जनजातीय साहित्य के पुरोधा और देश के ख्याति प्राप्त जैविक कृषि वैज्ञानिक व पर्यावरणविद् डा. राजाराम त्रिपाठी को 25 फरवरी 2025 को कोलकाता में आयोजित एक भव्य साहित्यिक समारोह में ‘’पैरोकार साहित्य शिखर सम्मान’’ से सम्मानित किया जाएगा. यह सम्मान उनके जनजातीय साहित्य में विशिष योगदान के लिए दिया जाएगा. कोलकाता से प्रकाशित हिंदी साहित्यिक व शोध पत्रिका पैरोकार ने अपनी सफल यात्रा के ग्यारह वर्ष पूर्ण कर लिए है. पत्रिका ने अपनी ग्यारह वर्षों की सफलतम यात्रा को अविष्मरणीय बनाने के लिए कोलकाता में 25-26 फरवरी 2025 को दो दिवसीय “पैरोकार साहित्य महोत्सव” का आयोजन किया है.
द्वितीय दिवस का आयोजन पैरोकार तथा विश्व विख्यात जैव-सामाजिक शोध संस्थान "भारतीय जैव सामाजिक अनुसंधान एवं विकास संस्थान" (इबराड) के संयुक्त तत्वाधान में किया जा रहा है.
यह भव्य साहित्यिक महोत्सव पैरोकार के विशेषांक के विमोचन, आज की साहित्यिक पत्रकारिता पर संगोष्ठी, पुस्तक चर्चा और राष्ट्रीय अकादमिक सेमिनार के साथ संपन्न होगा. डॉ. राजाराम त्रिपाठी कोलकाता में आयोजित “पैरोकार साहित्य महोत्सव” के दूसरे दिन इबराड में बतौर मुख्य अतिथि नई शिक्षा नीति: हिंदी साहित्य में प्रायोगिक प्रशिक्षण पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में व्याख्यान देकर छात्रों व शोधार्थियों का मार्ग दर्शन करेंगे.
कृषि, नवाचार और सस्टनेबल फार्मिंग टेक्नोलॉजी के लिए भारत सरकार समेत कई राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर के सम्मानों से पुरस्कृत और सम्मानित हो चुके डॉ. राजाराम त्रिपाठी की प्रतिष्ठा और सम्मान में “पैरोकार साहित्य शिखर सम्मान” भी अब चार चांद लगाने वाला साबित होगा. बस्तर व छत्तीसगढ़ के लिए भी यह गर्व की बात होगी.
इस प्रतिष्ठित साहित्यिक शिखर सम्मान के लिए चुने गए डा. त्रिपाठी देश के सबसे शिक्षित किसानों में गिने जाते हैं. वे अलग-अलग पांच विषयों में एमए, बीएससी(गणित), एलएलबी, डॉक्टरेट और पीएचडी की कई उपाधियां प्राप्त कर चुके हैं. उन्होंने माँ दंतेश्वरी हर्बल समूह की स्थापना की, जिससे आज लाखों जैविक किसान जुड़े हुए हैं. पर्यावरण संरक्षण के प्रति समर्पित डा. त्रिपाठी इस वर्ष के अंत तक 51 लाख वृक्षारोपण का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं और अब तक 21 लाख से अधिक पेड़ रोप चुके हैं. वे 40 से अधिक देशों की कृषि अध्ययन यात्राएँ कर चुके हैं और हाल ही में ब्राजील सरकार के विशेष आमंत्रण पर वहां की कृषि व्यवस्था का गहन अध्ययन कर लौटे हैं.
डॉ. त्रिपाठी की प्रकाशित पुस्तकों में पत्र यात्रा, मैं बस्तर बोल रहा हूं (कविता संग्रह, हिंदी, अंग्रेजी, मराठी), बस्तर बोलता भी है (कविता संग्रह), दुनिया इन दिनों (संपादकीय लेख संग्रह) और गांडा अनुसूचित जाति या जनजाति (शोध ग्रंथ-2024) शामिल है.
डा. त्रिपाठी को 'ग्लोबल ग्रीन वॉरियर अवार्ड', 'राष्ट्रीय कृषि नवाचार पुरस्कार', और 'इंडियन ऑर्गेनिक फार्मिंग एक्सीलेंस अवार्ड' जैसे कई प्रतिष्ठित सम्मान मिल चुके हैं. हाल ही में उन्हें मिलियनेयर फार्मर ऑफ इंडिया अवार्ड्स (MFOI Awards) के तत्वावधान में "रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया अवार्ड- 2023 तथा 'फार्म एंड फूड" का सस्टेनेबल फार्मिंग टेक्नोलॉजी अवार्ड-2025 भी प्रदान किया गया है.
“पैरोकार साहित्य शिखर सम्मान” कृषि के अतिरिक्त न केवल डा. त्रिपाठी के साहित्य के क्षेत्र में वर्षों के अथक परिश्रम का प्रमाण है, बल्कि उनके संपादन में एक दशक से अधिक समय से नियमित प्रकाशित मासिक पत्रिका ‘’ककसाड़’’ द्वारा आदिवासियों के साहित्य, कला और संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन तथा दस्तावेजीकरण करने एवं इन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में उनके महत्वपूर्ण योगदान को स्वीकृति प्रदान करता है.