भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के शिकोहपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र ने बाघनकी गाँव में उद्यमिता विकास के लिए मधुमक्खी पालन पर एक पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें 25 सहभागी शामिल हुए. इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों, खेती रहित युवकों, बेरोज़गार युवकों और महिलाओं को मधुमक्खी पालन के माध्यम से आमदनी सृजन के अवसर प्रदान करना था.
प्रशिक्षण के मुख्य बिंदु:
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मधुमक्खी पालन का महत्व:
प्रशिक्षक एवं कार्यक्रम के कोऑर्डिनेटर, डॉ. भरत सिंह ने बताया कि मधुमक्खी पालन एक लाभकारी व्यवसाय है जिसे कम पूंजी लगाकर शुरू किया जा सकता है.
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मधुमक्खियों की प्रजातियाँ:
प्रशिक्षण के दौरान, सहभागियों को मधुमक्खियों की विभिन्न प्रजातियों जैसे एपीस फ़्लोरिया, ए. इंडिका, ए. मेलिफैरा, और ए. डोर्सेटा के बारे में जानकारी दी गई.
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प्रबंधन एवं मार्केटिंग:
डॉ. भरत सिंह ने व्यापारिक दृष्टि से पाली जाने वाली मधुमक्खी एपीस मेलिफैरा के जनन प्रजनन, बॉक्स में प्रबंधन, शहद निष्कासन, प्रसंस्करण, और मार्केटिंग के महत्वपूर्ण पहलुओं पर गहनता से जानकारी प्रदान की.
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आर्थिक लाभ:
प्रशिक्षण में भाग लेने वाले सहभागियों को बताया गया कि मधुमक्खियों से प्राप्त शहद को प्रसंस्करण, पैकिंग और एफएसएसएआई प्रमाणीकरण के साथ बिक्री करने से आमदनी में 5 गुना या उससे भी अधिक वृद्धि हो सकती है.
सहभागियों की प्रतिक्रिया:
कार्यक्रम में शामिल हुए कर्मवीर, दिशा, ज्योति, कोमल शर्मा, चंचल शर्मा, और मंजु यादव ने प्रशिक्षण के सफल आयोजन पर प्रशंसा व्यक्त की और कृषि विज्ञान केंद्र, शिकोहपुर के प्रयासों की सरहना की.
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम ने प्रतिभागियों को मधुमक्खी पालन के माध्यम से उद्यमिता के क्षेत्र में कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित किया.