भारत में किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार की तरफ से अथक प्रयास किए जा रहे है, जिसमें किसानों को आर्थिक सहायता, अनुदान, आदि शामिल है. ऐसे ही उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के राज्य के हर जिले में किसानों के लिए टेस्टिंग लैब बनाने की घोषणा की है, जिसके जरिए किसान आसानी से एग्रीकल्चर प्रोडक्ट को सर्टिफाइड कराकर ब्रांड में तब्दील कर सकेंगे.
आपको बता दें कि मंडी शुल्क को न्यूनतम करने के बाद भी राजस्व संग्रह मंडियों से एक अच्छी राशि प्राप्त की गई है. जहां पिछले वित्तीय वर्ष में 614 करोड़ रुपए सरकार के खाते में गए, तो वहीं साल की पहली ही तिमाही में 361 करोड़ रुपए की आमदनी सरकार को प्रात हुई है. राज्य कृषि उत्पादन परिषद की हुई बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने इस वर्ष संग्रहण को 1500 करोड़ रुपए रखने का लक्ष्य रखा है.
सीएम योगी का फैसला
- बैठक में सीएम योगी ने कृषि विकास के लिए कुछ महत्वपूर्ण निर्देश दिए है, जिसमें उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय जरूरतों के अनुसार, किसानों को लिए नए हाट पैठ और किसान मंडियों का और निर्माण करवाया जाए.
- राज्य व देश की सीमाओं पर भी मंडियां खोली जाएं, क्योंकि सीमा पर व्यापार के संभावना अधिक होती है.
- राज्य के सभी मंडलों में किसानों के लिए टेस्टिंग लैब खोलें जाएं, जहां पर उत्पादन व बीज के सर्टिफिकेशन की कार्यवाई की जा सके.
- कृषि विश्वविद्यालय की परीक्षण प्रयोगशालाओं को अपग्रेड किया जाना चाहिए. इसी तरह कृषि विज्ञान केंद्रों में भी टेस्टिंग लैब स्थापित की जानी चाहिए.
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उत्तर प्रदेश के कितनी हैं मिट्टी टेस्टिंग लैब
सरकार द्वारा जारी आंकडों के अनुसार उत्तर प्रदेश में अभी कुल 180 सॉइल टेस्टिंग लैब हैं, जिसके जरिए किसान अपने बीज व मिट्टी की गुणवत्ता जांच सकते हैं तथा राज्य सरकार ने राज्य के हर मंडल में लैब विस्थापित करने के आदेश दिए हैं.