बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में कैबिनेट ने नेशनल टेक्निकल टेक्सटाइल मिशन को मंजूरी दे दी है. टेक्निकल टेक्सटाइल मिशन के साथ-साथ कैबिनेट ने सरोगेसी एमेंडमेंट एक्ट को भी मंजूरी दे दी है. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने इस मिशन के लिए 1480 करोड़ रुपये का बजट भी निर्धारित किया है. माना जा रहा है कि सरकार के इस कदम से टेक्निकल टेक्सटाइल क्षेत्र में भारत अग्रणी राष्ट्र के रूप में स्थापित होगा. टेक्सटाइल क्षेत्र में भारत का अपना प्रमुख स्थान होगा. बता दें कि 1 फरवरी, 2020 को पेश हुए बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नेशनल टेक्निकल टेक्सटाइल मिशन की घोषणा की थी. तो वहीं, कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने बताया कि नेशनल टेक्निकल टैक्सटाइल मिशन की वर्षों से मांग चल रही थी लेकिन इसे पूरा नहीं किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में अब कैबिनेट ने इसे मंजूरी दे दी है. 1480 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया गया है. अगले चार सालों में टेक्निकल टैक्सटाइल मिशन को विकसित किया जाएगा.
क्या है नेशनल टेक्निकल टेक्सटाइल मिशन?
टेक्सटाइल में नए अनुसंधान कर कई तरह के बहुपयोगी वस्त्र बनाने को टेक्निकल टेक्सटाइल कहा जाता है. यह कपड़ा सड़क निर्माण, बाढ़ अवरोधक, अग्निरोधक, एंटीबेक्टिरियल, मेडीकल, कृषि उद्योग में ग्रीन हाउस, पेकेजिंग टेक्सटाइल, स्पोट्र्स टेक्सटाइल आदि के लिए बनाया जा रहा है. इसमें वेल्यू एडीशन से उत्पादकों को फायदा मिल रहा है.
फूड प्रोसेसिंग कारोबार को बढ़ावा देने की तैयारी
दुनियाभर में भारत फल और सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. हालांकि, उत्पादन के 10 फीसदी से कम की ही प्रोसेसिंग हो पाती है. जल्द खराब होने वाले खाद्य पदार्थ बड़ी मात्रा में बर्बाद हो जाते हैं. सरकार इन्हीं बिन्दुओं के मद्देनजर फूड प्रोसेसिंग कारोबार को बढ़ावा देने के लिए कार्य करेगी जिससे ग्रामीण स्तर पर प्रसंस्करण क्षमता बढ़ने के साथ ही किसानों की आय दोगुनी हो सके.
कैबिनेट ने "सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2020 को भी मंजूरी दी
कैबिनेट ने "सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2020" को भी मंजूरी दी है. प्रस्तावित कानून सरोगेसी के संबंध में प्रभावी रूप से सेरोगेसी के नियमों को सुनिश्चित करेगा, वाणिज्यिक सरोगेसी पर प्रतिबंध लगाने में सहायक होगा साथ ही परोपकारी सरोगेसी की व्यवस्था को अनुमति प्रदान करेगा. इस विधेयक में सरोगेट मदर के मेडिकल कवर को भी बढ़ाया गया है. महिला विधवा हो या तलाकशुदा उसे भी सरोगेसी का अधिकार होगा.
क्या होती है सरोगेसी
कोई भी शादीशुदा कपल बच्चा पैदा करने के लिए किसी महिला की कोख किराए पर ले सकता है. सरोगेसी से बच्चा पैदा करने के पीछे कई वजहें हैं जैसे कि अगर कपल के अपने बच्चे नहीं हो पा रहे हों, महिला की जान को खतरा है या फिर कोई महिला खुद बच्चा पैदा ना करना चाह रही हो.