देश के इतिहास में अभी तक किसी भी सरकार ने किसानों को पद्म पुरस्कार के लायक नहीं समझा था लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली सरकार ने किसानों को भी पद्म पुरस्कार के लायक समझा है. इस बार खेती-किसानी करने वाले 12 किसानों को देश का चौथा बड़ा नागरिक सम्मान पद्मश्री के लिए चयनित किया गया है. अभी तक भारत सरकार की ओर से आम तौर पर सिर्फ कला, शिक्षा, उद्योग, साहित्य, विज्ञान, खेल, चिकित्सा, समाज सेवा के क्षेत्र में ही यह पुरस्कार दिया जाता रहा है. हाल ही में हुई पद्म पुरस्कारों की घोषणा में 12 किसानों में से एक नाम ओडिशा के दैत्री नायक का भी है, जिन्हें पद्मश्री देने की घोषणा की गई है.
बता दें कि दैत्री नायक वो व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपने गांव में पानी लाने के लिए पहाड़ जैसे पठारी इलाके में एक नहर बना दी थी. किसान नायक ने अपनी इस मेहनत से अपनी मुश्किलों के साथ-साथ गांव के कई और किसानों की भी मुश्किल दूर कर दी थी.70 साल के किसान दैत्री नायक को यह नहर बनाने में तकरीबन 3 साल लगे थे और उन्होंने इन 3 सालों में अकेले ही 1 कि0मी0 लंबी नहर खोद डाली. बता दें कि पहले केन्दुझर जिले के बांसपाल, तेलकोई और हरिचंदपुर ब्लॉक के लोगों को पानी के अभाव में जीना पड़ता था और इसका खेती पर भी असर पड़ रहा था. हालांकि किसान दैत्री नायक के अथक मेहनत के बाद से लोगों को अब भरपूर पानी मिल रहा है.
इस काम में किसान दैत्री के परिवार ने भी उनकी मदद की. साथ ही प्रशासन ने भी दैत्री नायक के बारे में पता चलने पर सुध ली और आवश्यक मदद का आश्वासन दिया था. दैत्री नायक की कहानी बिहार के दशरथ मांझी जैसी ही है. दरअसल दशरथ मांझी जिन्हें 'माउंटेन मैन' के रूप में भी जाना जाता है. मांझी बिहार में गया के करीब 'गहलौर' नामक गांव के एक गरीब मजदूर थे. उन्होंने केवल एक हथौड़ा और छेनी लेकर अकेले ही 360 फुट लंबी, 30 फुट चौड़ी और 25 फुट ऊँचे पहाड़ को काट के एक सड़क बना डाली थी . 22 वर्षों के अथक परिश्रम के बाद, दशरथ मांझी के बनायी सड़क ने अतरी और वजीरगंज ब्लाक की दूरी को 55 किमी से 15 किलोमीटर कर दिया था.