बुधवार, 21 सितंबर को जिला बाल संरक्षण सेवा किशोर न्याय बोर्ड के अंतर्गत कृषि विज्ञान केन्द्र, देवास के माध्यम से मुख्य धारा में किशोरों एवं युवतियों को जोड़ने के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि नेहा परस्ते, प्रधान न्यायाधीश, किशोर न्याय बोर्ड, देवास द्वारा उद्बोधन कर कार्यक्रम की शुरूआत की गई. उन्होंने अपने उद्बोधन कहा कि बाल अपराधियों को यदि स्वरोजगारोन्मुख प्रशिक्षण प्राप्त होगा तो वे रोजगार के अवसर प्राप्त कर सकेंगे एवं अपने जीवन को समाज में रहकर एवं आय अर्जित कर बेहतर बना सकेंगे.
तत्पश्चात् केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ.ए.के.बड़ाया ने अपने उद्बोधन में बताया कि अगर इन बच्चों को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए रोजगारन्मुख प्रशिक्षण प्रदान किया जाए तो अवश्य ही बाल अपराध को कम किया जा सकता है. जिसके लिए कृषि विज्ञान केन्द्र देवास द्वारा कृषि से संबंधित मूल्य सवंर्द्धित उत्पादन जैसे आंवला मुरब्बा, आंवला कैण्डी, हल्दी पाउडर, मिर्च पाउडर, विभिन्न तरीके की दाल, बेसन, फू्रट जैम, टोमेटो सॉस आदि बनाकर एवं उसे उचित मूल्य दरों पर बेचकर एक स्वरोजगार प्राप्त कर सकते हैं.
डॉ. के.एस.भार्गव, वैज्ञानिक, कृषि अभियांत्रिकी द्वारा वर्मी कंपोस्ट एवं कृषि यंत्रों के बारे में जानकारी प्रदान की गई.
साथ ही डॉ. निशिथ गुप्ता, वैज्ञानिक, उद्यानिकी ने प्रो ट्रे द्वारा नर्सरी प्रबंधन एवं बडिंग एवं ग्राफ्टिंग एवं बोनसाई पौधों के बारे में विस्तृत जानकारी दी.
डॉ. मनीष कुमार, वैज्ञानिक, पौध संरक्षण द्वारा जैविक खाद जैसे जीवामृत, बीजामृत, फिनाईल, गोनाईल आदि को भी बनाकर विक्रय कर आय अर्जित की जा सकती है.
साथ ही डॉ. लक्ष्मी, वैज्ञानिक, मत्स्य विज्ञान ने बताया कि मत्स्य पालन, रंगीन मत्स्य उत्पादन एवं एक्वेरियम बनाकर भी रोजगार प्राप्त किया जा सकता है. अंकिता पाण्डेय, वैज्ञानिक द्वारा गोबर से दीये, मूमेन्टो, धूपबत्ती, अगरबत्ती, नेमप्लेट, मूर्तियां आदि बनाने की विधि एवं इसकी मार्केटिंग के बारे में बताया गया.
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कार्यक्रम का संचालन सैय्यद मकसूद अली, सदस्य, किशोर न्याय बोर्ड, देवास एवं आभार प्रदर्शन अशोक त्रिपाठी, लॉ ऑफिसर, किशोर न्याय बोर्ड द्वारा किया गया. इस प्रशिक्षण में लगभग 50 किशोरों एवं किशोरियों ने अपनी भागीदारी दी.