन्होंने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा था कि बीजेपी ने पूरे देश को लूट लिया है. इन तीनों कृषि कानून से किसान बर्बाद हो गए हैं. हम सरकार से इन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
जारी रहेगा हमारा आंदोलन
राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं ले लेती है, तब तक हमारा यह आंदोलन जारी रहेगा। विदित हो कि विगत तीन माह से किसानों का आंदोलन जारी है, मगर सरकार अपने रूख से टस से मस नहीं हो रही है.
हालांकि, सराकर इतना जरूर कह रही है कि इन कानूनों के जिन प्रावधानों से किसानों को एतराज है, हम उस पर संशोधन करेंगे, मगर बात जहां तक इन कानूनों को वापस लेने की है, तो इसे किसी भी कीमत पर वापस नहीं लिया जाएगा।