हरियाणा में करनाल जिले की अनाज मंडियों में दूसरे राज्यों से परमल धान की किस्मों के आने की आशंका के वजह से प्रशासन ने ई-खरीद पोर्टल के माध्यम से परमल किस्मों की खरीद रोक दी है, जिस वजह से जिन किसानों का परमल धान अभी भी खेतों में पड़ा हुआ है, वे मुश्किल में फंस गए हैं. ट्रिब्यून इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, किसानों ने आरोप लगाया कि प्रशासन का यह कदम उन्हें निजी खरीदारों को औने-पौने दामों पर अपनी फसल बेचने के लिए मजबूर कर सकता है, जबकि अधिकारियों ने दावा किया कि जिले में कटाई पूरी हो चुकी है और उन्हें संदेह है कि जिले की अनाज मंडियों में कुछ व्यापारी दूसरे राज्यों से धान ला सकते हैं और एमएसपी पर बेच सकते हैं.
वहीं, किसानों की मांग है कि धान की फसल खेतों में पड़ी है या नहीं, इसकी जांच कर अधिकारी धान की खरीद शुरू करें. रिपोर्ट के अनुसार, परमल धान (एमएसपी 2,203 रुपये प्रति क्विंटल) का पंजीकरण अब ई-खरीद के बजाय ई-एनएएम पोर्टल पर किया जा रहा है. सरकारी एजेंसियों के बजाय, उनकी उपज अब निजी खरीदारों द्वारा खरीदी जा रही है.
97 लाख क्विंटल परमल धान की आवक
करनाल जिले में अब तक करीब 97 लाख क्विंटल परमल धान की आवक हो चुकी है. वहीं, पिछले साल आवक करीब 107 लाख क्विंटल थी. जरीफाबाद के पुनीत गोयल ने कहा, “बाढ़ के बाद, मैंने नौ एकड़ में परमल किस्म के धान की खेती की थी. अब फसल कटाई के समय मुझे पता चला कि खरीद बंद कर दी गयी है. सरकार को धरातल पर आकर देखना चाहिए और जो धान अभी भी खेतों में है, उसे खरीदना चाहिए.” एक अन्य किसान निरवेर सिंह ने कहा कि आठ एकड़ में परमल किस्म के धान की कटाई अभी बाकी है. उन्होंने आरोप लगाया कि निजी खरीदार एमएसपी से नीचे उपज खरीदेंगे.
एमएसपी से नीचे नहीं खरीदा जाएगा धान!
रिपोर्ट के मुताबिक, एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि व्यापारियों को राज्य के बाहर से धान लाने से रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है. " हम यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी धान एमएसपी से नीचे न खरीदा जाए. इस संबंध में अधिकारियों को निर्देश दे दिये गये हैं.” उन्होंने कहा, ''जिले भर के खेतों में शायद ही परमल की कोई फसल खड़ी है."
अब e-NAM पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करें
गौरतलब है कि परमल धान बेचने के लिए अब किसानों को पंजीकरण अब ई-खरीद पोर्टल के बजाय ई-नाम पोर्टल पर करना पड़ रहा है. वहीं, सरकारी एजेंसियों के बजाय, उपज अब निजी खरीदारों द्वारा खरीदी जा रही है.