पंजाब के अलग-अलग हिस्सों में धान की विभिन्न किस्में उगाई जाती हैं. कई किस्मों को सरकार की तरफ से विशेष मंजूरी दी गई है. साल 2022 में, पीआर 126 धान की सबसे लोकप्रिय किस्म रही. इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि राज्य में पिछले साल 22 प्रतिशत क्षेत्र में इसकी खेती की गई थी. वहीं, 14 प्रतिशत क्षेत्र में पीआर 121 किस्म की धान की फसल लगाई गई.
पटियाला में ये किस्म सबसे पसंदीदा
इस संबंध में जानकारी देते हुए पी.ए.यू. अतिरिक्त निदेशक अनुसंधान डॉ. गुरजीत सिंह मंगत व धान की किस्म सुधारक बूटा सिंह ढिल्लों ने बताया कि धान की पीआर 131 किस्म की सबसे ज्यादा मांग पंजाब के तरनतारन, फिरोजपुर, फरीदकोट और बठिंडा जिलों में है. लोकप्रियता के मामले में यह पीआर 126 के बाद दूसरे नंबर पर है. यह पीआर 114 की जगह ले रही है. वहीं, पीआर 128 अमृतसर, गुरदासपुर और पटियाला में सबसे पसंदीदा किस्म है. इसके अलावा सभी जिलों में पीआर 126 की सबसे ज्यादा डिमांड है.
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इन इलाकों में ये किस्म सबसे ज्यादा प्रचलित
विशेषज्ञों ने बताया कि होशियारपुर, कपूरथला, जलंधर, पठानकोट, साहिबजादा अजीत सिंह नगर, शहीद भगत सिंह नगर के किसान पीआर 130 को प्राथमिकता दे रहे हैं. पहले इन इलाकों में पीआर 121 सबसे अधिक प्रभावित किस्म थी. इसकी खेती मुख्य रूप से इन जिलों में की जाती थी. पीआर 130 किस्म को पीआर 121 और एचकेआर 47 किस्मों के फ्यूजन से विकसित किया गया है. यह किस्म बुवाई के 105 दिनों बाद ही कटाई के लिए तैयार हो जाती है. इस किस्म की औसत उपज 30 क्विंटल प्रति एकड़ होती है. यह किस्म पंजाब में पाए जाने वाले झुलसा रोगों को मात देने में सक्षम है.
ये किस्म करती है अच्छा प्रदर्शन
पिछले वर्षों में किए गए अनुसंधान प्रयोगों के आंकड़े बताते हैं कि पीआर 126 जुलाई के महीने में बुवाई के बाद बेहतर प्रदर्शन करती है. इन किस्मों की समय से पहले बुआई करने से कली निकलने के समय तापमान अधिक हो जाता है और फलियों की वृद्धि बढ़ जाती है. डॉ. मंगत ने कहा कि किसानों को 25 जून से 10 जुलाई के बीच पीआर 126 और अन्य किस्मों की जून के बाद फसल लगानी चाहिए.
स्रोत: पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू)