जैविक खेती से स्वस्थ भारत बनाने का मिशन लेकर चल रहे खंडवा जिले के 500 छोटे किसानों ने पूरे देश का ध्यान आकृष्ट किया है. ये किसान 918 हेक्टेयर में जैविक उत्पाद ले रहे हैं. इनके उत्पादों का "जैविक परिवार" ब्रांड हर घर पहुँच रहा है. सतपुड़ा जैविक प्रोडयूसर कंपनी से जुड़े किसान चाहते हैं कि देश के नागरिकों को शुद्ध अनाज, फल-सब्जी मिले. वे दवाओं से दूर रहे और हमारी धरती विषमुक्त रहे.
कंपनी से जुड़े झिरन्या तहसील के बोदरानिया गाँव के दारा सिंह धार्वे मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की सोच से पूरी तरह सहमत हैं कि जैविक खेती धरती और मनुष्य को बचाने का सबसे ठोस उपाय है. दारा सिंह धार्वे को जैविक गेहूँ के अच्छे दाम मिल रहे हैं. इस साल 2500 रूपये प्रति क्विंटल तक मिल जायेंगे. वे कहते हैं - "जैविक खेती से अब ज्यादा से ज्यादा किसान जुड़ना चाहते हैं. रासायनिक खाद से खेती की लागत भी बढ़ जाती है और स्वास्थ्य को भी नुकसान होता है.
कंपनी के सीईओ श्री विशाल शुक्ला बताते हैं कि कंपनी को बने तीसरा साल चल रहा है. इतने कम समय में कंपनी के जैविक उत्पादों ने मार्केट में अच्छी पहचान बना ली है. "जैविक परिवार" ब्रांड के कारण खेत और उपभोक्ता के बीज मजबूत संबंध बन गया है. वे बताते हैं कि अगले तीन सालों में 65 शहरों में सवा 3 लाख जैविक उत्पादों के उपभोक्ता जुड़ जायेंगे. जोमेटो, स्वीगी, निंबस, ई-कार्ट, मीशो, गाट इट जैसे डिलीवरी पार्टनर्स हमसे जुड़ गये हैं और इंदौर में काम भी शुरू कर दिया गया है. इस प्रकार आधुनिक मार्केटिंग और टेक्नालाजी की मदद से जैविक उत्पादों की पहुँच बढ़ाने की कोशिशें जारी है. "जैविक परिवार" को वितरक मिल रहे हैं. इसलिये ग्राहक सेवा विभाग हमने खोला है और उनके संपर्क में सेल्स टीम रहती है.
श्री शुक्ला कहते हैं कि - "किसान उत्पाद संगठनों को एक साथ लाकर खेती के क्षेत्र में आर्थिक उद्यमिता की शुरूआत करने का जो सपना मुख्यमंत्री जी ने देखा है उसे साकार करने में हम हमेशा आगे रहेंगे." वे कहते हैं - "कि मुख्यमंत्री की सोच प्रगतिशील है. वे दूरदृष्टा की तरह सोचते हैं."
सतपुड़ा जैविक प्रोड्यूसर कंपनी अस्तित्व में आने के संबंध में श्री शुक्ला बताते हैं कि- "शुरूआत गाँव-गाँव जाकर चौपाल बैठकें करने से हुई. छोटी-छोटी खेती करने वाले किसानों को एकजुट करना जरूरी था. एक साथ मिल कर खेती करने और मार्केटिंग करने के फायदों पर चर्चाओं के दौर शुरू हुए. शुरूआत दस किसानों से हुई. शुरूआत में गेहूँ, सोयाबीन और प्याज के लिए आपस में समूह बनाये. इन समूहों से मिलकर समितियाँ बनीं और इस तरह धीरे-धीरे किसान जुड़ते गये और यह सिलसिला जारी है. इसी बीच कोरोना काल आ गया लेकिन किसानों को परेशानी नहीं हुई. गेहूँ की खरीदी जारी रही. उनका जैविक उत्पाद सब्जी सीधे ग्राहकों के घर पहुँचने लगा.
कंपनी से जुड़ने का कारण बताते हुए सिंगोट गांव के किसान श्री राजेश टिरोले कहते हैं कि - "एक साथ मिलकर एक ब्रांड के नाम से उत्पाद मार्केट में आने से दाम बढ़ते हैं और सभी किसानों को फायदा होता है." श्री राजेश दो हेक्टेयर के छोटे किसान हैं. वे गेहूँ और सब्जियाँ लगाते हैं. शुद्ध रूप से जैविक खाद का उपयोग करते हैं. वे बताते हैं कि - "कंपनी में जुड़ने से जैविक सब्जियों के अच्छे दाम मिलने लगे हैं. पहले बहुत कम दाम में सब्जियाँ बिकती थी. अब जैविक परिवार ब्रांड के माध्यम से अच्छे दाम घर बैठे मिल रहे हैं. कंपनी के कारण हमारा सीधे ग्राहक से वास्ता पड़ा है. हमें अपना रेट तय करने की छूट है. कंपनी के जरिए पूरा माल बिक जाता है और हमें अपनी मेहनत का दाम मिल जाता है."
पुनासा तहसील के राजपुरागांव में श्री मनोज पांडे तीन एकड़ में जैविक पद्धति से गेहूँ और सब्जियाँ उगा रहे हैं. वे बताते हैं कि - "जैविक उत्पादों का बाजार अब बढ़ रहा है. हमारा जैविक गेहूँ भी अच्छे दाम पर बिक रहा है. जैविक सब्जियाँ भी पसंद की जा रही हैं. अकेले खेती करने में और कंपनी के साथ मिलकर खेती करने में मुनाफा होने के साथ ही मार्केट तक भी सीधी पहुँच बढ़ गई है. उनके अनुसार यह कंपनी एक ऐसा प्लेटफार्म है जो एक मिशन के साथ जैविक उत्पादों को आगे बढ़ा रहा है. उपभोक्ताओं और उत्पादक किसानों के बीच सेतु का काम कर रहा है. उपभोक्ताओं को शुद्ध जैविक अनाज और सब्जियाँ मिलते हैं और हमें अपनी कीमत. श्री पांडे कहते हैं कि जहर मुक्त खेती और दवा मुक्त दिनचर्या ही हमारा मिशन है. रसायन मिले खाने से न तो शरीर स्वस्थ होगा और न ही मन को खुशी मिलेगी."
जैविक परिवार ब्रांड की चुनौतियों के बारे में चिंता जाहिर करते हुए श्री पांडे कहते हैं कि - "जानकारी और ज्ञान के अभाव में असली-नकली की पहचान नहीं हो पाती. इसलिए नकली माल बिक जाता है और असली की पहचान नहीं हो पाती. इसका समाधन बताते हुए वे कहते हैं कि जैविक उत्पादों के प्रति जागरूकता बढ़ाना ही एक मात्र उपाय है."
श्री शुक्ला बताते हैं कि - "कंपनी ने अपनी गुणवत्ता के मानदण्ड बनाये हैं. हम गुणवत्ता की नीति पर काम करते हैं. कृषि विशेषज्ञों को इसमें शामिल किया है. राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम में तय किये गये गुणवत्ता मानदंडों का पूरा ख्याल रखा जाता है."
"जैविक परिवार" अपने से जुड़े किसान सदस्यों का पूरा ध्यान रखता है. उन्हें उम्दा किस्म के बीज देता है. जैविक कीट नियंत्रण से लेकर कोल्ड स्टोरेज की सुविधा भी दी जाती है. खेत से बाजार और ग्राहकों तक उत्पाद पहुँचाने की सुविधा भी उपलब्ध है. कंपनी को खेती के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने और छोटे किसानों की जिंदगी में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिये नाबार्ड ने सम्मानित भी किया है.