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Updated on: 4 November, 2023 6:35 PM IST
पराली प्रबंधन पर कृषक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन
Krishak Jagrukta Karyakram: कृषि विज्ञान केंद्र (राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान विकास प्रतिष्ठान), उजवा नई दिल्ली के द्वारा आज यानी की 4 नवंबर, 2023 के दिन भारत सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना “फसल अवशेष का यथा-स्थान प्रबंधन” के अंतर्गत जिला-स्तरीय कृषक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. यह कार्यक्रम राज्यपाल के द्वारा गोद लिए गए गांव रावता, दक्षिण पश्चिम दिल्ली में किया गया. बता दें कि इस कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य पराली जलाने से होने वाले नुकसान एवं पराली प्रबंधन करने वाली मशीनों और नई तकनीकी ज्ञान के बारे में किसानों को अवगत करना है, जिससे किसान नई मशीनों का प्रयोग करके पराली प्रबंधन कर सके.

ऐसे में आइए फसल अवशेष का यथा-स्थान प्रबंधन के अंतर्गत कृषक जागरूकता कार्यक्रम से जुड़े इस कार्यक्रम के बारे में विस्तार से जानते हैं कि क्या कुछ रहा खास-

धान की कटाई के उपरांत पराली प्रबंधन से किसानों को अवगत कराया

डॉ समर पाल सिंह, विशेषज्ञ (सस्य विज्ञान) ने इस जागरूकता कार्यक्रम की शुरुआत में उपस्थित किसानों का स्वागत किया और साथ ही उन्होंने परियोजना के बारे में सभी को अवगत करवाया. डॉ सिंह ने किसानों को धान की कटाई के उपरांत पराली प्रबंधन के लिए बायो डिकम्पोजर का घोल बनाने की विधि एवं छिड़काव के बारे में बताते हुए मृदा में जीवांश प्रदार्थ की बढ़ोत्तरी की उपयोगिता के बारे में भी किसानों को जानकारी दी.

धान की कटाई सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम (SMS) लगे कम्बाइन से करें

इस कार्यक्रम में कैलाश, विशेषज्ञ (कृषि प्रसार) ने किसानों से धान की कटाई करते समय कम्बाइन के साथ सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम SMS  लगा होने के बारे में जानकारी दी. इसके अलावा उन्होंने किसानों से अपील की धान की कटाई सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम (SMS) लगे कम्बाइन से ही करवाए. कार्यक्रम में किसानों को धान की कटाई के बाद हैप्पी सीडर, सुपर सीडर एवं जीरो सीड ड्रिल मशीन से गेहूं की सीधी बुवाई की तकनीकी के बारे में जानकारी उपलब्ध करवाई गई और साथ ही पराली प्रबंधन में काम आने वाली अन्य मशीनों जैसे- कल्चर, रोटावेटर, श्रबमास्टर, बेलर आदि के बारे में तकनीकी एवं संचालन की विस्तृत जानकारी किसानों को दी गई.

डॉ. जय प्रकाश, विशेषज्ञ (पशु विज्ञान) ने किसानों को धान की पराली पशुओं के चारे के रूप उपयोग लेने के बारे में जागरूक किया ताकि नई पराली चारे के रूप पशुओं को नुकसान ना पहुंचाएं और इनके साथ बीमारियों का परंपरागत उपचार, रखरखाव एवं सावधानियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी. इसी दौरान बृजेश कुमार विशेषज्ञ (मृदा विज्ञान) ने किसानों को धान की पराली जलाने से मृदा एवं वातावरण में होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया पराली जलाने से वायु प्रदूषण जलवायु परिवर्तन एवं मिट्टी के पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस,  पोटेशियम,  सल्फर, कार्बनिक पदार्थ और वर्मी केंचुआ खाद आदि खत्म होने के बारे में बताया कि किसानों को इस दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं. इसके अलावा इस कार्यक्रम में मिट्टी एवं पानी की जांच का नमूना संग्रहण की तकनीकी के बारे में अवगत करवाया.

ये भी पढ़ें: गोभीवर्गीय फसलों में समन्वित कीट प्रबंधन पर ट्रेनिंग का किया गया आयोजन

जागरूकता कार्यक्रम के दौरान किसानों को विभिन्न पत्रिका जैसे- फसल अवशेष जलाने के नुकसान, फसल अवशेषों को मशीनों द्वारा प्रबंधन एवं जीरो सीड ड्रिल मशीन तकनीक से गेहूं की सीधी बुवाई का वितरण किया और जानकारी उपलब्ध करवाई. इस कार्यक्रम में प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया और साथ ही इस संदेश को अधिक से अधिक जनसमुदाय के पास पहुंचने का प्रण भी लिया.

English Summary: paddy straw management stubble handling machines farmer awareness program organized krishi vigyan kendra national horticultural research development foundation
Published on: 04 November 2023, 06:41 PM IST

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