एक तरफ बारिश लोगों को उमस भरी गर्मी से निजात दिलाती है, तो वहीं दूसरी तरफ धान की खेती करने वाले किसानों के लिए बारिश वरदान है. बता दें जून से मध्य जुलाई तक का समय खरीफ फसल के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, लेकिन इस वर्ष मानसून की बेरुखी ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है.
दरअसल, इस समय देश के बड़े हिस्से में बारिश, सामान्य बारिश से 6 फीसदी कम हुई है. ऐसे में इसका सीधा असर खरीफ फसल की बुवाई पर पड़ रहा है. बारिश कम होने से इस वर्ष खरीफ की फसल काफी प्रभावित हुई है. खरीफ सत्र में अब तक एक साल पहले की समान अवधि से मामूली घटकर 349.24 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुवाई हुई है. 13 अगस्त तक किसानों ने 997 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुवाई की है. यह एक साल पहले की समान अवधि के 1,015.15 हेक्टेयर लाख हेक्टेयर के आंकड़े से कुछ कम है.
जानिए फसलों का आंकड़ा
खरीफ फसल
खरीफ फसलों में धान, मोटे अनाज, तिलहन तथा कपास आता है, जिसकी बुवाई पिछले साल की समान अवधि से कम है.
तिलहन
वहीं बात करें तिलहन फसलों की बुवाई की तो अब तक 180.14 लाख हेक्टेयर हुई है, जो पिछले साल 185.45 लाख हेक्टेयर था.
मोटे अनाज
मोटे अनाजों की बुवाई इस वर्ष घटकर 163.04 लाख हेक्टेयर रहा है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 167 लाख हेक्टेयर था
कपास
कपास की फसल की बुवाई का आंकड़ा 125.48 लाख हेक्टेयर से घटकर 116.17 लाख हेक्टेयर है.
दलहन
दलहानी फसलों की बुवाई के आंकड़ा में मामूली बढ़ोत्तरी देखी गई है. बता दें कि यह आंकड़ा 126.98 लाख हेक्टेयर पंहुचा है जोकि पिछले साल 125.06 लाख हेक्टेयर था.
गन्ना
गन्ने की फसल की बुवाई में भी हल्की बढ़ोत्तरी देखी गई है. बता दें कि 54.52 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है, जो कि पिछले साल इसका आंकड़ा 53.69 लाख हेक्टेयर रहा था.
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