हमारे देश में आज कृषि (Agriculture) , पशुपालन (Animal Husbandry) और इस तरह के व्यावसायों में अपार संभावनाएं हैं. खेती-बाड़ी, पशुपालन उद्योग में आए दिन नई-नई तक़नीकों के इस्तेमाल ने न सिर्फ़ लोगों में इन व्यावसायों के प्रति रूचि पैदा कि है बल्कि इन बिज़नेस को कर रहे लोगों की कमाई में वृद्धि भी की है. पशुपान कृषि व्यावसाय की ही एक शाखा है. बात विशेषरूप से अगर पशुपालन व्यावयाय की करें तो हमारे देश में बड़े पैमाने पर किसान और ग़ैर किसान इस पेशे में जुड़े हुए हैं.
जानवरों का दूध, अंडा, मीट इत्यादि उनके आमदनी का ज़रिया हैं और जानवरों को बेचकर भी वो पैसे कमाते हैं. दूध उत्पादन की बात करें तो भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में आपको ऐसे पशुपालक भी मिलेंगे जिनका ख़र्च दूध की बिक्री कर के ही चलता है. ऐसे में दूध उत्पादन में वृद्धि ज़रूरी होती है साथ ही इसके लिए जानवर का सेहतमंद होना भी अहम है. आज हम आपको एक ऐसी तक़नीक (Technology) के बारे में बताएंगे जिससे दुग्ध उत्पादन (Dairy) बढ़ाने के साथ-साथ जानवरों की बीमारी का बी पता चलेगा. इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल विकसित देशों में क़रीब दो दशकों से हो रहा है. इसके उपयोग से विदेशों में पशुपालकों (Animal Breeder) ने अपने जानवरों में दुग्ध उत्पादन की मात्रा को बढ़ाया है, जिससे उनकी आमदनी में बढ़ोतरी हुई है. ये तक़नीक दुधारू जानवरों की बीमारी का भी पता लगा सकती है. जिससे समय रहते उसका उचित इलाज किया जा सके.
ये है टेक्नोलॉजी-
दरअसल राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) ने एक अहम फ़ैसला लेते हुए अमेरिका की कम्पनी (American Company) के साथ एक समझौता किया है. समझौते के तहत देश के पशुपालकों को एक टेक्नोलॉजी मिलेगी. NDDB कटिंग एज तक़नीक (cutting edge technology) के इस्तेमाल से देश के पशुपालन जानवरों में दूध उत्पादन की मात्रा को बढ़ाएगी और इससे दुधारू पशुओं में होने वाली बीमारियों का भी पता चल सकेगा. बीमारी का पता चलने पर वो समय पर पशु का उपचार करा सकेंगे. देश में दुग्ध उत्पादन उभरता हुआ और बड़ा बिज़नेस है. हालांकि इस साल लम्पी वायरस (lumpy skin disease) की वजह से दुग्ध उत्पादन में कमी आई है. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और अमेरिकी कम्पनी के क़रार से पशुपालकों को मशीन लर्निंग (machine learning) और आईओटी समाधान हासिल होगा. अगर आसान भाषा में इसे समझा जाए तो पशु की गर्दन पर एक सेंसर से जुड़ा कॉलर लगाया जाएगा. ये कॉलर जानवर के शरीर का तापमान, जुगाली और दूसरी गतिविधियों को रिकॉर्ड करेगा. सेंसर लैस पशु कॉलर को एंटीना से जोड़ा जाएगा और एक सॉफ़्टवेयर (Software) की मदद से जानवर की गतिविधि पर पैनी नज़र रखी जाएगी.
कटिंग एज तक़नीक से जानवर के शरीर का तापमान और बीमारी का पता लगाकर उनमें प्रबंधन और प्रजनन का समय तय किया जा सकता है. इससे भारतीय पशुपालकों को अत्यधिक फ़ायदा होगा.
पशुपालन में अच्छा स्कोप-
भारत में पशुपालन व्यावसाय प्रतिदिन बढ़ रहा है और उसकी वजह है एनिमल प्रोडक्ट्स की बढ़ती मांग, लोग अब प्रोटीन की खुराक को लेकर सजग हो रहे हैं इसलिए पोषक तत्वों की पूर्ति और दवाइयों में इस्तेमाल के लिहाज से इसकी मांग बढ़ती जा रही है. कहा जा सकता है कि, हमारे देश में पशुपालन उद्योग का भविष्य अच्छा है. यह उद्योग कोई भी व्यक्ति अपनी सहूलियत के हिसाब से छोटे या बड़े पैमाने पर कर सकता है. छोटे लेवल पर कहीं भी कम जगह पर जैसे- घर के पीछे ख़ाली हिस्से में या छोटे भूभाग में और बड़े लेवल पर एनिमल फ़ार्म (animal farm) खोलकर इस व्यावसाय को कर सकते हैं.
ये भी पढ़ेंः स्वच्छ दूध का उत्पादन प्राप्त करने के जरूरी उपाय, पढ़ें पूरी जानकारी
भारत में लोकप्रिय पशुपालन व्यावसाय- भैंस, गाय, बकरी, भेड़, सुअर, मुर्गी, मछली, मधुमक्खी का पालन प्रमुख रूप से किया जाता है. जानवरों को पालने के लिए उन्नत नस्लों, उसकी सेहत, जानवर को पालने के लिए बाड़े, मौसम और मौसमी बीमारियों से बचाव के प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना चाहिए.