Onion Price: पिछले साल प्याज के दामों ने लोगों ने खूब रुलाया था. आलम यह था प्याज के दाम 200 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए थे. हालांकि, बाद में बढ़ते दामों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए प्याज के नियार्त पर रोक लगा दी थी. ऐसा करने से प्याज की कीमतों में कुछ हद तक कमी आई थी. लेकिन, 2024 में एक बार फिर प्याज लोगों को रूलाने की तैयार कर रहा है. आने वाले कुछ महीनों में प्याज के दाम फिर बढ़ सकते हैं. दरअसल, इस बार देश के मुख्य प्याज उत्पादक क्षेत्रों में रबी प्याज की बुआई में गिरावट दर्ज की गई है. जिसका मतलब ये है की आगामी प्याज की फसल का उत्पादन कम रहने वाला है. जिसके चलते प्याज के कीमतों में एक बार फिर उछाल देखने को मिलेगा.
प्याज की बुवाई में गिरावट
इकोनॉमिक्स टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी के पहले सप्ताह तक महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ मुख्य उत्पादक क्षेत्रों में रबी (सर्दियों) प्याज की बुआई 20 प्रतिशत तक गिर गई है, जबकि बुआई की समय सीमा समाप्त होने में अभी भी कुछ दिन बाकी हैं. उद्योग विशेषज्ञों का कहना है इस सीजन में प्याज के रकबे में 10-15 फीसदी की गिरावट आ सकती है. उनमें से कुछ ने कहा कि इससे लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मार्च-अप्रैल के आसपास खाद्य मुद्रास्फीति उच्च स्तर पर पहुंच सकती है, जब सरकार पर मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने का दबाव होगा.
कम होती है प्याज की शेल्फ लाइफ
क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स के शोध निदेशक पुशन शर्मा ने कहा कि बुआई के मौजूदा स्तर में कुछ सुधार हो सकता है, हालांकि, रबी प्याज की खेती के क्षेत्र में अंततः 10% की गिरावट के साथ सीजन समाप्त हो सकता है. कुल मुद्रास्फीति में प्याज का भार 0.6 प्रतिशत अंक और सब्जी की टोकरी में 10 प्रतिशत अंक है. देश में उत्पादित कुल प्याज का लगभग 70% रबी सीजन के दौरान होता है. इस सीजन में उत्पादित प्याज की शेल्फ लाइफ लगभग 5-7 महीने की होती है और मार्च से सितंबर तक आबादी को खिलाने के अलावा आपूर्ति-मांग की गतिशीलता को बनाए रखने की बड़ी जिम्मेदारी होती है.
क्या है कम बुवाई होनी की बड़ी वजह?
वहीं, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के अनुसार, प्रमुख प्याज उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र और कर्नाटक दोनों में जलाशय का स्तर बेहद कम है. जिससे सिंचाई की संभावनाएं बाधित हो रही हैं और किसान रबी प्याज की खेती कम कर रहे है. बता दें कि प्याज की फसल को लगभग 12-15 सिंचाई की आवश्यकता होती है, लेकिन पानी की कमी के चलते देश के मुख्य उत्पादक क्षेत्रों में रबी प्याज की बुआई पर असर पड़ा है. इसी वजह से आने वाले दिनों प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी होने का अनुमान है.